संवत्सर व्रत

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • चैत्र शुक्ल पक्ष पर संवत्सरव्रत आरम्भ होता है।
  • संवत्सरव्रत पाँच दिनों तक रखा जाता है।
  • संवत्सरव्रत में अग्नि, सूर्य, सोम, प्रजापति एवं महेश्वर को एक युग के पाँच वर्षों के रूप में माना गया है, यथा–संवत्सर, इष्टापूर्त (इदावत्सर), अनुवत्सर एवं उद्धत्सर।
  • उन्हें एक मण्डल में क्रम से होम करना चाहिए।
  • संवत्सरव्रत में पाँच दिनो तक नक्त रहना चाहिए।
  • अन्त में 5 सुवर्णों का दान करना चाहिए।
  • यह पंचमूर्तिव्रत है।[1]
  • वैदिक साहित्य में एक युग के पाँच वर्षों को विभिन्न नाम दिये गये हैं।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 409-420, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)
  2. अथर्ववेद (6|55|3); तैत्तिरीय संहिता (5|7|2-3); तैत्तिरीय संहिता ब्राह्मण (1|4|10|1)।

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