व्यतीपात व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- व्यतीपात 27 योगों (विष्कम्भ, प्रीति आदि) में एक है।
- भुजबलभीम [1] ने इसकी व्याख्या कई प्रकार से की है। [2]
- व्यतीपात दिन पर एक बड़ी नदी में पंचगव्य के साथ नहाना चाहिए।
- एक स्वर्णिम कमल पर 18 हाथों वाले व्यतीपात की स्वर्णिम प्रतिमा रखी जानी चाहिए, उसकी पूजा गंध आदि से होनी चाहिए।
- व्यतीपातव्रत दिन उपवास; एक वर्ष तक रखना चाहिर्।
- 13वें व्यतीपात पर उद्यापन करना चाहिए।
- घी, दूध, तिल तथा दूध गिराने वाले वृक्षों की समिधाओं से 'व्यतीपाताय स्वाहा' के साथ सौ आहुतियाँ, व्यतीपात सूर्य एवं चन्द्र का पुत्र माना जाता है।
- धर्मशास्त्र का इतिहास 4 के इण्डियन एण्टीक्वेरी [3], जहाँ व्यतीपात पुण्य का उल्लेख है, और वही जिल्द[4], जहाँ व्यतीपात के कई अर्थ दिये गये हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लिंक
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