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{किसने कहा "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर की गति है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-13
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{किसने कहा "[[राज्य]] [[पृथ्वी]] पर [[ईश्वर]] की गति है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-13
 
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-बेथम
 
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-जे.एस. मिल
 
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-[[कार्ल मार्क्स]]
 
+हीगल
 
+हीगल
||हीगल 19वीं शताब्दी के पूर्वाद्ध का जर्मन दार्शनिक था। इसे आदर्शवाद का प्रमुख उन्नायक माना जाता है। आदर्शवाद के अनुसार, इस जगत की समस्त वस्तुएं और सामाजिक संस्थाएं विचार तत्व की अभिव्यक्ति है। इसी संदर्भ में हीगल ने कहा है कि "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर की गति है।" इनके अनुसार, राज्य आत्मा के उच्चतम विकास का प्रतीक है। यह ईश्वर की महायात्रा का अंतिम पड़ाव है।
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||हीगल 19वीं शताब्दी के पूर्वाद्ध का जर्मन दार्शनिक था। इसे आदर्शवाद का प्रमुख उन्नायक माना जाता है। आदर्शवाद के अनुसार, इस जगत की समस्त वस्तुएं और सामाजिक संस्थाएं विचार तत्त्व की अभिव्यक्ति है। इसी संदर्भ में हीगल ने कहा है कि "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर की गति है।" इनके अनुसार, राज्य आत्मा के उच्चतम विकास का प्रतीक है। यह ईश्वर की महायात्रा का अंतिम पड़ाव है।
  
{समाजिक संविदा का सिद्धांत मुख्य रूप से यह कार्य करने का प्रयत्न करता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-13
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{समाजिक संविदा का सिद्धांत मुख्य रूप से किस प्रकार के कार्य करने का प्रयत्न करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-13
 
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-राज्य के इतिहासिक उद्गम का पता लगाना
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-[[राज्य]] के इतिहासिक उद्गम का पता लगाना
 
+राजनीतिक बाध्यता के आधार की व्याख्या करना
 
+राजनीतिक बाध्यता के आधार की व्याख्या करना
 
-यथास्थिति का औचित्य स्थापित करना
 
-यथास्थिति का औचित्य स्थापित करना
 
-क्रांति द्वारा समाज में आमूल परिवर्तन लाना
 
-क्रांति द्वारा समाज में आमूल परिवर्तन लाना
||सामाजिक संविदा का सिद्धांत मुख्य रूप से राजनीतिक बाध्यता के आधार की व्याख्या करता है। राजनीतिक बाध्यता का सामान्यत: अर्थ राजा के कानूनों का नैतिक रूप से पालन करने से लगाया जाता है। जॉन लॉक ने 'टू ट्रीटाइसिस ऑफ गवर्नमेंट' में राजनीतिक बाध्यता यी व्याख्या करते हुए बताया कि यह व्यक्ति की स्वयं की कल्पना व सहमति है। रूसो ने भी सामाजिक समझौता सिद्धांत में बताया है कि व्यक्ति अपने स्वयं के सहमति प्रदान किए हुए राज्य के नियमों के पालन के लिए बाध्य है।
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||सामाजिक संविदा का सिद्धांत मुख्य रूप से राजनीतिक बाध्यता के आधार की व्याख्या करता है। राजनीतिक बाध्यता का सामान्यत: अर्थ राजा के क़ानूनों का नैतिक रूप से पालन करने से लगाया जाता है। जॉन लॉक ने 'टू ट्रीटाइसिस ऑफ़ गवर्नमेंट' में राजनीतिक बाध्यता की व्याख्या करते हुए बताया कि यह व्यक्ति की स्वयं की कल्पना व सहमति है। रूसो ने भी सामाजिक समझौता सिद्धांत में बताया है कि व्यक्ति अपने स्वयं के सहमति प्रदान किए हुए राज्य के नियमों के पालन के लिए बाध्य है।
  
{राजनीतिक न्याय से तात्पर्य है कि सभी को- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-3
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{राजनीतिक न्याय से क्या तात्पर्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-3
 
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+समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों
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+सभी को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों
-समान आर्थिक अधिकार प्राप्त हों
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-सभी को समान आर्थिक अधिकार प्राप्त हों
-समान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो
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-सभी को समान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो
-हर प्रकार के भेद-भाव से रहित समान सुविधा प्राप्त हो।
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-सभी को हर प्रकार के भेद-भाव से रहित समान सुविधा प्राप्त हो।
||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
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||राजव्यवस्था का प्रभाव समाज के सभी व्यक्तियों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पड़ता है। सभी व्यक्तियों को समान अवसर, समान रूप से प्राप्त होने चाहिएं तथा राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा सभी व्यक्तियों की लाभ प्राप्त भी सुनिश्चित होनी चाहिए, यही राजनीतिक न्याय है। इसकी प्राप्ति स्वाभाविक रूप से एक प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत ही की जा सकती है, जिसका आधार (स्त्रोत) संविधान होता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है-(1) राजनीतिक न्याय प्राप्ति के मुख्य साधन हैं- वयस्क मताधिकार, सभी व्यक्तियों को भाषण- विचार, सम्मेलन, संगठन आदि नागरिक स्वतंत्रताएं, प्रेस की स्वतंत्रता, [[न्यायपालिका]] की स्वतंत्रता, भेद-भाव के बिना सार्वजनिक पदों हेतु सभी को समान अवसर आदि। (2) राजनीतिक न्याय की धारणा में यह तथ्य निहित है कि राजनीति में कोई कुलीन या विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग नहीं होगा।
  
{लेसेज फेयर का क्या अभिप्राय है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-13
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{लेसेज़ फेयर का क्या अभिप्राय है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-13
 
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-धर्मनिरपेक्ष
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-[[धर्मनिरपेक्षता|धर्मनिरपेक्ष]]
 
-समाजवाद
 
-समाजवाद
 
+व्यक्ति को अकेला छोड़ दो
 
+व्यक्ति को अकेला छोड़ दो
 
-इनमें से सभी
 
-इनमें से सभी
||आमतौर पर समझा जाता है कि यह पद 18वीं शताब्दी में फ्रांस के एक व्यक्ति जी.सी.एम. बिसेट द गोर्ने की देन है। व्यापार पर लगी अनेक पाबंदियों से तंग आकर एक दिन उनके मुंह से 'लेसेज फेर' अर्थात 'चीजों को अपने हाल पर छोड़ दो' निकल पड़ा। व्यक्ति- वादियों ने राज्य के हस्तक्षेप से बचने के लिए 'व्यक्ति को अकेला छोड़ दो' के रूप में इसका प्रयोग किया।
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||आमतौर पर समझा जाता है कि यह पद 18वीं शताब्दी में [[फ्रांस]] के एक व्यक्ति जी.सी.एम. बिसेट द गोर्ने की देन है। व्यापार पर लगी अनेक पाबंदियों से तंग आकर एक दिन उनके मुंह से 'लेसेज़ फेर' अर्थात 'चीजों को अपने हाल पर छोड़ दो' निकल पड़ा। व्यक्ति- वादियों ने राज्य के हस्तक्षेप से बचने के लिए 'व्यक्ति को अकेला छोड़ दो' के रूप में इसका प्रयोग किया।
  
{किसने कहा था कि राज्य को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-3
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{किसने कहा था कि [[राज्य]] को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-3
 
