अवमुक्त
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अवमुक्त या अवमुक्तक एक तीर्थस्थान जिसे ब्रह्मपुराण में[1]कांची या कांचीपुरम में गोदावरी नदी के तट पर स्थित एक नगर बताया गया था। शायद महाराजाधिराज समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशस्ति में इसका अवमुक्तक रूप में उल्लेख है। समुद्रगुप्त ने अवमुक्तक के शासक नीलराज को विजित किया था- 'कांचेयक विष्णुगोप, अवमुक्तक, नीलराज, वैंगीयक हस्तिवर्मा।' अवमुक्त कांची या कांचीपुरम के पास कोई नगर था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 47-48| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
- ↑ ब्रह्मपुराण में113, 22