साहित्य अकादमी पुरस्कार
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साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में साहित्य के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार है। सन् 1954 में अपनी स्थापना के समय से ही साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त भारत की प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढाकर इसे 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढाकर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए।
चयन प्रक्रिया
पुरस्कार के लिए पुस्तक के चयन की प्रक्रिया इस प्रकार है-
- पुरस्कार के लिए विचारणीयता के मानदंड
- पुरस्कार के विचारार्थ होने के लिए पुस्तक का संबद्ध भाषा तथा साहित्य में विशिष्ट योगदान होना चाहिए। पुस्तक सर्जनात्मक या समालोचनात्मक हो, किन्तु निम्नलिखित में से किसी भी श्रेणी की नहीं होनी चाहिए:
- अनूदित कृति, अथवा
- संचयन, अथवा
- संक्षिप्त या संकलन या टीका, अथवा
- विश्वविद्यालय या परीक्षा की उपाधि के लिए तैयार किया गया प्रबंध या शोधाकार्य, अथवा
- ऐसे लेखक की कृति, जिसे अकादेमी से (अनुवाद पुरस्कार के अतिरिक्त) पहले भी पुरस्कार मिल चुका है, अथवा
- ऐसे लेखक की कृति जो अकादेमी के कार्यकारी मंडल का सदस्य है।
- पूर्व प्रकाशित पुस्तकों की रचनाओं से तैयार नया संग्रह अथवा पूर्व प्रकाशित पुस्तकों के संशोधित संस्करण पुरस्कार हेतु विचारणीय नहीं होंगे। तथापि पुस्तक में शामिल रचनाओं का 75 प्रतिशत भाग यदि पहली बार प्रकाशित हुआ है तो उस स्थिति में वह पुस्तक पुरस्कार हेतु विचारणीय हो सकती है।
- कोई अपूर्ण कृति पुरस्कार हेतु विचारणीय हो सकती है यदि पुस्तक में सम्मिलित भाग अपने आप में पूर्ण हो।
- लेखक की मृत्यु के बाद प्रकाशित कृति केवल तभी पुरस्कार के लिए विचारणीय होगी, यदि लेखक की मृत्यु पुरस्कार के लिए निर्धारित तीन वर्ष के भीतर या उसके बाद हुई हो। उदाहरण के लिए यदि लेखक का मृत्यु वर्ष 2000 से पूर्व का हो, उस स्थिति में उसकी कृति वर्ष 2004 के पुरस्कार हेतु विचारणीय नहीं होगी।
- ऐसी पुस्तक पुरस्कार के अयोग्य होगी, जिसके संबंध में कार्यकारी मंडल को विश्वास हो जाए कि उसे पुरस्कार दिलाने के लिए समर्थन जुटाया गया है।
पुरस्कार प्राप्त करने की प्रक्रिया
- वर्ष का प्रारंभ होते ही प्रत्येक भाषा की सभी मान्यता प्राप्त साहित्यिक संस्थाओं से यह अनुरोध किया जाएगा कि वे उस वर्ष के पुरस्कार हेतु अपनी संस्तुतियाँ निर्धारित प्रपत्र में भेजें, जो तीन से अधिक न हों।
- प्रत्येक भाषा परामर्श मंडल एक व्यक्ति को नियम 2(i) में विनिर्दिष्ट अवधि में प्रकाशित अनूदित कृतियों के शीर्षकों की आधार-सूची तैयार करने के लिए नामित करेगा। उसे मानदेय के रूप में उतनी राशि प्रदान की जाएगी, जो अकादेमी द्वारा समय-समय पर निधरारित की जाती है। यदि किसी कारण से नामांकन में विलंब होता है, तब उस स्थिति में अध्यक्ष दूसरे व्यक्ति को नियुक्त करेगा और यदि वह व्यक्ति उपयुक्त न हो, तो कोई अन्य व्यक्ति उसका स्थान ग्रहण कर आधार-सूची तैयार करेगा।