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-प्लेटो
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-[[प्लेटो]]
-मार्क्स
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-[[कार्ल मार्क्स]]
+एडम स्मिथ
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+[[एडम स्मिथ]]
-लॉक
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-जॉन लॉक
||नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक/विचारक एडम स्मिथ ने राज्य को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का समर्थन किया। एडम स्मिथ ने आर्थिक क्षेत्र में निजी स्वामित्व के सिद्धांत का समर्थन करते हुए 'अहस्तक्षेप का सिद्धांत' प्रतिपादित किया। इसके अनुसार, व्यक्ति की आर्थिक गतिविधियों में राज्य का हस्तक्षेप न होने पर मनुष्य में कार्य करने की प्रेरणा अधिक होगी जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अधिक से अधिक संपदा उत्पन्न करेगा और वह अंतत: समाज के हित में होगी। स्मिथ के अनुसार "सच्ची स्वतंत्रता वाणिज्य से ही संभव है।"
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||नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थक/विचारक [[एडम स्मिथ]] ने [[राज्य]] को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का समर्थन किया। एडम स्मिथ ने आर्थिक क्षेत्र में निजी स्वामित्त्व के सिद्धांत का समर्थन करते हुए 'अहस्तक्षेप का सिद्धांत' प्रतिपादित किया। इसके अनुसार, व्यक्ति की आर्थिक गतिविधियों में राज्य का हस्तक्षेप न होने पर मनुष्य में कार्य करने की प्रेरणा अधिक होगी जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अधिक से अधिक संपदा उत्पन्न करेगा और वह अंतत: समाज के हित में होगी। स्मिथ के अनुसार "सच्ची स्वतंत्रता वाणिज्य से ही संभव है।"
  
 
{निम्न में से कौन लोकतंत्र को 'स्वीकृत पागलपन' कहता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-4
 
{निम्न में से कौन लोकतंत्र को 'स्वीकृत पागलपन' कहता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-4
 
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||टेलीरैंड के अनुसार, "लोकतंत्र स्वीकृत पागलपन है।" उन्होंने लोकतंत्र को 'दुष्ट लोगों का कुलीनतंत्र' भी कहा है।
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-ल्यूडोविकी
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
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-[[कार्ल मार्क्स]]
लोकतंत्र की आलोचना करने वाले अन्य विद्वानों के कथन निम्नलिखित हैं-
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‌+टेलीरैंड
.प्लेटो, अरस्तू के अनुसार, "लोकतंत्र, भीड़तंत्र या मूर्खतंत्र या विकृत व्यवस्था है।"
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-प्रौंधा
.कार्लाइल के अनुसार, "लोकतंत्र लाखों मूर्खों की सरकार है।"
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||टेलीरैंड के अनुसार, "लोकतंत्र स्वीकृत पागलपन है।" उन्होंने लोकतंत्र को 'दुष्ट लोगों का कुलीनतंत्र' भी कहा है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है-लोकतंत्र की आलोचना करने वाले अन्य विद्वानों के कथन निम्नलिखित हैं- (1) [[प्लेटो]], [[अरस्तू]] के अनुसार, "लोकतंत्र, भीड़तंत्र या मूर्खतंत्र या विकृत व्यवस्था है।" (2) कार्लाइल के अनुसार, "लोकतंत्र लाखों मूर्खों की सरकार है।" (3) लुडोविसी के अनुसार, "लोकतंत्र का अर्थ है [[मृत्यु]]।" (3) वाल्टर वेल के अनुसार, "लोकतंत्र भ्रष्ट प्लेटोवाद है।" (4) एंथनी गिडिन्स के अनुसार, "लोकतंत्र में भावनात्मकता एवं बहुमत अत्याधिकता देखी जाती है।" (4) वार्कर के अनुसार, "लोकतंत्र जुगाड़ों का शासन है।"
.लुडोविसी के अनुसार, "लोकतंत्र का अर्थ है मृत्यु।"
 
.वाल्टर वेल के अनुसार, "लोकतंत्र भ्रष्ट प्लेटोवाद है।"
 
.एंथनी गिडिन्स के अनुसार, "लोकतंत्र में भावनात्मकता एवं बहुमत अत्याधिकता देखी जाती है।"
 
.वार्कर के अनुसार, "लोकतंत्र जुगाड़ों का शासन है।"
 
  
{भाओ के अनुसार, मार्क्सवादी क्रांति में कृषकों की भूमिका- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-13
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{माओ के अनुसार, मार्क्सवादी क्रांति में कृषकों की भूमिका कैसी होगी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-13
 
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-प्रतिक्रियात्मक होगी
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-प्रतिक्रियात्मक  
-शून्य होगी
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-शून्य
+महत्त्वपूर्ण होगी
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+महत्त्वपूर्ण  
-महत्त्वहीन होगी
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-महत्त्वहीन  
||माओ के अनुसार, मार्क्सवादी क्रांति में कृषकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। माओ किसानों को साथ लेकर मार्क्सवदी क्रांति की सफलता के लिए संघर्ष करता रहा। चीन के गांवों में विद्रोही किसानों को एकजुट करते हुए उसने चीन सोवियत रिपब्लिक की नींव रखा।
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||माओ के अनुसार, मार्क्सवादी क्रांति में कृषकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। माओ किसानों को साथ लेकर मार्क्सवदी क्रांति की सफलता के लिए संघर्ष करता रहा। [[चीन]] के गांवों में विद्रोही किसानों को एकजुट करते हुए उसने चीन सोवियत रिपब्लिक की नींव रखी।
  
{"किंतु प्रत्येक व्यक्ति है किस-संसद राजा को ऑस्टिनवादी अर्थ में प्रभुसता-संपन्न संस्था समझना असंगत है" -यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-13
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{"किंतु प्रत्येक व्यक्ति है किस-संसद राजा को ऑस्टिनवादी अर्थ में प्रभुसत्त-संपन्न संस्था समझना असंगत है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-13
 
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-डायसी
 
-डायसी
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-मेटलैंड
 
-मेटलैंड
 
-लॉर्ड ब्राइस
 
-लॉर्ड ब्राइस
||लास्की का कथन है कि "वर्तमान साय में प्रत्येक शक्ति जानता है कि संसद को ऑस्टिनवादी अर्थ में प्रभुसत्ता-संपन्न समझना असंगत है।"
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||लास्की का कथन है कि "वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि संसद को ऑस्टिनवादी अर्थ में प्रभुसत्ता-संपन्न समझना असंगत है।"
  
{हेगेल ने सभ्य समाज को देखा- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-92
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{हेगेल ने सभ्य समाज को किस रूप में देखा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-92
 
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-विशिष्टता के साकार रूप में
 
-विशिष्टता के साकार रूप में
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||हेगेल ने सभ्य समाज को सार्वभौमिकता के साकार के रूप में देखा। इनके अनुसार सार्वभौमिकता अथवा विश्वात्मा का साकार रूप ही राज्य है। पहले यह विश्वात्मा जड़ में फिर धीरे-धीरे समाज में अंतत: राज्य का रूप ले लेती है। हेगेल आदर्शवादी सिद्धांत का प्रवर्तक है।
 
||हेगेल ने सभ्य समाज को सार्वभौमिकता के साकार के रूप में देखा। इनके अनुसार सार्वभौमिकता अथवा विश्वात्मा का साकार रूप ही राज्य है। पहले यह विश्वात्मा जड़ में फिर धीरे-धीरे समाज में अंतत: राज्य का रूप ले लेती है। हेगेल आदर्शवादी सिद्धांत का प्रवर्तक है।
  
{"स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-3
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{"स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-3
 
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+सीले का
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+सीले
-प्लेटो का
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-[[प्लेटो]]
-अरस्तू का
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-[[अरस्तू]]
-लॉक का
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-जॉन लॉक
 
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||"स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक  हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के कानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है।
  
  
  
  
{"राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का पदक्षेप है" किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-14
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{"[[राज्य]] [[पृथ्वी]] पर [[ईश्वर]] का पदक्षेप है" यह किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-14
 
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-काण्ड
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-काण्ट
 
