ज़बान बिगड़ना
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ज़बान बिगड़ना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ-
- अस्वस्थता, रुग्णता आदि के कारण मुँह का स्वाद बिगड़ना।
- बढ़िया-बढ़िया और चटपटी चीज़ें खाने का चस्का पड़ना।
- मुँह से अपअशब्द निकलना।
प्रयोग- विवेक का तो दिल्ली आकर खाने का स्वाद ही बदल गया है।