खाक छानना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- व्यर्थ मारे मारे फिरना।
प्रयोग- हमने सोचा कि पुस्तकालयों की ख़ाक छानने की बजाए क्यो न सर्वज्ञ जी योग्यता का लाभ उठाया जाए।
(कन्हैयालाल कपूर)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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