+हीगल  
 
+हीगल  
 
-रूसो
 
-रूसो
 
-बोसांके
 
-बोसांके
||हीगल के अनुसार, राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का अवतरण (पदक्षेप) है। हीगल ने अपनी पुस्तक "The Philosophy of  Rights" में राज्य को मानवीय चेतना का विराट रूप कहा है। हीगल के अनुसार, राज्य चेतना की साकार प्रतिमा है इसलिए राज्य का कानून वस्तुपरक चेतना का मूर्त रूप है। अत: जो कोई कानून का पालन करता है, वही स्वतंत्र है। इस प्रकार हीगले ने निरंकुश राज्य का समर्थन करते हुए व्यक्ति को विरोध का अधिकार नहीं दिया। मुसोलिनी हीगल के इसी विचार से प्रभावित थे, इसलिए हीगल को फॉसीवाद का आध्यात्मिक गुरु कहा जाता है।
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||हीगल के अनुसार, राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का अवतरण (पदक्षेप) है। हीगल ने अपनी पुस्तक "The Philosophy of  Rights" में राज्य को मानवीय चेतना का विराट रूप कहा है। हीगल के अनुसार, राज्य चेतना की साकार प्रतिमा है इसलिए राज्य का क़ानून वस्तुपरक चेतना का मूर्त रूप है। अत: जो कोई क़ानून का पालन करता है, वही स्वतंत्र है। इस प्रकार हीगल ने निरंकुश राज्य का समर्थन करते हुए व्यक्ति को विरोध का अधिकार नहीं दिया। मुसोलिनी हीगल के इसी विचार से प्रभावित थे, इसलिए हीगल को फॉसीवाद का आध्यात्मिक गुरु कहा जाता है।
  
 
{निम्न वक्तव्यों में से कौन-सा वक्तव्य राज्य की उत्पत्ति के विषय में मार्क्सवादी सिद्धांत को स्पष्ट करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-14
 
{निम्न वक्तव्यों में से कौन-सा वक्तव्य राज्य की उत्पत्ति के विषय में मार्क्सवादी सिद्धांत को स्पष्ट करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-14
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+राज्य की उत्पत्ति उत्पादन के शोषणपरक संबंधों के रक्षार्थ हुई
 
+राज्य की उत्पत्ति उत्पादन के शोषणपरक संबंधों के रक्षार्थ हुई
 
-राज्य की उत्पत्ति वर्गविहीन समाज के उद्देश्य से हुई
 
-राज्य की उत्पत्ति वर्गविहीन समाज के उद्देश्य से हुई
||मार्क्सवाद के अनुसार, राज्य की उत्पत्ति किसी नैतिक की सिद्धि के लिए नहीं हुई है बल्कि यह एक कृत्रिम संस्था है, जिसकी उत्पत्ति संपत्तिशाली-वर्ग के हितों की सुरक्षा के लिए हुई है। राज्य एक ऐसी संस्था है जो एक वर्ग के द्वारा दूसरे वर्ग के दमन और शोषण के लिए स्थापित की गई है। इसमें उत्पादन के साधनों पर पूंजीपति व्यक्तियों व्यक्तियों का अधिकार बना रहता है। इसलिए मार्क्स राज्यविहीन समाज की स्थापना की वकालत करता है।
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||मार्क्सवाद के अनुसार, राज्य की उत्पत्ति किसी नैतिक की सिद्धि के लिए नहीं हुई है बल्कि यह एक कृत्रिम संस्था है, जिसकी उत्पत्ति संपत्तिशाली-वर्ग के हितों की सुरक्षा के लिए हुई है। राज्य एक ऐसी संस्था है जो एक वर्ग के द्वारा दूसरे वर्ग के दमन और शोषण के लिए स्थापित की गई है। इसमें उत्पादन के साधनों पर पूंजीपति व्यक्तियों का अधिकार बना रहता है। इसलिए मार्क्स राज्यविहीन समाज की स्थापना की वकालत करता है।
  
{राल्स की न्याय की धारणा है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-4
+
{जॉन राल्स के की न्याय की धारणा क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-4
 
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-समाजवादी
 
-समाजवादी
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-समुदायवादी
 
-समुदायवादी
 
+उदारवादी
 
+उदारवादी
||जॉन राल्स (1921-2002) 20वीं सदी के उदारवादी परम्परा के अमेरिकी विचारक हैं। इनकी पुस्तक (थ्योरी ऑफ़ जस्टिस) न्याय की अवधारणा के विकास में महत्त्वपूर्ण है। इसमें इन्होंने आज के उदारवादी समतावादी राज्य के अनुरूप न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इनका न्याय सिद्धान्त हॉब्स, लॉक, रूसो की भांति सामाजिक समझौते पर आधारित है।इनके न्याय सिद्धान्त को शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय सिद्धांत कहा जाता हैं इनके अनुसार राज्य का कार्य केवल सामाजिक व्यवस्था की सुरक्षा करना नहीं है बल्कि सबसे अधिक जरुरत मंद लोगों की आवश्यकताओं को उच्चतम सामाजिक आदर्श बना कर मूल पदार्थों (वेतन, संपत्ति, अवसर, अधिकार, स्वतंत्रता, तथा स्वास्थ्य, शक्ति, क्षमता) को पुनर्वितरण द्वारा उपलब्ध कराना है। रोल्स के अनुसार न्याय पुरस्कार का सिद्धांत न होकर क्षतिपूर्ति का सिद्धांत है।
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||जॉन राल्स ([[1921]]-[[2002]]) 20वीं सदी के उदारवादी परम्परा के अमेरिकी विचारक हैं। इनकी पुस्तक (थ्योरी ऑफ़ जस्टिस) न्याय की अवधारणा के विकास में महत्त्वपूर्ण है। इसमें इन्होंने आज के उदारवादी समतावादी [[राज्य]] के अनुरूप न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इनका न्याय सिद्धान्त हॉब्स, लॉक, रूसो की भांति सामाजिक समझौते पर आधारित है। इनके न्याय सिद्धान्त को शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय सिद्धांत कहा जाता हैं इनके अनुसार राज्य का कार्य केवल सामाजिक व्यवस्था की सुरक्षा करना नहीं है बल्कि सबसे अधिक जरुरत मंद लोगों की आवश्यकताओं को उच्चतम सामाजिक आदर्श बना कर मूल पदार्थों (वेतन, संपत्ति, अवसर, अधिकार, स्वतंत्रता, तथा स्वास्थ्य, शक्ति, क्षमता) को पुनर्वितरण द्वारा उपलब्ध कराना है। राल्स के अनुसार न्याय पुरस्कार का सिद्धांत न होकर क्षतिपूर्ति का सिद्धांत है।
  
{"राजनीति के बिना इतिहास निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" यह कथन निम्नलिखित में से किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-14
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{"राजनीति के बिना [[इतिहास]] निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" यह कथन निम्नलिखित में से किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-14
 
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-सेबाइन
 
-सेबाइन
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-बार्कर
 
-बार्कर
 
-वेपर
 
-वेपर
||इतिहास में व्यक्ति, समाज और राज्य के भूतकालीन जीवन का लेखा- जोखा होता है। राजनीति विज्ञान में राज्य के भूत, वर्तमान तथा भविष्य का अध्ययन। इन दोनों के बीच संबंधों को दर्शाते हुए सीले ने कहा है कि "राजनीति के बिना इतिहास निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" सीले पुन: कहते है, "राजनीति उच्छृंखल हो जाती है, यदि इतिहास द्वारा उसे उदार नहीं बनाया जाता तथा इतिहास कोरा साहित्य रहा जाता है, यदि राजनीति से उसका विच्छेद हो आता है।"
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||इतिहास में व्यक्ति, समाज और [[राज्य]] के भूतकालीन जीवन का लेखा-जोखा होता है। राजनीति विज्ञान में राज्य के भूत, वर्तमान तथा भविष्य का अध्ययन। इन दोनों के बीच संबंधों को दर्शाते हुए सीले ने कहा है कि "राजनीति के बिना [[इतिहास]] निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" सीले पुन: कहते है, "राजनीति उच्छृंखल हो जाती है, यदि इतिहास द्वारा उसे उदार नहीं बनाया जाता तथा इतिहास कोरा साहित्य रह जाता है, यदि राजनीति से उसका विच्छेद हो जाता है।"
  
 
{संपत्ति  के अधिकार की मांग किसने की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-4
 
{संपत्ति  के अधिकार की मांग किसने की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-4
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-समाजवाद
 
