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+सीले  
 
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-विलोबी
 
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||राजनीतिक वैज्ञानिक सीले के अनुसार, "निश्चित भू-भाग या निश्चित प्रदेश [[राज्य]] का आवश्यक अंग नहीं हैं।" इसी प्रकार का विचार लियोन डिग्विट तथा अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के विद्वान हॉल द्वारा भी व्यक्त किया गया है। इनके अनुसार क्षेत्र या निश्चित भू-भाग राज्य का अनिवार्य तत्त्व नहीं है। वर्तमान समय में राज्य के निम्नलिखित अनिवार्य तत्त्व माने जाते हैं- I.जनसंख्या, II.निश्चित प्रदेश,  III.सरकार, IV.संप्रभुता।
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{लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता किस कारण किया था?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-11
 
{लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता किस कारण किया था?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-11
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-राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।
 
-राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।
 
-बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।
 
-बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।
||सभी प्रकार के भेदभाव का अभाव ही न्याय है। ऑगस्टाइन के अनुसार, "न्याय एक व्यवस्थित और अनुशासित जीवन व्यतीत करने तथा उन कर्त्तव्यों का पालन करने में है जिनकी कि व्यवस्था मांग करती है।" वे आगे कहते हैं कि "जिन [[राज्य|राज्यों]] में न्याय नहीं रह जाता वे डाकुओं के झुंड मात्र कहे जा सकते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य है-(1). थ्रेसीमेकस के अनुसार, "न्याय शक्तिशाली की हित है"। (2). सैफालस के अनुसार, "न्याय सत्य बोलने तथा अपना कर्ज चुकाने में है"। (3). [[प्लेटो]] के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति का अपना विशिष्ट कार्य करना तथा दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करना ही न्याय है"।
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||सभी प्रकार के भेदभाव का अभाव ही न्याय है। ऑगस्टाइन के अनुसार, "न्याय एक व्यवस्थित और अनुशासित जीवन व्यतीत करने तथा उन कर्त्तव्यों का पालन करने में है जिनकी कि व्यवस्था मांग करती है।" वे आगे कहते हैं कि "जिन [[राज्य|राज्यों]] में न्याय नहीं रह जाता वे डाकुओं के झुंड मात्र कहे जा सकते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य है- (1) थ्रेसीमेकस के अनुसार, "न्याय शक्तिशाली का हित है"। (2) सैफालस के अनुसार, "न्याय सत्य बोलने तथा अपना कर्ज़ चुकाने में है"। (3) [[प्लेटो]] के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति का अपना विशिष्ट कार्य करना तथा दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करना ही न्याय है"।
  
 
{निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-11
 
{निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-11
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+[[हर्बर्ट स्पेंसर]]
 
+[[हर्बर्ट स्पेंसर]]
 
-[[अरस्तू]]
 
-[[अरस्तू]]
||[[हर्बर्ट स्पेंसर]] प्रमुख व्यक्तिवादी विचारक हैं। व्यक्तिवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिकतम तथा [[राज्य]] के कार्यक्षेत्र को न्यूनतम रखने की वकालत करता है। स्पेंसर की प्रमुख कृति 'द मैन वर्सेज द स्टेट' (मनुष्य बनाम राज्य) है। स्पेंसर ने प्राकृतिक चयन के नियम को सामाजिक प्रगति की प्रक्रिया पर लागू किया। इनके अनुसार "सामाजिक विकास की मुक्त प्रतिस्पर्धा में योग्य यथा परिश्रमी लोगों को उत्तर जीविता का अधिकार है।" राज्य द्वारा योग्य एवं परिश्रमी लोगों का हक छीन कर अयोग्य लोगों को देना सामाजिक प्रगति को कुंठित करना है। इस प्रकार स्पेंसर ने सभी प्रकार के कल्याण कार्यक्रमों का खंडन किया।
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||[[हर्बर्ट स्पेंसर]] प्रमुख व्यक्तिवादी विचारक हैं। व्यक्तिवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिकतम तथा [[राज्य]] के कार्यक्षेत्र को न्यूनतम रखने की वकालत करता है। स्पेंसर की प्रमुख कृति 'द मैन वर्सेज द स्टेट' (मनुष्य बनाम राज्य) है। स्पेंसर ने प्राकृतिक चयन के नियम को सामाजिक प्रगति की प्रक्रिया पर लागू किया। इनके अनुसार "सामाजिक विकास की मुक्त प्रतिस्पर्धा में योग्य यथा परिश्रमी लोगों को उत्तर जीविता का अधिकार है।" राज्य द्वारा योग्य एवं परिश्रमी लोगों का हक़ छीन कर अयोग्य लोगों को देना सामाजिक प्रगति को कुंठित करना है। इस प्रकार स्पेंसर ने सभी प्रकार के कल्याण कार्यक्रमों का खंडन किया।
  