- खंड 3(i) में संदर्भित पत्र समस्त भाषा परामर्श मंडल के सदस्यों को भेजा जाना चाहिए, जिसमें अनुरोध हो कि वे निर्धारित प्रपत्र के अनुसार अपनी संस्तुतियाँ भेजें। उनसे यह भी अनुरोध किया जाना चाहिए कि वे तीन से अधिक पुस्तकों की अनुशंसा न करें। क्षेत्रीय सचिव परामर्श मंडल के प्रत्येक सदस्य को धारा 3(ii) में संदर्भित आधार-सूची की प्रति पिछले वर्ष की आधार-सूची सहित उपलब्ध कराएगा।
- धारा 3(i) एवं 3(iii) के तहत प्राप्त संस्तुतियाँ संकलित कर नियम 4(i) के अनुसार चयन समिति के समक्ष धारा 3(ii) के निष्पादन हेतु आधार-सूची के साथ प्रस्तुत की जाएँगी।
चयन समिति का गठन और उसके कार्य
- प्रत्येक वर्ष तथा प्रत्येक भाषा के लिए एक त्रि-सदस्यीय चयन समिति होगी। सदस्यों का चयन भाषा परामर्श मंडल द्वारा संस्तुत सात नामों के पैनल में से अकादेमी के अध्यक्ष करेंगे।
- भाषा परामर्श मंडल के सदस्यों एवं मान्यता प्राप्त साहित्यिक संस्थाओं द्वारा संस्तुत प्रत्येक पुस्तक की पाँच प्रतियाँ ख़रीदी जाएँगी।
- खरीदी गई पुस्तकों की एक-एक प्रति चयन समिति के प्रत्येक सदस्य एवं संयोजक को भेजी जाएगी।
- चयन समिति की बैठक का आयोजन या तो राज्य के मुख्यालय में या फिर क्षेत्रीय कार्यालय में होना चाहिए। भाषा परामर्श मंडल का संयोजक बैठक का भी संयोजक होगा। वह सुनिश्चित करेगा/करेगी कि भाषा परामर्श मंडल की बैठक में विचार-विमर्श इन नियमों के अनुरूप हो तथा वह मंडल की रिपोर्ट पर प्रतिहस्ताक्षर भी करेगा/करेगी।
- चयन समिति के सदस्य विमर्श के अनुसार प्रस्तुत पुस्तकों के संदर्भ में अपनी वरीयता सूची उसके समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। वे यह भी अनुशंसा कर सकते हैं कि उनके विचार में, उस अवधि के दौरान कोई भी पुस्तक पुरस्कार की पात्रा नहीं है। कोई सदस्य यदि किसी कारणवश बैठक में उपस्थित नहीं हो पाता हो वह अपना विचार लिखित रूप में भेज सकता/सकती है, लेकिन चयन समिति की बैठक इसलिए अमान्य नहीं मानी जाएगी कि कोई सदस्य उपस्थित नहीं है या उसने अपनी अनुशंसा लिखित रूप में नहीं भेजी है।
- तत्पश्चात चयन समिति के सदस्यों से प्राप्त संस्तुतियाँ कार्यकारी मंडल के समक्ष निर्णय हेतु प्रस्तुत की जाएँगी।
- चयन समिति के सदस्यों तथा संयोजक को वास्तविक यात्रा भत्ते के अतिरिक्त मानदेय भी प्रदान किया जाएगा, जिसके बारे में साहित्य अकादेमी निर्णय करेगी।
पुरस्कार की घोषणा और उसकी पुष्टि
- कार्यकारी मंडल के अनुमोदन के बाद पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। पुरस्कार की घोषणा के साथ चयन समिति के सदस्यों के नाम भी घोषित कर दिए जाएँगे।
- पुरस्कार प्रदान करने की तिथि और स्थान कार्यकारी मंडल निश्चित करेगा।
- यदि पुरस्कार प्रदान किए जाने के पूर्व किसी पुरस्कार विजेता की मृत्यु हो जाती है तो उस स्थिति में वह पुरस्कार उसके/उसकी पति, पत्नी अथवा किसी क़ानूनी वारिस को दिया जाएगा।
- यदि इन नियमों में से किसी भी उपबंध के लागू करने में कोई समस्या आती है तो उस स्थिति में अकादेमी का सचिव उस समस्या का निवारण नियमानुसार करेगा।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार के लिए पुस्तक के चयन की प्रक्रिया इस प्रकार है :
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टीका टिप्पणी और संदर्भ