-समाजवाद
 
-गांधीवाद
 
-गांधीवाद
||उदारवाद के प्रणेता जॉन लॉक ने जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार को प्राकृतिक अधिकार माना और कहा कि इन्हीं अधिकारों की सुरक्षा के लिए राज्य की उत्पत्ति हुई और उसका अस्तित्व बना हुआ है। लॉक इन अधिकारों में सबसे महत्त्वपूर्ण 'संपत्ति के अधिकार' को मानता है।
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||उदारवाद के प्रणेता जॉन लॉक ने जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार को प्राकृतिक अधिकार माना और कहा कि इन्हीं अधिकारों की सुरक्षा के लिए [[राज्य]] की उत्पत्ति हुई और उसका अस्तित्त्व बना हुआ है। लॉक इन अधिकारों में सबसे महत्त्वपूर्ण 'संपत्ति के अधिकार' को मानता है।
  
 
{निम्न में से किसने लोकतंत्र को 'एक जीवन रैली' के रूप में परिभाषित किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-5
 
{निम्न में से किसने लोकतंत्र को 'एक जीवन रैली' के रूप में परिभाषित किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-5
 
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-एडम स्मिथ
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-[[एडम स्मिथ]]
 
-इ. बर्क
 
-इ. बर्क
-एच. लास्की
+
-हेरोल्ड लास्की
 
+टी.वी. स्मिथ
 
+टी.वी. स्मिथ
||टी.वी. स्मिथ 'लोकतंत्र को एक जीवन-शैली के रूप में' परिभाषित करते हैं। इसके अतिरिक्त मैकाइवर ने भी लोकतंत्र को एक जीवन पद्धति के रूप में परिभाषित किया हैं।
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||टी.वी. स्मिथ 'लोकतंत्र को एक जीवन-शैली के रूप में' परिभाषित करते हैं। इसके अतिरिक्त मैकाइवर ने भी लोकतंत्र को एक जीवन पद्धति के रूप में परिभाषित किया हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) ऑस्टिन, डायसी, लावेल, ब्राइस आदि विचारक लोकतंत्र को सरकार के निर्वाचन की पद्धति के रूप में देखते हैं। (2) मैक्फर्सन के अनुसार, "लोकतंत्र चयन की ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोक निर्णय लिए जाते हैं।" (3) लॉरेन्स लावेल के अनुसार, "लोकतंत्र में कोई यह शिकायत नहीं कर सकता कि उसे सुनवाई का मौका नहीं मिला।" (4) वाल्टर बेजहाट के अनुसार, "लोकतंत्र, लोकशक्ति को भ्रमित करने का सबसे बड़ा तरीक़ा है। यह भ्रम इसलिए स्थापित होता है क्योंकि लोकतंत्र में वाद-विवाद एवं सहिष्णुता के लक्षण हैं जो लोगों को अधिकारों के भ्रमजाल में फंसाते हैं।"
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
 
.ऑस्टिन, डायसी, लावेल, ब्राइस आदि विचारक लोकतंत्र को सरकार के निर्वाचन के पद्धति के रूप में देखते हैं।
 
.मैक्फर्सन के अनुसार, "लोकतंत्र चयन की ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोक निर्णय लिए जाते हैं।"
 
.लॉरेन्स लावेज के अनुसार, "लोकतंत्र में कोई यह शिकायत नहीं कर सकता कि उसे सुनवाई का मौका नहीं मिला।"
 
.वाल्टर बेजहाट के अनुसार, "लोकतंत्र, लोकशक्ति को भ्रमित करने का सबसे बड़ा तरीका है। यह भ्रम इसलिए स्थापित होता है क्योंकि लोकतंत्र में वाद-विवाद एवं सहिष्णुता के लक्षण हैं जो लोगों को अधिकारों के भ्रमजाल में फंसाले हैं।"
 
  
{'लोक युद्ध' की संकल्पना विकसित करने का श्रेय जाता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-14
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{'लोक युद्ध' की संकल्पना विकसित करने का श्रेय किसको जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-14
 
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-लेनिन को
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-व्लादिमीर लेनिन
-रूसो को
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-रूसो  
-ग्राम्सी को
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-ग्राम्सी  
+माओत्से-तुंग को
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+माओत्से-तुंग  
||'लोक युद्ध' का सिद्धांत माओत्से-तुंग की अपनी विशिष्ट एवं मौलिक संकल्पना है। इसके अंतर्गत माओ ने सेना व हथियारों की तुलना में जनता को अधिक महत्त्व प्रदान किया। माओ के अनुसार, युद्ध में हथियारों का अपना महत्त्व है पर वे निर्णायक तत्त्व नहीं हैं। निर्णय मनुष्यों द्वारा किया जाना है, जड़ वस्तुओं के द्वारा नहीं। लोक युद्ध को सफल बनाने के लिए वह गुरिल्ला युद्ध या छापामार युद्ध पर अत्यधिक बल देता है।
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||'लोक युद्ध' का सिद्धांत माओत्से-तुंग की अपनी विशिष्ट एवं मौलिक संकल्पना है। इसके अंतर्गत माओ ने सेना व हथियारों की तुलना में जनता को अधिक महत्त्व प्रदान किया। माओ के अनुसार, युद्ध में हथियारों का अपना महत्त्व है पर वे निर्णायक तत्त्व नहीं हैं। निर्णय मनुष्यों द्वारा किया जाना है, जड़ वस्तुओं के द्वारा नहीं। लोक युद्ध को सफल बनाने के लिए वह [[गुरिल्ला युद्ध]] या छापामार युद्ध पर अत्यधिक बल देता है।
  
 
{मॉर्टन कैप्लन ने अंतर्राष्ट्रीय राज्यव्यवस्था के निम्न में से किस प्रतिमान की कल्पना नहीं की थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-14
 
{मॉर्टन कैप्लन ने अंतर्राष्ट्रीय राज्यव्यवस्था के निम्न में से किस प्रतिमान की कल्पना नहीं की थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-14
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-शिथिल द्विध्रुवीय व्यवस्था
 
-शिथिल द्विध्रुवीय व्यवस्था
 
-दृढ़ द्विध्रुवीय व्यवस्था
 
-दृढ़ द्विध्रुवीय व्यवस्था
||अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को समझने, उसके विश्लेषण एवं भविष्य की चुनौतियों के समाधान के लिए मॉर्टन कैप्लान की 1957 की कृति System and Process in International Politics विश्वराजनीति का संरचनात्मक विश्लेषण के रूप में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास था। कैप्लान ने अपनी इस पुस्तक में अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार के निम्न छ: मॉडल प्रस्तुत किए हैं-
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||अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को समझने, उसके विश्लेषण एवं भविष्य की चुनौतियों के समाधान के लिए मॉर्टन कैप्लान की [[1957]] की कृति System and Process in International Politics विश्व राजनीति का संरचनात्मक विश्लेषण के रूप में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास था। कैप्लन ने अपनी इस पुस्तक में अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार के निम्न छ: मॉडल प्रस्तुत किए हैं- 1. शक्ति संतुलन व्यवस्थ, 2. ढीली द्विध्रुवीय व्यवस्था, 3. कठोर द्विध्रुवीय व्यवस्था, 4. सार्वभौमिक व्यवस्था
1.शक्ति संतुलन व्यवस्थ, 2.ढीली द्विध्रुवीय व्यवस्था, 3.कठोर द्विध्रुवीय व्यवस्था, 4.सार्वभौमिक व्यवस्था
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5. पदसोपानीय व्यवस्था, 6. इकाई निषेधाधिकार व्यवस्था
5.पदसोपानीय व्यवस्था, 6.इकाई निषेधाधिकार व्यवस्था
 
  
 
{राजनीतिक संस्कृति का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-93
 
{राजनीतिक संस्कृति का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-93
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-सिडनी वेब
 
