गरदन न उठाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ-
- बीमारी की हालत में बेसुध पड़े, रहना, गरदन तक हिलाने की हिम्मत न होना।
- (शर्म से) सिर न उठाना।
प्रयोग- उनसे अपनी गरदन छुड़ाने में बड़े पापड़ बेलने पड़े।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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