 
{निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1
 
{निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1
 
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-बाजार संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल करता है।
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-बाज़ार संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल करता है।
+वरण के परास को मजबूत करने के लिए सक्षमकार संसाधन व्यक्तियों और समूहों को प्रदान किए जाने चाहिए।
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+वरण के परास को मज़बूत करने के लिए सक्षमकार संसाधन व्यक्तियों और समूहों को प्रदान किए जाने चाहिए।
 
-एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है।
 
-एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है।
 
-निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है।
 
-निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है।
||नव-उदारवाद [[राज्य]] के कार्य-क्षेत्र को फिर से समेटने के लिए मुक्त बाजारवाद तथा मुक्त बाजार समाज का समर्थन करता है। समकालीन विश्व में नव-उदारवाद की प्रेरणा से तीन नीतियों को अपनाया जा रहा है, उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण। नव-उदारवाद एक बार फिए से 'अहस्तक्षेप की नीति' का समर्थन करता है तथा बाजारोन्मुख अर्थव्यवस्था की बात करता है। यह संसाधनों को बाजार के हवाले करने का पक्षधर है न कि व्यक्तियों व समूहों को।
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||नव-उदारवाद [[राज्य]] के कार्य-क्षेत्र को फिर से समेटने के लिए मुक्त बाज़ारवाद तथा मुक्त बाज़ार समाज का समर्थन करता है। समकालीन विश्व में नव-उदारवाद की प्रेरणा से तीन नीतियों को अपनाया जा रहा है, उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण। नव-उदारवाद एक बार फिए से 'अहस्तक्षेप की नीति' का समर्थन करता है तथा बाज़ारोन्मुख अर्थव्यवस्था की बात करता है। यह संसाधनों को बाज़ार के हवाले करने का पक्षधर है न कि व्यक्तियों व समूहों को।
  
 
{लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह [[बैलगाड़ी]] का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2
 
{लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह [[बैलगाड़ी]] का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2
 
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+सी.डी. बर्न्स
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+सी. डी. बर्न्स
 
