हरतृतीया व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- माघ शुक्ल पक्ष की तृतीया पर हरतृतीया व्रत किया जाता है।
- हरतृतीया व्रत तिथिव्रत है।
- हरतृतीया व्रत में देवता उमा एवं महेश्वर की पूजा की जाती है।
- एक मण्डप में अष्टदल कमल का आलेखन करना चाहिए।
- आठ दिशाओं में उमा के आठ नामों का न्यास, यथा–गौरी, ललिता, उमा, स्वधा, वामदेवी आदि नाम लेने चाहिए।
- चित्र के मध्य में उमा-महेश्वर की स्थापना करनी चाहिए।
- गंध, पुष्प से पूजा करनी चाहिए।
- चावल से पूर्ण कलश की स्थापना करनी चाहिए।
- घी की आठ तथा तिल की सौ आहुतियों से होम कराना चाहिए।
- प्रत्येक प्रहर (कुल 8 प्रहर) में स्नान एवं होम करना चाहिए।
- दूसरे दिन एक सपत्नीक ब्राह्मण का सम्मान।
- इसे चार वर्षों तक करना चाहिए।
- उसके उपरान्त उद्यापन करना चाहिए।
- आचार्य को उमा एवं महेश्वर की स्वर्ण प्रतिमा दान में दी जाती है।
- ऐसी मान्यता है कि इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 480-482)
सम्बंधित लिंक
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