संपाठ्य कला

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रिया (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:20, 25 मई 2010 का अवतरण ('जयमंगल के मतानुसार...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। संपाठ्य का अर्थ है- दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा स्पर्धा के लिए या मनोरंजन के हेतु काव्य कंठस्थ करना।