मुग़ल ए आज़म
याद कीजिए हिन्दी सिनेमा की ऑल टाइम क्लासिक मुग़ल-ए-आज़म को। 1960 में भारतीय सिनेमा में एक ऐसी फ़िल्म बनी जो आज भी पुरानी नहीं लगती और वो फ़िल्म है मुग़ल-ए-आज़म। चाहे मधुबाला की दिलकश अदाएँ हों या फिर दिलीप कुमार की बगावती शक्सियत या फिर हो बादशाह अकबर बने पृथ्वीराज कपूर की दमदार आवाज़, फ़िल्म में सब कुछ था खास। साथ ही खास था फ़िल्म में नौशाद साहब का संगीत। मुग़ल-ए-आज़म के ज़्यादातर गाने गाये लता मंगेशकर ने।
कथावस्तु
के. आसिफ़ की मुग़ल-ए-आज़म हिन्दुस्तान में बनी पहली मेगा फ़िल्म थी जिसने आगे आने वाली पुश्तों के लिए फ़िल्म निर्माण के पैमाने ही बदल दिए। लेकिन मुग़ल-ए-आज़म कोरा इतिहास नहीं, हिन्दुस्तान के लोकमानस में बसी प्रेम-कथा का पुनराख्यान है। एक बांदी का राजकुमार से प्रेम शहंशाह को नागवार है लेकिन वो प्रेम ही क्या जो बंधनों में बँधकर हो। चहुँओर से बंद सामंती व्यवस्था के गढ़ में प्रेम की खुली उद्घोषणा स्वरूप ’प्यार किया तो डरना क्या’ गाती अनारकली को कौन भूल सकता है।
आधी सदी पहले भव्य और आलीशान सेट्स, शानदार नृत्यों और भावपूर्ण संगीत से सजी फ़िल्म 'मुग़ल-ए-आज़म' रुपहले पर्दे पर आई थीं, लेकिन के. आसिफ के द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म आज भी बॉलीवुड के निर्देशकों और तकनीशियनों को प्रेरित करती है। 'मुग़ल-ए-आज़म' 5 अगस्त 1960 को प्रदर्शित हुई थी। जिसमें सलीम और अनारकली की ऐतिहासिक प्रेम कहानी को बेहद खूबसूरती से फ़िल्माया गया है। पचास बरस पूर्व बनी इस फ़िल्म का काँच से बना 'शीश महल' एक अनोखा फ़िल्म सेट था। इसमें अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ने अकबर के किरदार को बखूबी निभाया था। नौशाद का संगीत और शकील बदायूनी के गीत के साथ दिलीप कुमार और मधुबाला की जोड़ी ने इस फ़िल्म को भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर बना दिया।
फिल्म की विशेषता
- पृथ्वीराज कपूर और मधुबाला की अदाकारी।
- मधुबाला और दिलीप कुमार की प्रेम जोड़।
- के आसिफ का शानदार निर्देशन।
- फ़िल्म के लिए बनाया गया शीशमहल का सेट।
- युद्ध का बड़े पैमाने पर चित्रण, हाथी-घोड़े, कॉस्टयूम, आभूषण और हथियार आदि।
- मुग़ल-ए-आज़म के सेट्स और प्रत्येक कलाकार के लिए अलग-अलग कपड़े डिजायन किए गए थे। जिसके चलते यह फ़िल्म ऐतिहासिकता को दर्शाने में सफल रही थी।
- इसके किरदारों के कपड़े तैयार करने के लिए दिल्ली से विशेष तौर पर दर्जी और सूरत से काशीदाकारी के जानकार बुलाये गए थे। हालांकि विशेष आभूषण हैदराबाद से लाए गए थे। अभिनेताओं के लिए कोल्हापुर के कारीगरों ने ताज बनाया था।
- राजस्थान के कारीगरों ने हथियार बनाए थे और [[[आगरा]] से जूतियाँ मंगाई गई थीं। फ़िल्म के एक दृश्य में कृष्ण भगवान की मूर्ति दिखाई गई है, जो वास्तव में सोने की बनी हुई थी।
निर्माण
