हे दयालू ! ले शरण में, मोहे क्यों बिसारंंयो।
जुठे बेर सबरी के, पाय काज सारंंयो ।। हे दयालू ...
द्रोपदी की रखि लाज, कोरव दल गयो भाज।
पांडवों की कर सहाय, अरजुन को उबारंंयो ।। हे...
रक्षक हो भक्तन का, किया संग संतन का ।
तारन हेतु मुझको, तुम संत रूप धारंंयो ।। हे...
नरसी का भरा भात, विप्रन के श्रीकृष्ण नाथ ।
दुष्टन को गर्व गार, रावण को मारंंयो ।। हे दयालू ..
शिवदीन हाथ जोडे, दुनियां से मुख: मोडे ।
ध्रुव को ध्रुव लोक अमर, भक्त जानि ताr^^यो ।। हे...