श्रीकांत जिचकर

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श्रीकांत जिचकर (अंग्रेज़ी: Shrikant Jichkar, जन्म- 14 सितम्बर, 1954; मृत्यु- 2 जून, 2004) भारत के ऐसे योग्य व्यक्ति थे, जिन्होंने 42 यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त की थी। यही नहीं वे सबसे कम उम्र में एम.एल.ए. बनने वाले व्यक्ति भी थे। कांग्रेस नेता डॉ. श्रीकांत जिचकर का नाम भारत के ‘सबसे योग्य व्यक्ति’ के रूप में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। अनगिनत डिग्रियों के अलावा वे एक पेंटर, पेशेवर फोटोग्राफर और अभिनेता भी थे। श्रीकांत जिचकर अकेले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके पास 20 बड़ी डिग्रियाँ थीं। ये डिग्रियाँ उन्होंने उस समय अर्ज्जित कीं, जब मोबाइल, इंटरनेट और कंप्यूटरों की शिक्षा संबंधित पहलुओं को सीखने में मदद करने वाली कोई भूमिका नहीं थी।

परिचय

डॉ. श्रीकांत जिचकर का जन्म 14 सितंबर, 1954 को स्वतंत्रता के सात साल बाद महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले के काटोल के पास आजगाँव में एक अमीर मराठा परिवार में हुआ था।[1] श्रीकांत जिचकर अपने जूनून का पीछा किया और अपने समर्पण से 20 से अधिक डिग्रियाँ हासिल कीं। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे योग्य व्यक्ति के रूप में गर्व से दर्ज किया गया है। उन्होंने 1972 और 1990 के बीच 42 विश्वविधालय स्तर की परीक्षाएं दीं, जिनमें से 20 में वह उत्तीर्ण हुए और ज्यादातर में उन्होंने प्रथम श्रेणी प्राप्त की थी। उन्होंने 28 गोल्ड मैडल जीते थे।

डिग्रियाँ

  • श्रीकांत जिचकर ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक डॉक्टर के रूप में की। इसके लिए उन्होंने एमबीबीएस, एमडी की डिग्री हासिल की।
  • इसके बाद उन्होंने कानून की पढाई के लिए एलएल.बी., पोस्ट ग्रेजुएशन इन इंटरनेशनल लॉ एलएल.एम. की डिग्री ली।
  • मास्टर्स इन बिज़नस एडमिनिस्ट्रेशन डीबीएम, एमबीए की डिग्री ली।
  • पत्रकारिता के क्षेत्र में बी.जॉर्न (B.Journ) की डिग्री ली।
  • श्रीकांत जिचकर ने 10 विषयों में मास्टर्स की डिग्री हासिल की- एम.ए. (लोक प्रशासन); एम.ए. (नागरिकशास्त्र); एम.ए. (अर्थशास्त्र); एम.ए. (संस्कृत); एम.ए. (इतिहास); एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य); एम.ए. (दर्शनशास्त्र); एम.ए. (राजनीतिशास्त्र); एम.ए. (प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्त्व); एम.ए. (मनोविज्ञान)।
  • संस्कृत में डी.लिट्‌ (डॉक्टर ऑफ़ लेटर्स) की डिग्री।
  • 1978 में श्रीकांत जिचकर ने सिविल सर्विसेज परीक्षा दी, जिसमें उन्हें इंडियन पुलिस सर्विस विभाग मिला। उन्होंने आईपीएस ज्वाइन नहीं किया और पुनः 1980 में सिविल सर्विसेज परीक्षा दी। इस बार उन्हें आईएएस (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज) मिला। वे इस नौकरी में भी ज्यादा दिन नहीं टिके और मात्र 4 महीने बाद ही उन्होंने इस पद से इस्तीफ़ा देकर चुनाव लड़ने का फैसला किया।
  • सन 1980 में श्रीकांत जिचकर ने महज 25 साल की उम्र में एमएलए बनकर रिकॉर्ड बनाया। आगे चलकर वे मंत्री भी बने। मंत्री के रूप में एक समय श्रीकांत जिचकर 14 से अधिक विभागों का काम देखते थे। इस प्रकार उनका राजनीतिक सफर भी शानदार रहा।
  • श्रीकांत जिचकर को पढ़ने का बहुत शौक था। उनके पास 52,000 से अधिक किताबों का निजी पुस्तकालय था। उनको गीता, उपनिषद, वेद, पुराण आदि ग्रन्थों का भी गहरा ज्ञान था।
  • ऐसा नहीं है कि श्रीकांत जिचकर सिर्फ एक किताबी कीड़ा ही थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी जिचकर एक पेंटर, फोटोग्राफर, रंगमंच के अभिनेता और शिक्षाविद भी थे। इतने ज्ञानी और प्रतिभावान व्यक्ति होने के बावजूद भी डॉ. श्रीकांत जिचकर ने भारत को ही अपनी कर्मभूमि बनया और देशवासियों की सेवा करने का फैसला किया।[2]

मृत्यु

एक कार दुर्घटना में श्रीकांत जिचकर का निधन 2 जून, 2004 को हो गया। मृत्यु के समय वे मात्र 50 वर्ष के थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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