-लॉर्ड ब्राइस
 
-लॉर्ड ब्राइस
 
-हेरल्ड जे.लास्की
 
-हेरल्ड जे.लास्की
 
-वाल्टर बेजहाट
 
-वाल्टर बेजहाट
||यद्यपि लोकतंत्र के व्यावहारिक स्वरूप में कुछ कमियां है लेकिन इन्हें दूर करके इसे और कार्यकुशल बनाय जा सकता है। इसकी जगह पुरानी व्यवस्था राजतंत्र या अधिनायक तंत्र अपना लेना मूर्खता होगी। इसी संदर्भ में सी.डी. बर्न्स ने लिखा है कि "इस बात से कोई इनकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां है। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, इसकी कल्पना चाहे कितनी ही मधुर क्यो न लगे।" इसी प्रकार अल्फ्रेड स्मिथ ने लिखा है कि 'लोकतंत्र के सभी रोगों का निदान और अधिक लोकतंत्र के द्वारा ही हो सकता है।" इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है-(1). सी.डी. बर्न्स- "सभी प्रकार का शासन शिक्षा प्रदान करने की एक पद्धति है। पर आत्मा शिक्षा ही सबसे अच्छी शिक्षा है, इसलिए सबसे अच्छा शासन स्वशासन है जो लोकतंत्र है।" (2). [[जवाहर लाल नेहरू]]- "लोकतंत्र का अर्थ है सहिष्णुत्ता- न केवल उन लोगों के प्रति जिनसे हम सहमत हो, बल्कि उनके प्रति भी जिनसे हम असहमत हों।" (3). [[महात्मा गांधी]]- "लोकतंत्र वह [[कला]] एवं [[विज्ञान]] है जिसके अंतर्गत जनसाधारण के विभिन्न वर्गों के भौतिक, आर्थिक, और आध्यात्मिक संस्थानों को सबके सामान्य हित की सिद्धि के लिए नियोजित किया जाता है।"
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||यद्यपि लोकतंत्र के व्यावहारिक स्वरूप में कुछ कमियां है लेकिन इन्हें दूर करके इसे और कार्यकुशल बनाया जा सकता है। इसकी जगह पुरानी व्यवस्था राजतंत्र या अधिनायक तंत्र अपना लेना मूर्खता होगी। इसी संदर्भ में सी. डी. बर्न्स ने लिखा है कि "इस बात से कोई इनकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां है। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, इसकी कल्पना चाहे कितनी ही मधुर क्यो न लगे।" इसी प्रकार अल्फ्रेड स्मिथ ने लिखा है कि 'लोकतंत्र के सभी रोगों का निदान और अधिक लोकतंत्र के द्वारा ही हो सकता है।" इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1). सी. डी. बर्न्स- "सभी प्रकार का शासन शिक्षा प्रदान करने की एक पद्धति है। पर आत्मा शिक्षा ही सबसे अच्छी शिक्षा है, इसलिए सबसे अच्छा शासन स्वशासन है जो लोकतंत्र है।" (2). [[जवाहर लाल नेहरू]]- "लोकतंत्र का अर्थ है सहिष्णुत्ता- न केवल उन लोगों के प्रति जिनसे हम सहमत हो, बल्कि उनके प्रति भी जिनसे हम असहमत हों।" (3). [[महात्मा गांधी]]- "लोकतंत्र वह [[कला]] एवं [[विज्ञान]] है जिसके अंतर्गत जनसाधारण के विभिन्न वर्गों के भौतिक, आर्थिक, और आध्यात्मिक संस्थानों को सबके सामान्य हित की सिद्धि के लिए नियोजित किया जाता है।"
  
{मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11
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{[[कार्ल मार्क्स]] ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11
 
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+वर्ग संघर्ष के संदर्भ में
 
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-नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में
 
-नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में
 
-नस्लीय सहयोग के संदर्भ में
 
-नस्लीय सहयोग के संदर्भ में
||मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर-जार्नीमेन का उल्लेख वर्ग संघर्ष के संदर्भ में किया है। कार्ल मार्क्स एवं फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा रचित पुस्तक कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो (1848) के अनुसार सभी वर्तमान समाजों का [[इतिहास]] वर्ग-संघर्ष का इतिहास है। यह वर्ग-संघर्ष विभिन्न कालों में विभिन्न वर्गों जैसे फ्रीमैन-स्लेव, पॅट्रीशियन-प्लेबियन. लॉर्ड-सर्फ, गिल्डमास्टर-जार्नीमेन के मध्य हुआ था। शोषक एवं शोषित के मध्य का यह संघर्ष कभी दृश्य एवं कभी अदृश्य रूप में होता है। जिसके परिणामस्वरूप या तो समाज का पुनर्निर्माण होता है या दोनों ही वर्गों का विनाश होता है।
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||[[कार्ल मार्क्स]] ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर-जार्नीमेन का उल्लेख वर्ग संघर्ष के संदर्भ में किया है। कार्ल मार्क्स एवं फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा रचित पुस्तक कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो (1848) के अनुसार सभी वर्तमान समाजों का [[इतिहास]] वर्ग-संघर्ष का इतिहास है। यह वर्ग-संघर्ष विभिन्न कालों में विभिन्न वर्गों जैसे फ्रीमैन-स्लेव, पॅट्रीशियन-प्लेबियन. लॉर्ड-सर्फ, गिल्डमास्टर-जार्नीमेन के मध्य हुआ था। शोषक एवं शोषित के मध्य का यह संघर्ष कभी दृश्य एवं कभी अदृश्य रूप में होता है। जिसके परिणामस्वरूप या तो समाज का पुनर्निर्माण होता है या दोनों ही वर्गों का विनाश होता है।
  
 
{अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11
 
{अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11
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+नाइबहर
 
+नाइबहर
 
-स्प्राउट
 
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||राइनहोल्ड नाइबहर ने 'प्रकाश की संतान और 'अंधकार की संतान' की चर्चा की है। प्रकाश की संतान वे लोग हैं जो यह मानते हैं कि स्वहित को अधिक सार्वभौम नियमों के अधीन रखना चाहिए और विश्व कल्याण के साथ उसका मेल बैठाना चाहिए। दूसरी ओर अंधकार की संतान वे लोग हैं जो अपने संकल्प और हित के अलावा और कोई नियम नहीं जानते। इस आधार पर नाइबहर ने अंधकार की संतान (यथार्थवादी) को दुष्ट और बदमाश तथा प्रकाश की सन्तान (आदर्शवादी) को पुण्यात्मा मानता है। इसके अनुसार अंधकार की संतान समझदार है क्योंकि वह आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को पहचानते हैं जबकि प्रकाश के संतान (आदर्शवादी) मूर्ख हैं क्योंकि वे आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को ठीक से न पहचानने के कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अराजकता और अव्यवस्था के खतरे को बहुत छोटा करके देखते हैं।
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||राइनहोल्ड नाइबहर ने 'प्रकाश की संतान और 'अंधकार की संतान' की चर्चा की है। प्रकाश की संतान वे लोग हैं जो यह मानते हैं कि स्वहित को अधिक सार्वभौम नियमों के अधीन रखना चाहिए और विश्व कल्याण के साथ उसका मेल बैठाना चाहिए। दूसरी ओर अंधकार की संतान वे लोग हैं जो अपने संकल्प और हित के अलावा और कोई नियम नहीं जानते। इस आधार पर नाइबहर ने अंधकार की संतान (यथार्थवादी) को दुष्ट और बदमाश तथा प्रकाश की सन्तान (आदर्शवादी) को पुण्यात्मा मानता है। इसके अनुसार अंधकार की संतान समझदार है क्योंकि वह आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को पहचानते हैं जबकि प्रकाश के संतान (आदर्शवादी) मूर्ख हैं क्योंकि वे आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को ठीक से न पहचानने के कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अराजकता और अव्यवस्था के ख़तरे को बहुत छोटा करके देखते हैं।
  
{हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का क्या अर्थ हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-90
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{हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-90
 
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-सम्प्रभु
 
-सम्प्रभु
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-प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग
 
