माने जो कोई बात -अना क़ासमी

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माने जो कोई बात -अना क़ासमी
अना क़ासमी
अना क़ासमी
जन्म 28 फरवरी, 1966
जन्म स्थान छतरपुर, मध्य प्रदेश
मुख्य रचनाएँ हवाओं के साज़ पर (ग़ज़ल संग्रह), मीठी सी चुभन (ग़ज़ल संग्रह),
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अना क़ासमी की रचनाएँ


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<poem>
माने जो कोई बात, तो इक बात बहुत है,
सदियों के लिए पल की मुलाक़ात बहुत है ।

दिन भीड़ के पर्दे में छुपा लेगा हर इक बात,
ऐसे में न जाओ, कि अभी रात बहुत है ।

महिने में किसी रोज़, कहीं चाय के दो कप,
इतना है अगर साथ, तो फिर साथ बहुत है ।

रसमन ही सही, तुमने चलो ख़ैरियत पूछी,
इस दौर में अब इतनी मदारात[1] बहुत है ।

दुनिया के मुक़द्दर की लक़ीरों को पढ़ें हम,
कहते है कि मज़दूर का बस हाथ बहुत है ।

फिर तुमको पुकारूँगा कभी कोहे 'अना'[2]से,
अय दोस्त अभी गर्मी-ए- हालात बहुत है ।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हमदर्दी
  2. स्वाभिमान

बाहरी कड़ियाँ

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