-सिडनी वेब
 
+आमंड
 
+आमंड
-लाववेल
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-लासवेल
||वर्ष 1963 में अमेरिकी राजनीति वैज्ञानिक आमंड ने राजनीतिक संस्कृति का सबसे पहले प्रयोग किया। राजनीतिक संस्कृति का तात्पर्य संस्कृति के उन पक्षों से है जो राजनीति को प्रभावित करते हैं।
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||वर्ष [[1963]] में अमेरिकी राजनीति वैज्ञानिक आमंड ने राजनीतिक संस्कृति का सबसे पहले प्रयोग किया। राजनीतिक संस्कृति का तात्पर्य संस्कृति के उन पक्षों से है जो राजनीति को प्रभावित करते हैं।
  
 
{किसने कहा स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-4
 
{किसने कहा स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-4
 
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-बैंथम  
 
-बैंथम  
-लॉक
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-जॉन लॉक
 
-कांट
 
-कांट
 
+सीले
 
+सीले
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||''स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक  हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के कानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है।
  
  
  
  
 
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{निम्न में किस विद्वान ने 'समाज को ईंट तथा [[राज्य]] को सीमेंट' कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-15
{निम्न में किस विद्वान ने 'समाज को ईंट तथा राज्य को सीमेंट' कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-15
 
 
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+आशीर्वादम ने
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+आशीर्वादम
-गिलक्रिस्ट ने
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-[[गिलक्राइस्ट|गिलक्रिस्ट]]
-गेटेल ने
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-गेटेल
-गार्नर ने
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-गार्नर
||आशीर्वादम ने समाज को ईंट तथा राज्य को सीमेंट कहा है। डॉ आशीर्वादम ने अपनी पुस्तक 'राजनीति विज्ञान' में 'राज्य का स्वरूप' अध्याय में राज्य और समाज के मध्य संबंधो पर विस्तृत चर्चा किया है। इसमें टिप्पणी करते हुए इन्होंने लिखा है कि ईटों की दीवार में ईटें यदि समाज है तो उनके बीच लगी सीमेंट राज्य, जो ईटों अपनी जगह पर बनाये रखती है ताकि दीवार ज्यों की त्यों कायम रहे। इसी प्रकार राज्य एवं समाज के मध्य संबंधों पर बार्कर ने लिखा है कि "समाज राज्य द्वारा कायम रखा जाता है औद यदि समाज इस प्रकार कायम न रखा जाए तो इसका अस्तित्व ही नहीं रहे।"
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||आशीर्वादम ने समाज को ईंट तथा राज्य को सीमेंट कहा है। डॉ. आशीर्वादम ने अपनी पुस्तक 'राजनीति विज्ञान' में 'राज्य का स्वरूप' अध्याय में राज्य और समाज के मध्य संबंधो पर विस्तृत चर्चा किया है। इसमें टिप्पणी करते हुए इन्होंने लिखा है कि ईटों की दीवार में ईटें यदि समाज है तो उनके बीच लगी सीमेंट राज्य, जो ईटों को अपनी जगह पर बनाये रखती है ताकि दीवार ज्यों की त्यों कायम रहे। इसी प्रकार राज्य एवं समाज के मध्य संबंधों पर बार्कर ने लिखा है कि "समाज राज्य द्वारा कायम रखा जाता है औद यदि समाज इस प्रकार कायम न रखा जाए तो इसका अस्तित्व ही नहीं रहे।"
  
{वर्तमान समय में राज्य की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत सबसे अधिक भान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-15
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{वर्तमान समय में [[राज्य]] की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत सबसे अधिक मान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-15
 
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+ऐतिहासिक  
 
+ऐतिहासिक  
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-दैवी
 
-दैवी
 
-शक्ति
 
-शक्ति
||वर्तमान समय में राज्य की उत्पत्ति का विकासवादी अर्थात ऐतिहासिक सिद्धांत सबसे अधिक भान्य व सही है। इस सिद्धांत के अनुसार, राज्य समस्त अतीत में हुए विकास का फल है। यह अनेक तत्वों जैसे- सामाजिक भावना, रक्त बंधन, शक्ति, आर्थिक गतिविधियों, धर्म तथा राजनीतिक चेतना का फल है। राज्य का विकास धीरे-धीरे हुआ है। यह कबीली चरण से राष्ट्रीय और वैश्वीकरण की तरफ अग्रसर है। बर्गेस के अनुसार, 'मानव प्रकृति के सार्वभौम सिद्धांतों की क्रमिक पूर्णता ही राज्य है"।
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||वर्तमान समय में राज्य की उत्पत्ति का विकासवादी अर्थात ऐतिहासिक सिद्धांत सबसे अधिक मान्य व सही है। इस सिद्धांत के अनुसार, राज्य समस्त अतीत में हुए विकास का फल है। यह अनेक तत्त्वों जैसे- सामाजिक भावना, रक्त बंधन, शक्ति, आर्थिक गतिविधियों, [[धर्म]] तथा राजनीतिक चेतना का फल है। राज्य का विकास धीरे-धीरे हुआ है। यह कबीली चरण से राष्ट्रीय और वैश्वीकरण की तरफ़ अग्रसर है। बर्गेस के अनुसार, 'मानव प्रकृति के सार्वभौम सिद्धांतों की क्रमिक पूर्णता ही राज्य है"।
  
{"एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धांत का मौतिक अंग है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-5
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{"एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धांत का भौतिक अंग है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-5
 
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+जान राल्स
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+जॉन राल्स
-लॉर्ड एक्टान
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-लॉर्ड एक्टन
 
-टॉनी
 
-टॉनी
 
-जे.एस. मिल
 
-जे.एस. मिल
||"एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धान्त का मौलिक अंग है", यह कथन जॉन राल्स का है। जॉन राल्स ने अपनी कृति 'ए थ्योरी ऑफ जस्टिस' में सामाजिक संविदा और कांट के विधि- दर्शन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। जॉन राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को 'शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय' की संज्ञा प्रदान की है।
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||"एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धान्त का मौलिक अंग है", यह कथन जॉन राल्स का है। जॉन राल्स ने अपनी कृति 'ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस' में सामाजिक संविदा और कांट के विधि-दर्शन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। जॉन राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को 'शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय' की संज्ञा प्रदान की है।
  
{किसने कहा "इतिहास का राजनीति विज्ञान के बिना फल नहीं तथा राजनीति विज्ञान का इतिहास के बिना जड़ नहीं": (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-15
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{"[[इतिहास]] का राजनीति विज्ञान के बिना फल नहीं तथा राजनीति विज्ञान का इतिहास के बिना जड़ नहीं" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-15
 
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-गार्नर
 
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-पॉल जेनेट
 
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इतिहास में व्यक्ति, समाज और [[राज्य]] के भूतकालीन जीवन का लेखा-जोखा होता है। राजनीति विज्ञान में राज्य के भूत, वर्तमान तथा भविष्य का अध्ययन। इन दोनों के बीच संबंधों को दर्शाते हुए सीले ने कहा है कि "राजनीति के बिना [[इतिहास]] निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" सीले पुन: कहते है, "राजनीति उच्छृंखल हो जाती है, यदि इतिहास द्वारा उसे उदार नहीं बनाया जाता तथा इतिहास कोरा साहित्य रह जाता है, यदि राजनीति से उसका विच्छेद हो जाता है।"
  
{'सामाजिक अभियांत्रिकी' का सिद्धांत' प्रस्तुत करने वाले उदारवादी विचारक हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-5
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{'सामाजिक अभियांत्रिकी' का सिद्धांत' प्रस्तुत करने वाले उदारवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-5
 
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-सी.बी. मैक्फर्सन
 
-सी.बी. मैक्फर्सन
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-जॉन राल्स
 
