प्रजापात्य विवाह

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प्रजापात्य विवाह अर्थात कन्या की सहमति के बिना उसका विवाह अभिजात्य वर्ग के वर से कर देना।

  • इस विवाह में पिता वर तथा वधु को ‘तुम दोनों धर्म का साथ-साथ आचरण करो’ आदेश देकर कन्या दान करता था।
  • इस प्रकार का संबंध नवदम्पति संतान उत्पन्न करने और उसका पालन-पोषण करने के लिये करते थे।
  • पति, पत्नी को यह वचन देता था कि वह पत्नी के जीते जी गृहस्थ रहेगा; संन्न्यासी नहीं बनेगा, दूसरा विवाह नहीें करेगा आदि।
  • प्रजापात्य विवाह से पति और पत्नी के अधिकार समान रूप से सुरक्षित हो जाते थे। ऐसे विवाह समाज की उन्नत अवस्था में ही होते थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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