श्रीरंगम

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श्रीरंगम मंदिर, श्रीरंगम

श्रीरंगम नगर, पूर्व-मध्य तमिलनाडु राज्य, दक्षिणी भारत में तिरुचिराप्पल्ली शहर के निकट कावेरी और कोलेरून नदियों के विभाजन के एक द्वीप पर स्थित है। श्रीरंगम दक्षिण भारत में तीर्थयात्रियों के सर्वाधिक लोकप्रिय तीर्थस्थलों में से एक है।

स्थिति तथा मंदिर

यह नगर तिरुचिराप्पल्ली से 8 मील की दूरी पर स्थित है। 17वीं शती ई. का एक विशाल, भव्य विष्णु मंदिर यहां का उल्लेखनीय स्मारक है। मंदिर का शिखर स्वर्णिम है। इसके चतुर्दिक परकोटा खिंचा हुआ है, जिसमें लगभग 18 गोपुर बने हुए हैं। दो गोपुर अति विशाल हैं। परकोटे के भीतर अन्य मंदिर भी हैं।

श्रीरंगम मंदिर, श्रीरंगम

मंदिर के कुल सात घेरे हैं, जिनमें से चार के अन्दर नगर बसा हुआ है। सबसे बाहर का प्रांगण सबसे अधिक भव्य जान पड़ता है, क्योंकि इसमें एक सहस्त्र सतंभों की एक शाला है। मंदिर के शेष गिरिराव मंडपम् में अद्भुत नक्काशी प्रदर्शित है। यह मंडप अश्वमूर्तियों वाले स्तम्भों पर आधृत है। इस मंदिर के गोेपुर अलग-अलग देखने पर काफ़ी प्रभावशाली दिखाई देते हैं; किंतु सम्पूर्ण मंदिर की पृष्ठभूमि में इनका प्रभाव कुछ घट-सा जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर भारत का सबसे बड़ा तथा विशाल मंदिर है। उत्तर प्रदेश में वृन्दावन का 'श्रीरंगजी का मंदिर' दक्षिण के इसी मंदिर की अनुकृति जान पड़ता है।[1]

रंगनाथ मंदिर

श्रीरंगम मंदिर, श्रीरंगम

श्रीरंगम का प्रमुख रंगनाथ मंदिर हांलाकि वैष्णव है, लेकिन शैव अनुयायियों के लिए भी श्रद्धेय है। रंगनाथ मंदिर में एक के अंदर एक सात आयताकार घिरे हुए क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें सबसे बाहर वाले का परिमाप 3 किलोमीटर लंबा है। रंगनाथ मंदिर की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह पिछले पैरों पर खड़े घोड़ों से सुसज्जित 1,000 स्तंभों वाला मुख्य कक्ष है। इस मंदिर और 1,000 स्तंभ वाले मुख्य कक्ष का निर्माण विजयनगर साम्राज्य (1336-1565) के दौरान पुराने मंदिर के स्थल पर हुआ था।

जनसंख्या

1991 की जनगणना के अनुसार श्रीरंगम नगर की कुल जनसंख्या 70,109 है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 923 |

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