-जॉन राल्स
 
-एल.टी. हॉब हाऊस
 
-एल.टी. हॉब हाऊस
||'सामाजिक अभियांत्रिकी का सिद्धांत' कार्य पॉपर ने प्रस्तुत किया था। कार्ल पॉपर को राजनीतिक चिंतन और व्यवहार के क्षेत्र में वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करने के लिए जाना जाता है। अपनी कृति 'द ओपेन सोसाइटी एंड इट्स एनिमीज' के अंतर्गत पॉपर ने विशेष रूप से तीन विचारकों की मान्यताओं पर प्रहार किया। ये तीन विचारक प्लेटो, हेगेल व मार्क्स हैं। पॉपर ने 'पद्धति वैज्ञानिक व्यक्तिवाद' तथा 'उत्तरोत्तर परिवर्तन व्यक्तिवाद का सिद्धांत' भी प्रतिपादित किया।
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||'सामाजिक अभियांत्रिकी का सिद्धांत' कार्ल पॉपर ने प्रस्तुत किया था। कार्ल पॉपर को राजनीतिक चिंतन और व्यवहार के क्षेत्र में वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करने के लिए जाना जाता है। अपनी कृति 'द ओपेन सोसाइटी एंड इट्स एनिमीज' के अंतर्गत पॉपर ने विशेष रूप से तीन विचारकों की मान्यताओं पर प्रहार किया। ये तीन विचारक [[प्लेटो]], हेगेल व [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] हैं। पॉपर ने 'पद्धति वैज्ञानिक व्यक्तिवाद' तथा 'उत्तरोत्तर परिवर्तन व्यक्तिवाद का सिद्धांत' भी प्रतिपादित किया।
  
 
{प्रतिनिधित्व का कौन-सा सिद्धांत प्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रतिष्ठा देता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-6
 
{प्रतिनिधित्व का कौन-सा सिद्धांत प्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रतिष्ठा देता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-6

12:10, 2 अप्रैल 2017 का अवतरण

सिन्टॅक्स त्रुटि

1 यह कथन किसका है कि "बिना भू-भाग के भी राज्य का अस्तित्व रह सकता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-11

गार्नर
मैकाइवर
सीले
विलोबी

2 लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता किस कारण किया था?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-11

उनके अधिकारों की रक्षा हो सके
पोपतंत्र का दमन किया जा सके
गृह युद्धों का अंत हो सके
शासकीय चर्च की स्थापना हो सके

3 निम्न में से न्याय का क्या अर्थ है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-1

कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
भेदभाव किया जा सकता है।
राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।
बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।

4 निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-11

हेराल्ड लास्की
जेम्स मिल
हर्बर्ट स्पेंसर
अरस्तू

5 निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1

बाजार संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल करता है।
वरण के परास को मजबूत करने के लिए सक्षमकार संसाधन व्यक्तियों और समूहों को प्रदान किए जाने चाहिए।
एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है।
निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है।

6 लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2

सी.डी. बर्न्स
लॉर्ड ब्राइस
हेरल्ड जे.लास्की
वाल्टर बेजहाट

7 मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11

वर्ग संघर्ष के संदर्भ में
वर्ग सहयोग एवं विवाह के संदर्भ में
नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में
नस्लीय सहयोग के संदर्भ में

8 अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11

मार्गेथाउ
पामर एवं पार्किंस
नाइबहर
स्प्राउट

9 हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का क्या अर्थ हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-90

सम्प्रभु
समाज, राज्य एवं सरकार के लिए सामूहिक नाम
प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग
उपर्युक्त में से कोई नहीं

10 "सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-1

ब्राइस
मैकाइवर
वाशिंगटन
मार्क्स

11 निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6,प्रश्न-12

हाल
स्पेंसर
उपर्युक्त दोनों
उपर्युक्त में दे कोई नहीं

12 हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को कौन-कौन से अधिकार सौंपे थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12

केवल विद्रोह का अधिकार सौंपा
केवल धार्मिक अधिकार सौंपा
लगभग सभी अधिकार सौप दिए
केवल राजनैतिक अधिकार सौंपा

13 राजनीतिक न्याय किसके द्वारा सुनिश्चित होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-2

विधायिका द्वारा
संविधान द्वारा
राजनीतिक दलों द्वारा
निर्वाचन सत्ता द्वारा

14 'योग्यत्तम की अतिजीविता' का सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-12

प्लेटो
हर्बर्ट स्पेंसर
रूसो
लॉक

15 "अनियंत्रित बाजार आधारित पूंजीवाद का परिणाम होगा- कार्यकुशलता, उत्पादन वृद्धि तथा व्यापक संपन्नता।" यह विश्वास किसके साथ जुड़ा है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-2

नव उदारवाद के साथ
नव अनुदारवाद के साथ
नव मार्क्सवाद के साथ
इनमें से किसी के साथ नहीं

16 लोकतंत्र में 'गुटतंत्र के लौह नियम' का प्रतिपादन किसने किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-3

राबर्ट मिशेल्स
विल्फ्रेटो पैरेटो
गेतानो मोस्का
रेमों आरों

17 सतत क्रांति का सिद्धांत किसने दिया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-12

मार्क्स
लेनिन
माओ
हो-ची मिन्ह

18 मूने के अनुसार स्टाफ कार्य के तीन पक्ष कौन-कौन से हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-12

सूचनात्मक
परामर्शकारी
पर्यवेक्षणात्मक
उपुर्युक्त सभी

19 निम्नलिखित में से कौन खेल सिद्धांत से नहीं जुड़े हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-91

आरगांसकी
स्नाइडर
हर्सेन्यि
सेलिंग

20 "स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-2

मिल
लास्की
बार्कर
सीले

21 किसने कहा "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर की गति है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-13

बेथम
जे.एस. मिल
कार्ल मार्क्स
हीगल

22 समाजिक संविदा का सिद्धांत मुख्य रूप से किस प्रकार के कार्य करने का प्रयत्न करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-13

राज्य के इतिहासिक उद्गम का पता लगाना
राजनीतिक बाध्यता के आधार की व्याख्या करना
यथास्थिति का औचित्य स्थापित करना
क्रांति द्वारा समाज में आमूल परिवर्तन लाना

23 राजनीतिक न्याय से क्या तात्पर्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-3

सभी को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों
सभी को समान आर्थिक अधिकार प्राप्त हों
सभी को समान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो
सभी को हर प्रकार के भेद-भाव से रहित समान सुविधा प्राप्त हो।

24 लेसेज़ फेयर का क्या अभिप्राय है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-13

धर्मनिरपेक्ष
समाजवाद
व्यक्ति को अकेला छोड़ दो
इनमें से सभी

25 किसने कहा था कि राज्य को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-3

प्लेटो
कार्ल मार्क्स
एडम स्मिथ
जॉन लॉक

26 निम्न में से कौन लोकतंत्र को 'स्वीकृत पागलपन' कहता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-4

ल्यूडोविकी
कार्ल मार्क्स
प्रौंधा

27 माओ के अनुसार, मार्क्सवादी क्रांति में कृषकों की भूमिका कैसी होगी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-13

प्रतिक्रियात्मक
शून्य
महत्त्वपूर्ण
महत्त्वहीन

28 "किंतु प्रत्येक व्यक्ति है किस-संसद राजा को ऑस्टिनवादी अर्थ में प्रभुसत्त-संपन्न संस्था समझना असंगत है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-13

डायसी
लास्की
मेटलैंड
लॉर्ड ब्राइस

29 हेगेल ने सभ्य समाज को किस रूप में देखा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-92

विशिष्टता के साकार रूप में
एकता के साकार रूप में
सार्वभौमिकता के साकार रूप में
समुदाय के साकार रूप में

30 "स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-3

सीले
प्लेटो
अरस्तू
जॉन लॉक

31 "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का पदक्षेप है" यह किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-14

काण्ट
हीगल
रूसो
बोसांके

32 निम्न वक्तव्यों में से कौन-सा वक्तव्य राज्य की उत्पत्ति के विषय में मार्क्सवादी सिद्धांत को स्पष्ट करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-14

राज्य की उत्पत्ति साधनों का विकास करने के उद्धेश्य से हुई
राज्य की उत्पत्ति उत्पादन की विधि में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से हुई
राज्य की उत्पत्ति उत्पादन के शोषणपरक संबंधों के रक्षार्थ हुई
राज्य की उत्पत्ति वर्गविहीन समाज के उद्देश्य से हुई

