उठाना-बैठाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है ।
अर्थ - नाच नचाना।
प्रयोग - वह जानती थी कि अम्मा चाहे मुँह से कुछ न कहे किंतु अपनी खतरनाक आँखों से डमरु बजाकर उसे शाखामृगी-सी ही उठा-बैठा सकती थी। -शिवानी
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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