मुग़ल-ए-आज़म एक कालजयी फ़िल्म है, जिसके लिए निर्देशक के. आसिफ ने अपना सबकुछ दाँव पर लगा दिया। हालाँकि लोग के. आसिफ को तो याद करते हैं तथा उनकी रचनात्मकता और कर्मठता की प्रशंसा करते हैं परंतु निर्माता शपूरजी के धैर्य की भी प्रशंसा करनी चाहिए जो कई वर्षों तक फ़िल्म के खत्म होने का इंतजार करते रहे और फ़िल्म मे निवेश भी करते रहे।
- मुग़ल-ए-आज़म मुम्बई के मराठा मंदिर में 5 अगस्त, 1960 को प्रदर्शित हुई था।
- मुग़ल-ए-आज़म फ़िल्म उर्दु, तमिल और अंग्रेजी में बनी थी।
- मुग़ल-ए-आज़म फ़िल्म का काम बेहद धीमी गति से होता था। के. आसिफ एक-एक दृश्य के पीछे बहुत मेहनत करते थे।
- पहले एक साल में सिर्फ पृथ्वीराज कपूर और दुर्गा खोटे के दृश्य शूट हुए थे।
- पूरे वर्ष के दौरान मात्र एक सेट के दृश्य ही शूट हुए।
- मुग़ल-ए-आज़म का एक सेट तैयार होने में महीनों का समय लग जाता था। कुछ सेट दस साल तक भी नही बन पाए।
- इस फिल्म की शूटिंग मोहन स्टूडियो में हुई थी। आउटडोर शूटिंग जयपुर में हुई थी।
- करीब सौ लोगों की यूनिट शर्दियों में जयपुर गई थी, पर शूटिंग गर्मियों में हुई।
- यूनिट के लोग भारतीय सेना के बैरक में रहते थे।
- फिल्म में युद्ध के दृश्यों के लिए सेना ने मदद की थी।
- "प्यार किया तो डरना क्या" गाने की शूटिंग रंगीन हुई थी, बाकी पूरी फ़िल्म श्वेत श्याम थी। इस गाने की शूटिंग के पीछे 1 करोड़ रूपए खर्च कर दिए गए थे, जबकि उस जमाने में 10 लाख रूपयों में भव्य फिल्म बन जाती थी।
- फ़िल्म की शूटिंग इतनी लम्बी चली कि कई दृश्यों में दिलीप कुमार की उम्र अधिक और कई में कम लगती थी।
- इस फिल्म के 150 प्रिंट एक साथ रिलीज किए गए जो कि एक रिकार्ड था।
- इस फिल्म ने कमजोर ओपनिंग की और लोगों को लगा कि यह फ़िल्म फ्लोप हो जाएगी लेकिन इस फ़िल्म ने रिकार्ड कमाई की।
गीत-संगीत
फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ की हीरोइन अनारकली सीना ठोक कर ज़माने के सामने ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ गाकर अपनी मोहब्बत का इज़हार करती है और शायद सबसे ज्यादा मुख्य आकर्षण रहा मधुबाला का डांस। इसके अलावा इस फिल्म के कुछ मधुर गाने हैं :
- बेकस पे करम कीजिये , सरकारे मदीना…………
- जब रात है ऐसी मतवाली , फिर सुबह का आलम क्या होगा…….
- मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड़ गयो रे…………..
- मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये………..
- तेरी महफ़िल में किस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे……..
- जिंदाबाद , जिंदाबाद , ऐ मुहब्बत जिंदाबाद………...
मुख्य कलाकार
- दिलीप कुमार - सलीम
- मधुबाला - अनारकली
- पृथ्वीराज कपूर - बादशाह जलालुद्दीन अकबर
- दुर्गा खोटे - महारानी जोधा बाई
- निगर सुल्ताना - बाहर
- अजीत
- एम कुमार
- मुराद
- विजयलक्ष्मी
- एस नज़ीर
- सुरेन्द्र
- जॉनी वॉकर
- जलाल आग़ा
- तबस्सुम
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टीका टिप्पणी और संदर्भ