33 जॉन राल्स के की न्याय की धारणा क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-4

समाजवादी
उपयोगितावादी
समुदायवादी
उदारवादी

34 "राजनीति के बिना इतिहास निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" यह कथन निम्नलिखित में से किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-14

सेबाइन
सीले
बार्कर
वेपर

35 संपत्ति के अधिकार की मांग किसने की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-4

मार्क्सवाद
उदारवाद
समाजवाद
गांधीवाद

36 निम्न में से किसने लोकतंत्र को 'एक जीवन रैली' के रूप में परिभाषित किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-5

एडम स्मिथ
इ. बर्क
हेरोल्ड लास्की
टी.वी. स्मिथ

37 'लोक युद्ध' की संकल्पना विकसित करने का श्रेय किसको जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-14

व्लादिमीर लेनिन
रूसो
ग्राम्सी
माओत्से-तुंग

38 मॉर्टन कैप्लन ने अंतर्राष्ट्रीय राज्यव्यवस्था के निम्न में से किस प्रतिमान की कल्पना नहीं की थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-14

शक्ति संतुलन की व्यवस्था
उत्तर परमाणु युद्ध मॉडल
शिथिल द्विध्रुवीय व्यवस्था
दृढ़ द्विध्रुवीय व्यवस्था

39 राजनीतिक संस्कृति का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-93

फाइनर
सिडनी वेब
आमंड
लासवेल

40 किसने कहा स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-4

बैंथम
जॉन लॉक
कांट
सीले

41 निम्न में किस विद्वान ने 'समाज को ईंट तथा राज्य को सीमेंट' कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-15

आशीर्वादम
गिलक्रिस्ट
गेटेल
गार्नर

42 वर्तमान समय में राज्य की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत सबसे अधिक मान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-15

ऐतिहासिक
आर्थिक
दैवी
शक्ति

43 "एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धांत का भौतिक अंग है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-5

जॉन राल्स
लॉर्ड एक्टन
टॉनी
जे.एस. मिल

44 "इतिहास का राजनीति विज्ञान के बिना फल नहीं तथा राजनीति विज्ञान का इतिहास के बिना जड़ नहीं" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-15

गार्नर
ब्लण्टशली
सीले
पॉल जेनेट

45 'सामाजिक अभियांत्रिकी' का सिद्धांत' प्रस्तुत करने वाले उदारवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-5

सी.बी. मैक्फर्सन
कार्ल जे. पॉपर
जॉन राल्स
एल.टी. हॉब हाऊस

46 प्रतिनिधित्व का कौन-सा सिद्धांत प्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रतिष्ठा देता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-6

प्रतिक्रियावादी सिद्धांत
अनुदारवादी सिद्धांत
उदारवादी सिद्धांत
क्रांतिकारी सिद्धांत

47 'श्रमिकों की तानाशाही' के सिद्धांत को किसने सुपरिष्कृत किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-15

कार्ल मार्क्स ने 'दास-कैपिटल' में
कार्ल मार्क्स एव ऐंजिल्स ने 'कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो' में
ऐंजिल्स ने 'आरिजिन ऑफ़ फैमिली प्रानवेट प्रॉपर्टी एंड स्टेट' में
लेनिन ने 'स्टे एंड रिवोल्यूशन' में

48 संरचनात्मक-प्रकार्यात्म क उपागम किसके नाम से जुड़ा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-15

आमंड और पावेल
डेविड ईस्टन
राबर्ट डाउल
ओ.आर. यंग

49 कौन-सी सत्ता प्रत्यायोजित नहीं की जानी चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-94

वित्त संबंधी शक्ति
नियम बनाने की शक्ति
नीति निर्धारित करने की शक्ति
इनमें से कोई नहीं

50 नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा निम्नलिखित में से किस एक पर बल देती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-5

समानता
स्वायत्तता
हस्तक्षेप की अनुपस्थिति
पसंद की स्वतंत्रता

51 किसने कहा "राजनीति शास्त्र का राज्य से प्रारंभ और राज्य के साथ ही अंत होता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-16

कोकर
सैबाइन
गार्नर
अरस्तू

52 राज्य की उत्पत्ति के संबंध में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-16

दैवीय उत्पत्ति का सिद्धांत
शक्ति का सिद्धांत
विकासवादी सिद्धांत
सामाजिक समझौता सिद्धांत

53 जॉन राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को क्या संज्ञा दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-6

वितरणात्मक न्याय
सर्वसुलम न्याय
प्रत्ययात्मक न्याय
शुद्ध प्रक्रियात्मक याय

54 "शक्ति की राजनीति, लोक कल्याण की राजनीति, तकनीकी राजनीति तथा दलीय राजनीति की प्रवृत्ति केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति का मुख्य कारण रहा है"- किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-16

प्रो.सी.एफ. स्ट्रांग
प्रो.के.सी ह्वीयर
प्रो. लास्की
जेम्स वाइस

55 निम्नलिखित में से किसका उदारवाद से मेल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-6

बुर्जुआ राज्य
प्रतिनिधि सरकार
लोक कल्याणकारी राज्य
सीमित सरकार

56 किसने कहा था- "सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार वास्तव में सार्वभौमिक नहीं है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-7

गिलक्राइस्ट
लास्की
गैटेल
गार्नर

57 लेनिन के अनुसार साम्राज्यवाद- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-16

पूंजीवाद की निम्नतम अवस्था है
पूंजीवाद का संकुचन है
पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था है
पूंजीवाद का समाजवाद में दिलय

58 निम्नलिखित में से कौन आमण्ड के हित-अभिव्यक्त करने वाली संरचनाओं के वर्गीकरण में शामिल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-16

संस्थात्मक संरचनाएं
समुदायात्मक संरचनाएं
प्रजातीय संरचनाएं
प्रदर्शनात्मक संरचनाएं

59 'मूल्य तटस्थता' निम्न में से किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-95

अराजकतावादियों की
बहुलवादियों की
मार्क्सवादियों की
व्यवहारवादियों की

60 "आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता मिथक है।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-6

ग्रीन
जे.एस. मिल
जी.डी.एच. कोल
लास्की

61 "राजनीति शास्त्र का 'प्रारंभ और अंत' राज्य के साथ ही होता है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-17

लीकॉक का
गिलक्राइस्ट का
गार्नर का
लास्कीका

62 राज्य की उत्पत्ति का सबसे सही सिद्धांत है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-17

दैवति उत्पत्ति सिद्धांत
शक्ति सिद्धांत
पैतृक सिद्धांत
विकासकारी सिद्धांत

63 राल्स के अनुसार न्याय के लक्षण हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-7

न्याय समाज का प्रथम सद्गुण है
प्रक्रियात्मक न्याय की प्रधानता
सामाजिक न्याय से सरोकार
उपर्युक्त सभी

64 "राजनीति विज्ञान शक्ति की रचना और भागीदारी का अध्ययन है।" यह परिभाषा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-17

आलमंड एंड पावेल
लासवेल व काप्लान
राबर्ट ए. डहल
गिलक्राइस्ट

65 उदारवाद का मौलिक सिद्धांत है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-7

वैयक्तिक स्वतंत्रता
सामाजिक न्याय
समानता
राष्ट्रवाद

66 "सभी मनुष्यों को कुछ समय के लिए और कुछ मनुष्यों को सदैव के लिए मूर्ख बनाया जा सकता है, लेकिन अभी मनुष्यों को सदैव के लिए मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।" यह किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-8

ब्राइस
अब्राहम लिंकन
लास्की
लॉवेल

67 राज्यहीन, वर्गहीन समाज पर किस विचारक का विश्वास था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-17

प्लेटो
अरस्तू
मार्क्स
जान लॉक

68 इनमें से किसे 'वैज्ञानिक प्रबंध का' पिता कहा जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-17

