सतारा
सतारा महाराष्ट्र राज्य का एक ज़िला है। भारतीय इतिहास में यह नगर एक प्रमुख रियासत हुआ करता था, जो मुम्बई प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था। सतारा शाहू के वंशजों की राजधानी रहा था। इसके इर्द-गिर्द सात पहाड़ियाँ हैं, जिस कारण से इसे सतारा कहा जाता है।
इतिहास
सतारा पर पहले राष्ट्रकूट वंश ने शासन किया था। इसके बाद इस पर चालुक्य और फिर मौर्य साम्राज्य का शासन रहा। 17वीं सदी में इस पर मराठा साम्राज्य का शासन रहा। मराठा राज्य की सत्ता पेशवाओं के हाथों में जाने के फलस्वरूप ही सतारा उनके अधीन था। 1818 ई. में पेशवा बाजीराव द्वितीय की पराजय के उपरान्त अंग्रेज़ों ने इसे पुन: आश्रित राज्य बना दिया। तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद अंग्रेज़ों ने सतारा पर कब्ज़ा कर लिया था और इसे राजा प्रताप सिंह को सोंप दिया। 1848 ई. में 'गोद प्रथा' की समाप्ति का सिद्धान्त लागू किये जाने के फलस्वरूप इसे अंग्रेज़ों के भारतीय साम्राज्य में मिला लिया गया। अंत में सतारा 'बॉम्बे प्रेसिडेंसी' का हिसा बन गया। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में सतारा शहर की प्रमुख भूमिका रही थी।
भौगोलिक तथ्य
यह ऐतिहासिक नगर कुल 10,500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके उत्तर में पुणे, दक्षिण में सांगली, पूरब में सोलापुर, और पश्चिम में रत्नागिरी स्थित है। वे सात पहाड़ियाँ जिनके कारण इसे सतारा कहा जाता है, वह निम्नलिखित हैं[1]-
- जरंदेश्वर
- यवतेश्वर
- जिंक्यात्रा
- कित्लिचा डोंगर
- सज्जनगढ़
- पैदयाचा बैरोबा
- नक्दिचा डोंगर
ऐतिहासिक स्थल
सतारा में पर्यटन की दृष्टि से देखने लायक़ बहुत सारे मंदिर और क़िले हैं। यहाँ का जिंक्यात्रा क़िला प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। इसका निर्माण राजा भोज ने करवाया था। यह 3000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह क़िला दुश्मन से रक्षा प्रदान करने के लिए बनवाया गया था। इसके भीतर मन को मोहने वाला 'मंगलाई देवी का मंदिर' भी है। क़िले की चोटी से पूरे सतारा शहर का नज़ारा देख सकते हैं। सतारा अपनी समृद्ध विरासत और गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। इसके क़िले, मंदिर, वन्य अभ्यारण्य और प्राकृतिक सुन्दरता पर्यटकों को अपनी ओर अकार्षित करते हैं। सतारा जो कभी मराठों की राजधानी हुआ करती थी, आज एक पर्यटक स्थल है।
|
|
|
|
|