ग़रज़ बाबली होना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- अपनी आवश्यकता कुछ भी (विशेषतः कोई अप्रिय काम) करने के लिए विवश करती है।