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हुलेगु ख़ान अथवा हलाकू ख़ान (जन्म- मार्च, 1217; मृत्यु- 8 फ़रवरी, 1265) 'इलख़ानी साम्राज्य' का संस्थापक और चंगेज़ ख़ाँ का पोता था। चंगेज़ ख़ाँ की तरह हुलेगु भी एक मंगोल शासक था, जिसने ईरान समेत दक्षिण-पश्चिम एशिया के अन्य बड़े हिस्सों पर क्रूर आक्रमण करके मध्य एशिया में थोड़े समय में ही विजय प्राप्त की और 'इलख़ानी साम्राज्य' स्थापित किया। यह साम्राज्य मंगोल साम्राज्य का एक भाग था। हुलेगु ख़ान के नेतृत्व में मंगोलों ने इस्लाम के सबसे शक्तिशाली केंद्र बगदाद को तबाह कर दिया था। ईरान सहित अरब मुल्कों पर अधिकार इस्लाम के उभरने के लगभग तुरंत बाद हो चुका था और तब से वहाँ के सभी विद्वान अरबी भाषा में ही लिखा करते थे।[1]

जन्म तथा पारिवारिक परिचय

हुलेगु ख़ान की अनुमानित जन्म तिथि मार्च, 1217 ईस्वी थी। पारिवारिक इतिहास के अनुसार हुलेगु ख़ान मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ाँ का पोता और उसके चौथे पुत्र तोलुइ ख़ान का पुत्र था। हुलेगु की माता सोरगोगतानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला था और उनकी परवरिश की थी। उसने परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण रखा कि हुलेगु बचपन में ही एक बड़ा लड़ाकू और ख़तरनाक योद्धा बन गया। आगे चलकर उसने अपने बलबूते पर मंगोलों का चीन और रूस सहित किर्गीस्तान, उज़्बेकिस्तान, ईरान, और अफ़ग़ानिस्तान तक एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया। हुलेगु ख़ान की पत्नी दोकुज ख़ातून एक नेस्टोरियाई ईसाई थी। हुलेगु के 'इलख़ानी साम्राज्य' में बौद्ध और ईसाई धर्म को बढ़ावा दिया जाता था। उसकी पत्नी दोकुज ख़ातून ने बहुत कोशिश की कि हुलेगु भी ईसाई बन जाए, लेकिन वह अन्त तक बौद्ध धर्म का अनुयायी ही रहा।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 दरिंदे जिनसे इतिहास काँपता था (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 06 जनवरी, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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