सम्भोग व्रत

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • दो प्रथम एवं दो पंचमी तिथियों पर सम्भोग व्रत रखना चाहिए।
  • सम्भोग व्रत में सूर्य का ध्यान करना चाहिए।
  • पत्नी के साथ में लेटे होने पर भी न तो प्रेम प्रदर्शित करना और न ही सम्भोग करना चाहिए।
  • ऐसा करने से सहस्रों वर्षों के तप के बराबर फल प्राप्त होता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रत खण्ड 388); हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 394, भविष्य पुराण से उद्धरण)

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