मिहरा बरसत वृन्दावन में -शिवदीन राम जोशी
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शीर्षक उदाहरण 1
मिहरा बरसत वृन्दावन में / शिवदीन राम जोशी
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मिहरा बरसत वृन्दावन में | तन राधा का मस्त लहरिया, भीगा मन मोहन में || छम-छम छम-छम पायल बाजे, चलत चाल श्रीराधे साजे | धन्य-धन्य श्रीकृष्ण कलाधर शोभित शुभ नर तन में || मुरलीधर की मुरली बाजी, ग्वाल सखा ब्रज बाला राजी | यमुना तट पर खड़ा सांवरा, बिजरी चमकत घन में || मौर पपैया दादुर बोले, भांति-भांति के पक्षी डोले | हरी हरियाली, कोयल कूँकत बोले मधुर स्वरन में || शिवदीन मनोरम छटा निराली, जय-जय जय प्यारे बनमाली | युगल छबि उर बसत हमारे, देखो इन नयनन में ||
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टीका टिप्पणी और संदर्भ