-प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||हॉब्स ने अपनी कृति 'लेवायथन' में 'कॉमनवेल्थ' शब्द का प्रयोग किया है जो समाज, राज्य तथा शासन तीनों का सामूहिक नाम है। हॉब्स ने ज्यामितीय विधि से अपनी चिंतन का प्रारम्भ प्राकृतिक अवस्था से करता है जो समाज, राज्य तथा शासन से विहीन कल्पित युग है। यह अवस्था हर तरह युद्ध, निरंतर भय तथा [[मृत्यु]] का खतरा है। इस अवस्था में बल और छल ही मनुष्य के सद्गुण है। इस प्रकार इस अवस्था से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति कामनवेल्थ (समाज, राज्य तथा शासन) की स्थापना करने के लिए शक्तियों को लेवायथन को सौंप देता है।
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||हॉब्स ने अपनी कृति 'लेवायथन' में 'कॉमनवेल्थ' शब्द का प्रयोग किया है जो समाज, राज्य तथा शासन तीनों का सामूहिक नाम है। हॉब्स ने ज्यामितीय विधि से अपनी चिंतन का प्रारम्भ प्राकृतिक अवस्था से करता है जो समाज, राज्य तथा शासन से विहीन कल्पित युग है। यह अवस्था हर तरह युद्ध, निरंतर भय तथा [[मृत्यु]] का ख़तरा है। इस अवस्था में बल और छल ही मनुष्य के सद्गुण हैं। इस प्रकार इस अवस्था से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति कामनवेल्थ (समाज, राज्य तथा शासन) की स्थापना करने के लिए शक्तियों को लेवायथन को सौंप देता है।
  
 
{"सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-1
 
{"सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-1
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-मैकाइवर
 
-मैकाइवर
 
+वाशिंगटन
 
+वाशिंगटन
-मार्क्स
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-[[कार्ल मार्क्स]]
||"सतत जागरूकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन [[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] वाशिंगटन का है। जे.एस. मिल ने अपनी पुस्तक 'On Liderty' में स्वतंत्रता को मानव जीवन का मूल आधार बताया है। सी.डी. बर्न्स ने कहा है कि स्वतंत्रता न केवल सभ्य जीवन का आधार है, वरन सभ्यता का विकास भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर ही निर्भर करता है।" इसी संदर्भ में [[राधाकृष्णन|डॉ. राधाकृष्णन]] ने कहा है कि स्वतंत्रता किसी अन्य साध्य की प्राप्ति का साधन नहीं, वरन यह सर्वोच्च साध्य है।
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||"सतत जागरूकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन [[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] वाशिंगटन का है। जे. एस. मिल ने अपनी पुस्तक 'On Liderty' में स्वतंत्रता को मानव जीवन का मूल आधार बताया है। सी. डी. बर्न्स ने कहा है कि स्वतंत्रता न केवल सभ्य जीवन का आधार है, वरन सभ्यता का विकास भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर ही निर्भर करता है।" इसी संदर्भ में [[राधाकृष्णन|डॉ. राधाकृष्णन]] ने कहा है कि स्वतंत्रता किसी अन्य साध्य की प्राप्ति का साधन नहीं, वरन यह सर्वोच्च साध्य है।
 
 
 
 
  
  
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{निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6,प्रश्न-12
 
{निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6,प्रश्न-12
 
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-हाल
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-हॉल
-स्पेंसर
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-डुग्वी
 
+उपर्युक्त दोनों  
 
+उपर्युक्त दोनों  
 
-उपर्युक्त में दे कोई नहीं
 
-उपर्युक्त में दे कोई नहीं
||राज्य के चार प्रमुख आवश्यक तत्त्व- जनसंख्या, सरकार, निश्चित भू-भाग तथा प्रभुसत्ता है। लेकिन कुछ विद्वान जैसे सीले, डुग्वी अथवा डिग्विट तथा हॉल आदि ने भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व नहीं माना है। विकल्प में हॉल एवं डिग्विट दोनों के होने से किसी भी विकल्प का चयन संभव नहीं है चूंकि विकल्प (A) एवं (B) दोनों सही है।
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||राज्य के चार प्रमुख आवश्यक तत्त्व- [[जनसंख्या]], सरकार, निश्चित भू-भाग तथा प्रभुसत्ता है। लेकिन कुछ विद्वान जैसे सीले, डुग्वी अथवा डिग्विट तथा हॉल आदि ने भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व नहीं माना है।
  
