श्रीप्राप्ति व्रत

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।

(1) हेमाद्रि[1] के मत से जो कमल में रखकर लक्ष्मी प्रतिमा का पूजन करता है, वह एक यज्ञ का फल प्राप्त करता है।

(2) वैशाख पूर्णिमा के उपरान्त पहली तिथि पर आरम्भ होता है।

  • एक मास तक पुष्पों-फलों आदि से नारायण एवं लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
  • धान एवं बिल्व फल से होम किया जाता है।
  • दूध एवं दूध से बने पदार्थों से ब्रह्मभोज कराया जाता है।
  • ज्येष्ठ में तीन दिनों तक उपवास रखा जाता है।
  • सोने एवं दो वस्त्रों का दान दिया जाता है।[2]

 

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 1, 575, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)
  2. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 751, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|211|1-5 से उद्धरण)।

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