बागेश्री चक्रधर

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बागेश्री चक्रधर
जन्म 3 जनवरी, 1954
जन्म भूमि हाथरस, उत्तर प्रदेश
पति/पत्नि अशोक चक्रधर
सन्तान अनुराग चक्रधर, स्नेहा चक्रधर
कर्म भूमि भारत
कर्म क्षेत्र हिन्दी कविता, रंगमंच
मुख्य रचनाएं तानसेन, मकरंद ही ठीक है, मेहनत का नगीना
भाषा हिन्दी भाषा
शिक्षा पी-एच.डी., संगीत प्रभाकर (शास्त्रीय गायन)
पद भार प्रबंध निदेशिका- ए.बी.सी. फिल्म्स प्रा. लिमिटेड एवं शहीद भगतसिंह कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय नई दिल्ली में हिन्दी अतिथि प्रवक्ता, प्रधानाचार्या- जयजयवंती संगीत संस्थान।
संबंधित लेख अशोक चक्रधर
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बागेश्री चक्रधर (अंग्रेज़ी: Bageshri Chakradhar जन्म- 3 जनवरी, 1954, हाथरस, उत्तर प्रदेश) आकाशवाणीदूरदर्शन की स्वर-परीक्षित एवं मान्यता-प्राप्त कलाकार हैं। उन्होंने अनेक दिशाओं में अपनी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया है। वे देश-विदेश में मंच पर कविता पढ़ चुकी हैं, प्रोफेसर तो वे हैं ही फ़िल्म तथा टीवी सीरियल निर्माण के क्षेत्र में भी अनेक पुरस्कार प्राप्त कर चुकीं हैं।

परिचय

बागेश्री चक्रधर का जन्म 3 जनवरी, 1954 को उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में हुआ था। शिक्षा में उन्होंने एम. ए. (हिन्दी से), बी.एड., पी-एच.डी. की डिग्री प्राप्त की और संगीत प्रभाकर (शास्त्रीय गायन) में किया। इनके पति अशोक चक्रधर हैं जोकि हास्य विधा के लिये जाने जाते हैं। इनकी दो संतानें हैं- अनुराग चक्रधर और स्नेहा चक्रधर।

प्रकाशित पुस्तकें एवं लेख

इनकी प्रकाशित पुस्तकें एवं लेख इस प्रकार हैं-

'तानसेन', 'मकरंद ही ठीक है' (मुक्तक संकलन), 'व्यावहारिक समीक्षा का पहला कदम', 'समीक्षा माने ज्ञानराशि'। साहित्य एवं संगीत विषयक अनेक लेख एवं पुस्तक समीक्षाएँ, कविताएँ आदि प्रमुख पत्रिका 'संगीत' तथा अन्य अनेक पत्रिकाओं और समचार पत्रों में प्रकाशित। 'हिन्दी कविता की शुक्लपूर्व व्यावहारिक समीक्षा' (शोधकार्य)।

सम्प्रति

बागेश्री वर्तमान में निम्न पदों पर पदासीन हैं- प्रधानाचार्या, जयजयवंती संगीत संस्थान, प्रबंध निदेशिका ए.बी.सी. फिल्म्स प्रा. लिमिटेड एवं शहीद भगतसिंह कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय नई दिल्ली में हिन्दी अतिथि प्रवक्ता।

रचनाएँ

  • चुभन
  • तब और अब
  • बताती हूं
  • प्यार क्या है
  • मेहनत का नगीना
  • अपना जनतंत्र
  • लोकतंत्र की खातिर
  • कहेगी दुनिया
  • क्यों
  • एक सलाह
  • कैसे समझाऊं
  • उपेक्षा का क्षण
  • उल्लास के क्षण
  • क्यों है
  • क्या करेगा तू
  • कैसे पिता हो
  • अब न होगा
  • स्वर्णमृग
  • मकरंद ही ठीक है



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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