काट फंद हे गोविन्द ! शरण जानि तारो।
भव समुद्र है अगाध, मोहि को उबारो।।
विनय करी गज गयंद, कृपा करी कृष्णचन्द्र।
द्रोपदा की लाज रखी, आसरो तिहारो ।।
दर्शन दे दुःख हरो, दया राह कृपा करो।
अनाथन के नाथ राम, अरजी चित्त धारो ।।
जनम मरण ते छुटाय, हे गोविन्द देकर सहाय।
निरबल के राम श्याम, तू है प्राण प्यारो ।।
अचल संत संत राम, जय-जय हे सुख धाम ।
शिवदीन दीन अर्ज़ करे, कोटि विघ्न टारो ।।