 
{हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को कौन-कौन से अधिकार सौंपे थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12
 
{हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को कौन-कौन से अधिकार सौंपे थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12
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-बार्कर
 
-बार्कर
 
+सीले
 
+सीले
||''स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक  हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के कानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है।
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||''स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक  हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के क़ानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है।
  
  
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-[[अरस्तू]]  
 
-[[अरस्तू]]  
 
-जॉन लॉक  
 
-जॉन लॉक  
||"स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक  हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के कानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है।
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||"स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक  हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के क़ानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है।
  
  
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||''स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक  हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के कानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है।
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||''स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक  हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के क़ानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है।
  
  

12:59, 9 अप्रैल 2017 का अवतरण

1 यह कथन किसका है कि "बिना भू-भाग के भी राज्य का अस्तित्व रह सकता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-11

गार्नर
मैकाइवर
सीले
विलोबी

2 लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता किस कारण किया था?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-11

उनके अधिकारों की रक्षा हो सके
पोपतंत्र का दमन किया जा सके
गृह युद्धों का अंत हो सके
शासकीय चर्च की स्थापना हो सके

3 निम्न में से न्याय का क्या अर्थ है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-1

कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
भेदभाव किया जा सकता है।
राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।
बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।

4 निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-11

हेराल्ड लास्की
जेम्स मिल
हर्बर्ट स्पेंसर
अरस्तू

5 निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1

बाज़ार संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल करता है।
वरण के परास को मज़बूत करने के लिए सक्षमकार संसाधन व्यक्तियों और समूहों को प्रदान किए जाने चाहिए।
एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है।
निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है।

6 लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2

सी. डी. बर्न्स
लॉर्ड ब्राइस
हेरल्ड जे.लास्की
वाल्टर बेजहाट

7 कार्ल मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11

वर्ग संघर्ष के संदर्भ में
वर्ग सहयोग एवं विवाह के संदर्भ में
नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में
नस्लीय सहयोग के संदर्भ में

8 अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11

मार्गेथाउ
पामर एवं पार्किंस
नाइबहर
स्प्राउट

9 हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-90

सम्प्रभु
समाज, राज्य एवं सरकार के लिए सामूहिक नाम
प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग
उपर्युक्त में से कोई नहीं

10 "सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-1

ब्राइस
मैकाइवर
वाशिंगटन
कार्ल मार्क्स

11 निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6,प्रश्न-12

हॉल
डुग्वी
उपर्युक्त दोनों
उपर्युक्त में दे कोई नहीं

12 हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को कौन-कौन से अधिकार सौंपे थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12

केवल विद्रोह का अधिकार सौंपा
केवल धार्मिक अधिकार सौंपा
लगभग सभी अधिकार सौप दिए
केवल राजनैतिक अधिकार सौंपा

13 राजनीतिक न्याय किसके द्वारा सुनिश्चित होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-2

विधायिका द्वारा
संविधान द्वारा
राजनीतिक दलों द्वारा
निर्वाचन सत्ता द्वारा

14 'योग्यत्तम की अतिजीविता' का सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-12

प्लेटो
हर्बर्ट स्पेंसर
रूसो
लॉक

15 "अनियंत्रित बाजार आधारित पूंजीवाद का परिणाम होगा- कार्यकुशलता, उत्पादन वृद्धि तथा व्यापक संपन्नता।" यह विश्वास किसके साथ जुड़ा है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-2

नव उदारवाद
नव अनुदारवाद
नव मार्क्सवाद
उपर्युक्त में से कोई नहीं

16 लोकतंत्र में 'गुटतंत्र के लौह नियम' का प्रतिपादन किसने किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-3

राबर्ट मिशेल्स
विल्फ्रेटो पैरेटो
गेतानो मोस्का
रेमों आरों

17 सतत क्रांति का सिद्धांत किसने दिया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-12

