पुत्रीय व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- भाद्रपद पूर्णिमा के उपरान्त कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर यह व्रत किया जाता है।
- उस दिन उपवास रखा जाता है।
- गोविन्द प्रतिमा को सर्वप्रथम एक प्रस्थ घी तथा क्रम से मधु, दही तथा दूध से नहलाना और तब सर्वोषधि से युक्त जल में नहलाना।
- इसके उपरान्त उस पर चन्दन लेप, कुंकुम एवं कर्पूर लगाना।
- पुष्पों एवं अन्य उपचारों से प्रतिमा का पूजन।[1]
- तब पुत्र या पुत्री चाहने वाला ऐसे फलों का दान करता है जो क्रम से पुंल्लिग या स्त्रीलिंग के सूचक हों।
- एक वर्ष तक किया जाता है।
- सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।[2]
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विषय सूची
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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टीका टिप्पणी और संदर्भ