राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान

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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान का प्रतीक चिह्न
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान का प्रतीक चिह्न
विवरण केन्द्र द्वारा आपदा प्रबंधन विषय कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय से गृह मंत्रालय के अधीन हस्तानांतरित होने के पश्चात केंद्र को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के रूप में विकसित किया गया।
स्थापना सन 1995
उद्देश्य संस्थान का मुख्य उदेश्य आपदा की रोकथाम एवं तैयारियों के लिए सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण करना है जिससे कि आपदा मुक्त भारत का निर्माण किया जा सके।
संबंधित लेख आपदा प्रबंधन, भूकंप, सुनामी, बाढ़, ]]भूस्खलन]]
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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (अंग्रेज़ी: National Institute of Disaster Management) का गठन संसद के अधिनीयम के अन्तगर्त भारत और अन्य क्षेत्र में क्षमता विकास के लिये एक प्रमुख संस्थान के रूप में अपनी भूमिका निभाने के उद्देश्य के साथ किया गया है। इस दिशा में प्रथम प्रयास सन 1995 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र के गठन के साथ आरम्भ हुआ जो आगे चल कर अपने नये नाम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के रूप में प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास के लिए विकसित हुआ। इन्हें भी देखें: आपदा प्रबंधन, भूकंप, तूफ़ान, सुनामी, बाढ़ एवं भूस्खलन

स्थापना

प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दशक की पृष्ठभूमि में सन 1995 में कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय जो देश में आपदा प्रबंधन के लिए नोडल मंत्रालय था, द्वारा भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र की स्थापना की गई। केन्द्र द्वारा आपदा प्रबंधन विषय कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय से गृह मंत्रालय के अधीन हस्तानांतरित होने के पश्चात केंद्र को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के रूप में विकसित किया गया। 11 अगस्त 2004 को संस्थान का उदघाटन माननीय तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा किया गया। संस्थान को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अधीन संवैधानिक संगठन का दर्जा प्राप्त है। अधिनियम की धारा 42 की उपधारा 8, संस्थान को आपदा प्रबधन के क्षेत्र में योजना, प्रशिक्षण, अनुसन्धान एवं अभिलेखन को बढ़ावा देने एवं आपदा प्रबंधन के संबध में नीतियाँ बनाने, रोकथाम एवं शमन के उपायों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदार बनाया गया है।

लक्ष्य एवं उद्देश्य

संस्थान का मुख्य उदेश्य आपदा की रोकथाम एवं तैयारियों के लिए सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण करना है जिससे कि आपदा मुक्त भारत का निर्माण किया जा सके। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण को राष्ट्रीय एजेंडा में आगे लाने के लिए राष्ट्रीय केन्द्र और राष्ट्रीय संस्थान, दोनों ही रूपों में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। आपदा जोखिम में कमी तभी संभव है जब सभी हितधारकों को शामिल करते हुए रोकथाम की संस्कृति को बढ़ावा दें। विभिन्न मंत्रालयों, केंद्र, राज्य व स्थानीय सरकार के विभागों, शैक्षणिक, अनुसन्धान व तकनीकी संगठनों के साथ भारत एवं भारत के बाहर दिपक्षीय व बहुपक्षीय अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसी के साथ रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से काम करते हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान को गर्व है कि उनकी पेशेवरों की अनुशासित कोर टीम आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर काम कर रही है।

सुविधा एवं विशेषताएँ

  • प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए संस्थान के पास क्लास रूम, सेमिनार हॉल, जी.आई.एस. प्रयोगशाला और वीडियो कांफ्रेंसिंग जैसी सुविधायें हैं।
  • संस्थान क्लास रूम आधारित, ऑनलाइन, स्व–अध्ययन और उपग्रह आधारित प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • राज्य सरकारों के अधिकारियों को क्लास रूम आधारित प्रशिक्षण नि: शुल्क प्रदान किया जाता है जिसमे बोर्डिंग और अस्थायी आवास जैसी सुविधायें शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों में स्थापित आपदा प्रबंधन केंद के माध्यम से राज्य सरकारों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • वर्तमान में यह संस्थान ऐसे 30 केन्द्रों को सहयोग प्रदान कर रहा है। इन केन्द्रों में से 6 केन्द्रों को बाढ़ जोखिम प्रबंधन, भूकंप जोखिम प्रबंधन, चक्रवात जोखिम प्रबंधन, सूखा जोखिम प्रबंधन, भूस्खलन जोखिम प्रबंधन और औद्योगिक आपदा प्रबंधन के विशेषीकृत क्षेत्रों में उत्कृष्ट केन्द्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • 11 बड़े राज्य जैसे - आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिल नाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा को इस क्षेत्र में उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त केन्द्रों के रूप में सहायता प्रदान की जा रही है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र (SDMC) की मेज़बानी करता है और इसके राष्ट्रीय केंद्र बिंदु के रूप में काम करता है।[1]

महत्त्वपूर्ण कार्य

अधिनियम की धारा 42 की उपधारा 9, संस्थान को निम्नलिखित कार्य करने के लिए सौंपे गए हैं-

  • प्रशिक्षण मॉडयूल विकसित करना, आपदा प्रबंधन क्षेत्र में अनुसन्धान एवं अभिलेखन कार्य एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  • आपदा प्रबंधन के सभी पहलुओं पर व्यापक मानव संसाधन विकास योजना तैयार करना और उसे लागू करना।
  • राष्ट्रीय स्तर की नीति बनाने में केंद्र सरकार को सहयोग करना।
  • प्रशिक्षण एवं अनुसन्धान संस्थानों को, सरकारी कर्मचरियों एवं अन्य हितधारकों के लिए प्रशिक्षण एवं अनुसंधान कार्यक्रमों के विकास में सहयोग करना और राज्य स्तरीय प्रशिक्षण संस्थानों के संकाय सदस्यों को प्रशिक्षण देना।
  • राज्य स्तर की नीतियों, रणनीतियों एवं आपदा प्रबंधन ढाँचे में राज्य सरकारों और राज्य प्रशिक्षण संस्थानो को सहायता करना।
  • क्षमता निर्माण के लिए राज्य सरकारों या राज्य प्रशिक्षण संस्थानों का यथा अपेक्षित सहायता करना तथा उनके कर्मचारियों, सिविल सोसाइटी के सदस्यों, कॉर्पोरेट सेक्टर और जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों सहित अन्य हितधारकों की क्षमता वृद्धि करना।
  • आपदा प्रबंधन के लिए शैक्षिक एवं पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए शैक्षिक समाग्री तैयार करना।
  • महाविधालयों या विधालयों के शिक्षकों, छात्रों, तकनीकी कर्मियों एवं अन्य व्यक्तियों सहित अन्य हितधारकों के बीच बहु विपदा शमन, तैयारी एवं बचाव के उपायों पर जागरूकता पैदा करना।
  • उद्देश्यों को पूरा करने के लिए देश के भीतर या देश के बाहर अध्ययन पाठ्यक्रम, सम्मेलन, व्याख्यान का आयोजन करना और उन्हें सुविधा जनक बनाना।
  • पत्रिकाओं, शोध ग्रंथों और पुस्तकों का प्रकाशन करना और पूर्वोक्त उद्देश्यों को अग्रसर करने के लिए पुस्तकालयों की स्थापना करना और उनका अनुरक्षण करना।
  • ऐसे सभी अन्य विधिपूर्ण कार्य करना जो उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हों।
  • ऐसे अन्य कार्य करना जो केंद्रीय सरकार द्वारा समुदेशित किये जाएँ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हमारे बारे में (हिन्दी) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 26 अप्रॅल, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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