ब्राह्मण्या प्राप्ति

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • [[चैत्र[[ शुक्ल की प्रथमा से चौथ तक आरम्भ किया जाता है।
  • तिथिक्रम में वासुदेव के चार रूपों, यथा–
  1. इन्द्र,
  2. यम,
  3. वरुण एवं
  4. कुबेर की चार प्रतिमाओं की गंध आदि से पूजा और होम की जाती है।
  • चार दिनों में दिये जाने वाले वस्त्रों का रंग लाल, पीला, काला एवं श्वेत होता है।
  • यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि कर्ता प्रलय तक स्वर्ग की प्राप्ति करता है [1]
  • यह एक चतुमूर्ति व्रत है।

 


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 2, 500-509, विष्णुधर्मात्तपुराण से उद्धरण)

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