रहिमन सुधि सबसे भली -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:07, 27 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> ‘रहिमन’ सुधि सबसे भली, लगै जो बारंबार ।<br />...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

‘रहिमन’ सुधि सबसे भली, लगै जो बारंबार ।
बिछुरे मानुष फिर मिलैं, यहै जान अवतार ॥

अर्थ

याद कितनी अच्छी होती है, जो बार-बार आती है। बिछूड़े हुए मनुष्यों की याद ही तो प्रभु को वसुधा पर उतारने को विवश कर देती है, भगवान् के अवतार लेने का यही कारण है, यही रहस्य है।


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख