तामलुक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:23, 14 फ़रवरी 2013 का अवतरण (''''तामलुक''' पूर्वी मिदनापुर ज़िला, पश्चिम बंगाल का ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

तामलुक पूर्वी मिदनापुर ज़िला, पश्चिम बंगाल का मुख्‍यालय है। यह कलकत्‍ता (वर्तमान कोलकाता) से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है, यहाँ से यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दक्षिण-पूर्वी रेलवे के कोलकाता-खड़गपुर मार्ग पर स्‍थित मेचेदा यहाँ का निकटतम रेल स्‍टेशन है।

प्राचीन साहित्य में उल्लेख

रूपनारायण नदी के दाहिने तट पर स्‍थित तामलुक का ताम्रलिप्‍ता, दामलिटता, ताम्रलिप्ति, ताम्रलित्‍तिका या वेलकुला, जैसे विभिन्‍न नामों से प्राचीन पाली और संस्कृत साहित्य में उल्‍लेख मिलता है। प्राचीन समय में यह एक महत्‍वपूर्ण बंदरगाह के रूप में कार्य करता था, जहाँ से भारतीय समुद्रगामी जहाज़ सुदूर देशों में जाया करते थे। प्‍लिनी और प्रसिद्ध भूगोलविद प्‍टोलेमी की रचनाओं में भी तामलुक का क्रमश: तालुक्‍ते और तामालाइट्स के रूप में उल्लेख किया गया है।

उत्खनन कार्य

फाह्यान, ह्वेनसांग और और इत्‍सिंग जैसे प्रसिद्ध चीनी तीर्थयात्रियों ने, जिन्होंने इस स्‍थान की यात्रा की थी, इस फलते-फूलते बंदरगाह नगर का सजीव विवरण प्रस्‍तुत किया है। एक समृद्ध वाणिज्‍यिक नगर होने के अलावा तामलुक एक महान धार्मिक केन्‍द्र भी था। इस स्‍थल की प्राचीनता और महत्‍व यहाँ समय-समय पर किए जाने वाले उत्‍खनन कार्यों से स्पष्ट हो गया है। इस स्‍थल के महत्‍व का आकलन करते हुए 'भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण' ने इसकी सांस्कृतिक श्रृंखला को उजागर करने के लिए सन 1954-1955 में क्रमबद्ध उत्‍खनन प्रारंभ किया। उत्‍खनन ने नवपाषाण युग के प्रारंभिक अधिवास से आधुनिक समय तक के अधिवास को उजागर किया।[1]

क्रांतिकारी गतिविधियों का स्थान

बंगाल के इस प्रमुख स्थान का देश की आज़ादी से भी गहरा सम्बन्ध रहा है। महात्मा गाँधी ने अपनी कई गतिविधियाँ यहाँ से संचालित की थीं। 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय संयुक्त प्रांत में बलिया एवं बस्ती, बम्बई में सतारा, बंगाल में मिदनापुर एवं बिहार के कुछ भागों में अस्थायी सरकारों की स्थापना की गयी थी। इन स्वाशासित समानान्तर सरकारों में सर्वाधिक लम्बे समय तक सरकार सतारा में थी। यहाँ पर विद्रोह का नेतृत्व नाना पाटिल ने किया था। सतारा के सबसे महत्वपूर्ण नेता वाई. वी. चाह्नाण थे। पहली समान्तर सरकार बलिया में चितू पाण्डेय के नेतृत्व में बनी थी। बंगाल के मिदनापुर ज़िले में तामलुक अथवा ताम्रलिप्ति में गठिन राष्ट्रीय सरकार 1944 ई. तक चलती रही। यहाँ की सरकार को 'जातीय सरकार' के नाम से जाना जाता था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तामलुक (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2013।

संबंधित लेख