कवि और कविता -दिनेश सिंह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Dinesh Singh (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:44, 27 जनवरी 2015 का अवतरण ('<!-- सबसे पहले इस पन्ने को संजोएँ (सेव करें) जिससे आपको य...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
चित्र:कवि और कविता -दिनेश सिंह
कवि और कविता -दिनेश सिंह लिंक पर क्लिक करके चित्र अपलोड करें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

आपको नया पन्ना बनाने के लिए यह आधार दिया गया है

यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।

कविते तेरी अलकानगरी में
रमा यहाँ ऐसा कवि जीवन
ज्यों अरविंदों के प्रान्तर में
रमा भवँर का हो अंतरमन

कभी उतरी तू कवि के मानस में
बन शीतल मंद गंध पव कम्पन
तू कभी कल्पना बनकर मधुरम
कभी फुट पड़ी बन गीत विहंगम

गाते देखा सुरसरि लहरों में
इठलाती हो नभ में भूतल में
सभ्य-सभ्यता औ संस्कृति में
तुम न्याय नीति औ परिवर्तन में

कभी खीच गयी तू रेख क्रांति की
कभी बनी मूक जन की तू वाणी
रो पड़ी कभी लखकर पीड़ा को
हे अखिल कंठ से तू कल्याणी

वो कवी तपोवन की हे देवी
मै खोज रहा हूँ वो अतीत
जहाँ उगे प्रेम का कल्प वृछ
मनुजत्व सभ्यता का प्रतीत

जगा जगा उस तृष्णा मरुथल में
जहाँ आडंम्बर की उठती ज्वालायें
जहाँ धन पिशाच की भेट चढ़ रहीं
तृण पर्ण कुटी की बालायें

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख




पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख