राजनाथ सिंह

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राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह
पूरा नाम राजनाथ सिंह
जन्म 10 जुलाई, 1951
जन्म भूमि चकिया तहसील, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
अभिभावक श्री राम बदन सिंह एवं श्रीमती गुजराती देवी
पति/पत्नी सावित्री सिंह
संतान दो पुत्र और एक पुत्री
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद भाजपा के पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, भारत के वर्तमान गृहमंत्री
कार्य काल अध्यक्ष- (दो बार) 24 दिसम्बर 2005 से 24 दिसम्बर 2009 तक, 23 जनवरी 2013 से अब तक; मुख्यमंत्री- 28 अक्तूबर 2000 – 8 मार्च 2002; गृहमंत्री- 26 मई 2014 से अब तक
शिक्षा एम.एस.सी. (भौतिकी)
विद्यालय गोरखपुर विश्वविद्यालय
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी
अन्य जानकारी राजनाथ सिंह 1991 में जब उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री के अलावा वर्ष 1994 में राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।
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राजनाथ सिंह (अंग्रेज़ी: Rajnath Singh जन्म: 10 जुलाई, 1951) भारतीय जनता पार्टी के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान भारत सरकार में गृह मंत्री हैं। राजनाथ सिंह पहले भाजपा के अध्यक्ष और भाजपा की उत्तर प्रदेश (जो उनका गृह राज्य भी है) ईकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रारंभ में वे भौतिकी के व्याख्याता थे, पर शीघ्र जनता पार्टी से जुड़ने के लिए उन्होनें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने दीर्घ संबंधों का उपयोग किया, जिसके कारण वे उत्तर प्रदेश में कई पदों पर विराजमान हुए।

जीवन परिचय

राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई, 1951 को वाराणसी के चकिया तहसील में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री राम बदन सिंह और माता का नाम श्रीमती गुजराती देवी था। राजनाथ सिंह ने सावित्री सिंह से विवाह किया है। उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं। दोनों पुत्र राजनीति में सक्रिय हैं। एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे राजनाथ सिंह ने आगे चलकर गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रथम क्ष्रेणी में भौतिक शास्त्र में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। वो 13 साल की आयु से (1964 सन से) संघ परिवार से जुड़े हुए हैं। मिर्जापुर में भौतिकी व्याख्यता की नौकरी लगने के बाद भी संघ से जुड़े रहे। 1974 में उन्हें भारतीय जनसंघ का सचिव नियुक्त किया गया। राजनाथ सिंह 1988 में यूपी विधान परिषद के सदस्य बने। 1991 में जब राज्य में बीजेपी की सरकार बनी तो राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री बने। 1994 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए। 1997 में वह प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। 2000 में वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2002 में वह पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बने और 2003 में केंद्रीय कृषि मंत्री बने। 2005 में उन्होंने पार्टी का सर्वोच्च पद संभाला।[1]

राजनीतिक कॅरियर

वर्ष 1964 में 13 वर्ष की अवस्था में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। व्याख्याता बनने के बाद भी संघ से उनका जुड़ाव बना रहा। कदम-दर-कदम आगे बढ़ने वाले राजनाथ सिंह ने 1969 में गोरखपुर में भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में संगठन सचिव से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1974 में वे जनसंघ के मिर्जापुर इकाई के सचिव बने। आपातकाल के दौरान राजनाथ सिंह जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए।

भाजपा के अध्यक्ष

भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के बाद 2005 में भाजपा की बागडोर संभालने वाले राजनाथ सिंह ने पार्टी को फिर से एकजुट किया और पार्टी की मूल विचारधारा हिंदुत्व पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में कोई समझौता नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष चुने गए राजनाथ सिंह पहले भी विभिन्न संकटों के बीच सरताज बनकर उभरे। नितिन गडकरी के बाद भाजपा की बागडोर संभालने वाले 61 वर्षीय सिंह उत्तर प्रदेश से हैं। राजनीतिक हलकों में उन्हें काफ़ी मृदुभाषी और बेलाग बोलने वालों में माना जाता है। दिसंबर, 2009 के दौरान जब राजनाथ सिंह के बाद अध्यक्ष पद पर नितिन गडकरी आए थे। लेकिन 2013 की शुरुआत में, अंतिम समय में हुए जबर्दस्त उलटफेर में नितिन गडकरी भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गए और इसके बाद दूसरी बार आम सहमति से राजनाथ सिंह की भाजपा अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हुई। पार्टी के पास निश्चित तौर पर कुछ विकल्प थे लेकिन राजनाथ सिंह की निर्विवाद और प्रतिद्वंद्वियों के बीच बेहतर छवि ने उनके नाम पर सहमति बनाने में मदद की। बहरहाल, 2009 में पार्टी को केंद्र में सत्ता में लाने में नाकामी तो मिली ही, साथ ही 2004 की तुलना में पार्टी को 22 सीटें भी कम मिलीं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं अन्य पद

पहली बार 1977 में राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश से विधायक बने। 1977 में वे भाजपा के राज्य सचिव बने। 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव बनने वाले राजनाथ सिंह 1988 में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 1988 में ही सिंह उत्तरप्रदेश में विधान परिषद के सदस्य चुने गए। कल्याण सिंह सरकार के दौरान वे शिक्षामंत्री बने। उत्तर प्रदेश की सियासत में भले ही वे लंबी पारी खेल चुके हो लेकिन संसद में वे पहली बार 1994 में पहुंचे जब उन्हें राज्यसभा टिकट मिला। ऊपरी सदन में उन्हें भाजपा का मुख्य सचेतक भी बनाया गया। वर्ष 1997 में जब उत्तरप्रदेश राजनीतिक संकट का सामना कर रहा था, एक बार फिर से उन्होंने राज्य पार्टी अध्यक्ष की बागडोर संभाली और इस पद पर 1999 तक रहे। इसके बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार में भूतल परिवहन मंत्री बने। केंद्र और राज्यों के बीच उनका आना-जाना लगा रहा। 28 अक्तूबर, 2000 को वे राम प्रकाश गुप्त की जगह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2002 तक वे राज्य के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन तब तक राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी बढ़त बना चुकी थीं। भाजपा ने बसपा प्रमुख मायावती को उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर समर्थन देने को फैसला किया लेकिन राजनाथ सिंह ने इस कदम पर एतराज जाहिर किया था। इसके बाद एक बार फिर से वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने। किसान परिवार से आने वाले राजनाथ सिंह 2003 में राजद से अजित सिंह के अलग होने के बाद वाजपेयी मंत्रिमंडल में कृषिमंत्री के तौर पर वापसी की। भाजपा में राजनाथ सिंह के आगे बढ़ने की यात्रा जारी रही। 31 दिसंबर 2005 को वे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। उनके कार्यकाल में पहली बार कर्नाटक में भाजपा सत्ता में आई।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजनाथ सिंह (हिंदी) आईबीएन ख़बर लाइव। अभिगमन तिथि: 29 मई, 2014।
  2. राजनाथ सिंह : प्रोफाइल (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 29 मई, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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