मार्क्स
लेनिन
माओ
हो-ची मिन्ह

18 मूने के अनुसार स्टाफ कार्य के तीन पक्ष कौन-कौन से हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-12

सूचनात्मक
परामर्शकारी
पर्यवेक्षणात्मक
उपुर्युक्त सभी

19 निम्नलिखित में से कौन खेल सिद्धांत से नहीं जुड़े हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-91

आरगांसकी
स्नाइडर
हर्सेन्यि
सेलिंग

20 "स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-2

मिल
लास्की
बार्कर
सीले

21 किसने कहा "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर की गति है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-13

बेथम
जे.एस. मिल
कार्ल मार्क्स
हीगल

22 समाजिक संविदा का सिद्धांत मुख्य रूप से किस प्रकार के कार्य करने का प्रयत्न करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-13

राज्य के इतिहासिक उद्गम का पता लगाना
राजनीतिक बाध्यता के आधार की व्याख्या करना
यथास्थिति का औचित्य स्थापित करना
क्रांति द्वारा समाज में आमूल परिवर्तन लाना

23 राजनीतिक न्याय से क्या तात्पर्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-3

सभी को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों
सभी को समान आर्थिक अधिकार प्राप्त हों
सभी को समान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो
सभी को हर प्रकार के भेद-भाव से रहित समान सुविधा प्राप्त हो।

24 लेसेज़ फेयर का क्या अभिप्राय है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-13

धर्मनिरपेक्ष
समाजवाद
व्यक्ति को अकेला छोड़ दो
इनमें से सभी

25 किसने कहा था कि राज्य को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-3

प्लेटो
कार्ल मार्क्स
एडम स्मिथ
जॉन लॉक

26 निम्न में से कौन लोकतंत्र को 'स्वीकृत पागलपन' कहता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-4

ल्यूडोविकी
कार्ल मार्क्स
प्रौंधा
टेलीरैंड

27 माओ के अनुसार, मार्क्सवादी क्रांति में कृषकों की भूमिका कैसी होगी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-13

प्रतिक्रियात्मक
शून्य
महत्त्वपूर्ण
महत्त्वहीन

28 "किंतु प्रत्येक व्यक्ति है किस-संसद राजा को ऑस्टिनवादी अर्थ में प्रभुसत्त-संपन्न संस्था समझना असंगत है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-13

डायसी
लास्की
मेटलैंड
लॉर्ड ब्राइस

29 हेगेल ने सभ्य समाज को किस रूप में देखा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-92

विशिष्टता के साकार रूप में
एकता के साकार रूप में
सार्वभौमिकता के साकार रूप में
समुदाय के साकार रूप में

30 "स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-3

सीले
प्लेटो
अरस्तू
जॉन लॉक

31 "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का पदक्षेप है" यह किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-14

काण्ट
हीगल
रूसो
बोसांके

32 निम्न वक्तव्यों में से कौन-सा वक्तव्य राज्य की उत्पत्ति के विषय में मार्क्सवादी सिद्धांत को स्पष्ट करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-14

राज्य की उत्पत्ति साधनों का विकास करने के उद्धेश्य से हुई
राज्य की उत्पत्ति उत्पादन की विधि में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से हुई
राज्य की उत्पत्ति उत्पादन के शोषणपरक संबंधों के रक्षार्थ हुई
राज्य की उत्पत्ति वर्गविहीन समाज के उद्देश्य से हुई

33 जॉन राल्स के की न्याय की धारणा क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-4

समाजवादी
उपयोगितावादी
समुदायवादी
उदारवादी

34 "राजनीति के बिना इतिहास निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" यह कथन निम्नलिखित में से किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-14

सेबाइन
सीले
बार्कर
वेपर

35 संपत्ति के अधिकार की मांग किसने की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-4

