श्रेणी:पर्व और त्योहार

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यह पर्व और त्योहार श्रेणी हैं।

पूर्णिमा व्रत

यदि इस दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चंद्रमा अथवा सत्यनारायण का व्रत करें तो सब प्रकार के सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति होती है।

हेमाद्रि[16] में लगभग 38 व्रतों का; स्मृतिकौस्तुभ[17], पुरुषार्थचिन्तामणि[18]; व्रतराज[19] में भी पूर्णमासी व्रतों का उल्लेख है। ।

श्रावण पूर्णिमा को उपवास, इन्द्रिय निग्रह और प्राणायाम करने चाहिए। इससे सभी पापों से मुक्ति हो जाती है।[21]

प्रत्येक मास की पूर्णिमा -

चैत्र की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयन्ती मनायी जाती है।

वैशाख की पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनायी जाती है।

ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री मनाया जाता है।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। इस दिन कबीर जयंती मनायी जाती है।

श्रावण की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।

भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन उमा माहेश्वर व्रत मनाया जाता है।

अश्विन की पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

कार्तिक की पूर्णिमा के दिन पुष्कर मेला और गुरु नानक जयंती पर्व मनाए जाते हैं।

मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन श्री दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है।

पौष की पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। जैन धर्म के मानने वाले 'पुष्यभिषेक यात्रा' प्रारंभ करते हैं। बनारस में 'दशाश्वमेध' तथा प्रयाग में 'त्रिवेणी संगम' पर स्नान को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

माघ की पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती, श्री ललित जयंती और श्री भैरव जयंती मनाई जाती है। माघी पूर्णिमा के दिन संगम पर माघ-मेले में जाने और स्नान करने का विशेष महत्त्व है।

फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है।

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