सप्तर्षि व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- इस व्रत में चैत्र शुक्ल पक्ष से सात दिनों के लिए सात ऋषियों, यथा– मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, ऋतु एवं वसिष्ठ की फलों, पुष्पों, गाय के दूध से पूजा, उन दिनों नक्तविधि, तिल एवं महाव्याहतियों से होम करना चाहिए।
- यह व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए।
- अन्त में अग्निहोत्री को कृष्ण हरिण का चर्म देना चाहिए।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है। [1]
- सप्तऋर्षियों की पूजा से उन ऋषियों तक पहुँच एवं ऋषिस्थिति प्राप्त होती है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लिंक
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