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वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
राम तुम्हारा जन्म लेना
वास्तव में प्रतीक है
सद्भावनाओं और मर्यादा के जन्म का
देखो
कितनी धूमधाम से मनाते हैं सब
बिना जाने तुम्हारे जन्म के महत्त्व को
सुनो
खुश तो हो जाते होंगे न इस तरह मनाने पर
आहत तो नहीं होते न देख कर
यहाँ कैसे होता है मर्यादाओं का हनन
सुनो राम
तुम सिर्फ अवतार थे , अवतार हो और अवतार ही रहोगे
क्योंकि
यहाँ सिर्फ अवतार पूजे जाते हैं
अवतारों के बताये रास्तों पर चला नहीं जाता
और सीख लो तुम भी इसी तरह खुश रहना
तुम्हारा जन्मदिन मनाने का सिर्फ इतना ही औचित्य है
सिद्ध कर सकें खुद को राम भक्त
बाकि फिर चाहे रोज मर्यादा और सद्भावना का चीरहरण करते रहे
तुम महज खिलौना भर हो
जैसे तुम्हारे लिए हम ............
आज का इंसान बहुत प्रैक्टिकल हो चुका है ......पता तो होगा न
और फिर
जन्मदिन मनाने के लिए
जरूरी तो नहीं होता न तुम्हारे बताये आदर्शों पर चलना .........
मेरी चाहतों का आसमां
कितना विस्तृत है माधव
देखो तो
सेंध लगाना चाहता है