एल्टन मेयो
बर्नार्ड
मैक्सवेबर
एफ.डब्ल्यू. टेलर

69 राजनीतिक चेतना का अर्थ है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-96

समाज के प्रति प्रेम
धर्म के प्रति प्रेम
राज्य के प्रति प्रेम
सभ्यता/संस्कृति के प्रति प्रेम

70 "राजनीतिक समानता कभी वास्तविक नहीं हो सकती, यदि उसके साथ वास्तविक आर्थिक समानता न हो।' यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-7

मार्क्स का
जे.एस. मिल का
लास्की का
जी.डी.एच. कोल का

71 शक्ति की अवधारणा सर्वप्रथम किसने दी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-18

मैकियावेली
कार्ल मार्क्स
लासवेल
बेकर

72 राज्य की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत काल्पनिक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-18

दैवी सिद्धांत
शक्ति सिद्धांत
ऐतिहासिक सिद्धांत
सामाजिक समझौते का सिद्धांत

73 निम्नलिखित में से किसने यह विचार व्यक्त किया है- "यदि न्याय व्यवस्था न हो तो राज्य लुटेरों की टोली बन जाता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-8

प्लेटो
अरस्तू
सेंट ऑगस्टाइन
लॉक

74 किसने राजनीति शास्त्र को 'शक्ति के निर्माण एवं साझेदारी के अध्ययन' के रूप में परिभाषित किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-18

कैटलिन
हैंस मार्गेन्थो
चार्ल्स हैगन
हेराल्ड लैसवेल तथा अब्राहम कैपलन

75 उदारवाद का मूल तत्व है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-8

वैयक्तिक स्वतंत्रता
मिश्रित अर्थव्यवस्था
पंथ निरपेक्षता
समानता

76 'मतों को गिना नहीं, तौला जाना चाहिए"- यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-9

ऑग
रेन
जे.एस. मिल
फाइनर

77 निम्न में विचारकों का कौन-सा युग्म वैज्ञानिक समजवद के संस्थापकों में माना जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-19

चार्ल्स फूरिये तथा सेंट साइमन
सिडनी वेब तथा बिएट्रिस वेब
मार्क्स तथा ऐंजिल्स
आर. एच. टावनी तथा विलियम एबेंसटीन

78 इनमें से कौन यथार्थवादी नहीं था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-18

हॉब्स
थूसीडाइड्स
कांट
मैकियावेली

79 निम्न में से कौन अंतर्राष्ट्रीय संबंध में राज्य के केंद्रीय महत्त्व पर सहमत नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-97

बहुलवादी
यथार्थवादी
नव-यथार्थवादी
संरचनात्मक यथार्थवादी

80 "आर्थिक स्वतंत्रता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता एक भ्रम है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-8

कोल
लॉर्ड एक्टन
मेटरलैंड
बार्कर

81 राज्य शब्द का पहली बार प्रयोग किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-19

प्लेटो
अरस्तू
मैकियावेली
हॉब्स

82 निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य की उत्पत्ति की सही व्याख्या करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-19

राज्य का दैवी सिद्धांत
समझौता सिद्धांत
विकासवादी सिद्धांत
अपने सीमित रूप में उपर्युक्त सभी

83 "यदि न्याय को पृथक कर दिया जाए तो राज्य एक लुटेरे की संपत्ति के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-9

सालमंड का
ऑगस्टाइन का
कांट का
बेंथम का

84 आधुनिक राजनीति विज्ञान में 'प्रक्रिया' की संकल्पना किसने दी थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-19

डेविड ईस्टन
राबर्ट डाल
लासवेल
आर्थर बेंटलें

85 उदारवाद किसका हित चाहता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-10

अभिजात्य वर्ग का
धनवानों का
निर्धनों का
सब का

86 किसने कहा "प्रजातंत्र ऐसा शासन है जिसमें प्रत्येक शक्ति की हिस्सेदारी होती है?" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-10

ब्राइस
डायसी
सीले
बेनी प्रसाद

87 "हरेक से अपनी क्षमता के अनुसार, हरेक को अपनी आवश्यकता के अनुसार।" यह सूत्र किस व्यवस्था का है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-20

पूंजीवादी
समाजवादी
साम्यवादी
राष्ट्रवादी

88 इनमें से किसने कहा था कि 'ज्ञान शक्ति है'? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-19

अरस्तू
फ्रांसिस बेकन
मिल
हीगल

89 अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में यर्थाथवादी सिद्धांत तीन मान्यताओं पर आधारित है। निम्न में से कौन-सी एक आधारभूत मान्यता नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-98

राजनेता अपने राष्ट्र-हितों की आकांक्षा करता है और उन्हें आगे बढ़ाता है।
राष्ट्रीय हितों के लक्ष्यों को पूरा करने में राजनेता नैतिक सिद्धांतों को ध्यान मे रखते हैं।
प्रत्येक राज्य का बहुराष्ट्रीय हित उसके प्रभाव के विस्तार में निहित है।
राज्य अपने हितों के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपनी शक्ति अथवा प्रभाव का प्रयोग करता है।

90 निम्नलिखित में से किस एक विचारक ने स्वतंत्रता तथा समानता को (एक-दूसरे का) पूरक बताया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-9

लॉर्ड एक्टर
मैकाइवर
मैकियावेली
डी. टाकविल

91 किस राजनीतिक विचारक ने आधुनिक काल में 'राज्य' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-20

प्लेटो
बोदां
मैकियावेली
हॉब्स

92 'सामाजिक संविदा' का लेखक था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-20

बोदां
गार्नर
जवाहरलाल नेहरू
रूसो

93 "जिन राज्यों में न्याय नहीं होता, वह डाकुओं का समूह है।" यह शब्द निम्न में से किनके हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-10

प्लेटो
अरस्तू
सुकरात
ऑगस्टाइन

94 कैटलिन के अनुसार, राजनीति विज्ञान का विषय-क्षेत्र क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-34,प्रश्न-20

शक्ति का अध्ययन
सार्वजनिक सहमति का अध्ययन
संघर्ष का तनाव का अध्ययन
मानव-स्वभाव का अध्ययन

95 निम्नलिखित में से कौन-सा सही सुमेलित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-11

उदारवाद मिश्रण है लोकतंत्र व व्यक्तिवाद का
उदारवाद मिश्रण है साम्यवाद व व्यक्तिवाद का
उदारवाद मिश्रण है समाजवाद व बाहुलवाद का
उदारवाद मिश्रण है व्यक्तिवाद व मार्क्सवाद का

96 "यदि अतिसमानता से प्रजातंत्र भ्रष्ट होता है तो साथ ही अतिसमानता की भावना से भी वह नष्ट हो जाएग।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-11

मान्टेस्क्यू
असस्तू
मैकियावेली
जे.एस. मिल

97 "राज्य के लुप्त हो जाने का विचार" संबंधित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-21

उदारवाद से
समाजवाद से
साम्यवाद से
श्रेणी समाजवाद से

98 'शासकीय विचारधारा' की संकल्पना इनमें से किसकी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-20

परेटो
माइकल्स
मोस्का
रॉबर्ट डाहल

99 'सामुदायिकतावाद' एक प्रमुख धारा है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-80,प्रश्न-100

उदारवाद की
मार्क्सवाद की
सर्वाधिकारवाद की
प्रत्ययवाद की

100 जॉन स्टुअर्ड मिल के स्वतंत्रता के सिद्धांत के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-10

मिल की स्वतंत्रता की अवधारणा उपयोगितावाद से तार्किक रूप से सुसंगत है।
मिल की स्वतंत्रता की अवधारणा उपयोगितावाद से विसंगत है।
अधिकतम लोगों के अधिकतम हित की प्राप्ति में मिल स्वतंत्रता को अपरिहार्य साधन मानता है।
मिल का विचार है कि स्वतंत्रता के बिना मनुष्य वौद्धिक और नैतिक पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता तथा विकास और एक आदर्श मनुष्य नहीं बन सकता।