वही सच्चा भक्त है -विनोबा भावे

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वही सच्चा भक्त है -विनोबा भावे
विनोबा भावे
विनोबा भावे
विवरण विनोबा भावे
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक विनोबा भावे के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

आचार्य विनोबा भावे रेलगाड़ी से वर्धा जा रहे थे । अचानक ट्रेन के डिब्बे में एक वृद्ध फकीर चढ़ा। फकीर ने भक्ति भाव वाला गीत गाना शुरू किया । उसके मधुर आवाज एवम गीतों के भावों को सुन कर बिनोवाजी भावविभोर हो उठे ।

डिब्बे में अन्य यात्री भी फकीर के गायन के जादू से मंत्रमुग्ध हो रहे थे ।उसी डब्बे में एक धनाढ्य जमींदार भी बैठा थे । उसने अपने जेब से पाँच रूपये का नोट निकाला तथा बोला- "एक-एक पैसा ईकठा करने में भला क्या मिलेगा ? मैं रूपये देता हूँ , शर्त यह है की भजन की जगह फिल्मी गीत गाओ ।"

फकीर ने जबाब दिया - "मैंने नियम बना रखा है की परमात्मा के अलावा वाणी से किसी की प्रशंसा नहीं करूंगा ।"

अब जमींदार ने सौ का नोट निकाला तथा कहा- "नियम-वियम को रखो ताक पर। यह सौ रूपये लो और फिल्मी गीत सुनाओ ।"

तब फकीर बोला- "आप एक लाख रूपये देंगे तब भी मैं भगवान् की स्तुति के अलावा किसी के गीत न गाऊंगा ।"

फकीर के ये शब्द सुनकर आचार्य बिनोबा भावे इतने अधिक प्रभावित हुए की उन्होंने उठ कर उसे गले से लगा लिया और बोले - "आज पता चला है सूरदास, तुलसीदास व मीराबाई की परम्परा के सच्चे भक्त अभी भी इस पृथ्वी पर हैं । जिसे लालच न प्रभावित कर सके वही सच्चा भक्त है ।"

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