भजन बिन जीवन कैसा यार -शिवदीन राम जोशी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:01, 17 मार्च 2012 का अवतरण (Adding category Category:शिवदीन राम जोशी (को हटा दिया गया हैं।))
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

भजन बिन जीवन कैसा यार ।
धन-द्रव्य तेरे काम न आवे, राज पाट दरबार ।
काम न आवे झूंठी माया, झूंठो है संसार ।।
ध्रुव भज पाई अचला पदवी,गज भज करी पुकार ।
भक्त अनेक ही तार दिये, वही निर्धारन आधार ।।
उन बिन संगी को जीवन को,मन से नेक विचार ।
वही तरण तारण रघुराई, भ्रम उर के सब टार ।।
शिवदीन भजो उन ही को निशदिन,जो हैं सर्वाधार ।
सकल पुराणन में यश गायो, वेद रटत हैं चार ।।


संबंधित लेख