मार्क्सवाद
उदारवाद
समाजवाद
गांधीवाद

36 निम्न में से किसने लोकतंत्र को 'एक जीवन रैली' के रूप में परिभाषित किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-5

एडम स्मिथ
इ. बर्क
हेरोल्ड लास्की
टी.वी. स्मिथ

37 'लोक युद्ध' की संकल्पना विकसित करने का श्रेय किसको जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-14

व्लादिमीर लेनिन
रूसो
ग्राम्सी
माओत्से-तुंग

38 मॉर्टन कैप्लन ने अंतर्राष्ट्रीय राज्यव्यवस्था के निम्न में से किस प्रतिमान की कल्पना नहीं की थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-14

शक्ति संतुलन की व्यवस्था
उत्तर परमाणु युद्ध मॉडल
शिथिल द्विध्रुवीय व्यवस्था
दृढ़ द्विध्रुवीय व्यवस्था

39 राजनीतिक संस्कृति का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-93

फाइनर
सिडनी वेब
आमंड
लासवेल

40 किसने कहा स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-4

बैंथम
जॉन लॉक
कांट
सीले

41 निम्न में किस विद्वान ने 'समाज को ईंट तथा राज्य को सीमेंट' कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-15

आशीर्वादम
गिलक्रिस्ट
गेटेल
गार्नर

42 वर्तमान समय में राज्य की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत सबसे अधिक मान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-15

ऐतिहासिक
आर्थिक
दैवी
शक्ति

43 "एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धांत का भौतिक अंग है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-5

जॉन राल्स
लॉर्ड एक्टन
टॉनी
जे.एस. मिल

44 "इतिहास का राजनीति विज्ञान के बिना फल नहीं तथा राजनीति विज्ञान का इतिहास के बिना जड़ नहीं" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-15

गार्नर
ब्लण्टशली
सीले
पॉल जेनेट

45 'सामाजिक अभियांत्रिकी' का सिद्धांत' प्रस्तुत करने वाले उदारवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-5

सी.बी. मैक्फर्सन
कार्ल जे. पॉपर
जॉन राल्स
एल.टी. हॉब हाऊस

46 प्रतिनिधित्व का कौन-सा सिद्धांत प्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रतिष्ठा देता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-6

प्रतिक्रियावादी सिद्धांत
अनुदारवादी सिद्धांत
उदारवादी सिद्धांत
क्रांतिकारी सिद्धांत

47 'श्रमिकों की तानाशाही' के सिद्धांत को किसने सुपरिष्कृत किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-15

कार्ल मार्क्स ने 'दास-कैपिटल' में
कार्ल मार्क्स एव ऐंजिल्स ने 'कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो' में
ऐंजिल्स ने 'आरिजिन ऑफ़ फैमिली प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड स्टेट' में
लेनिन ने 'स्टे एंड रिवोल्यूशन' में

48 संरचनात्मक-प्रकार्यात्म क उपागम किसके नाम से जुड़ा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-15

आमंड और पावेल
डेविड ईस्टन
राबर्ट डाउल
ओ.आर. यंग

49 कौन-सी सत्ता प्रत्यायोजित नहीं की जानी चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-94

वित्त संबंधी शक्ति
नियम बनाने की शक्ति
नीति निर्धारित करने की शक्ति
इनमें से कोई नहीं

50 नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा निम्नलिखित में से किस एक पर बल देती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-5

समानता
स्वायत्तता
हस्तक्षेप की अनुपस्थिति
पसंद की स्वतंत्रता

51 किसने कहा "राजनीति शास्त्र का राज्य से प्रारंभ और राज्य के साथ ही अंत होता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-16

कोकर
सैबाइन
गार्नर
अरस्तू

52 राज्य की उत्पत्ति के संबंध में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-16

दैवीय उत्पत्ति का सिद्धांत
शक्ति का सिद्धांत
विकासवादी सिद्धांत
सामाजिक समझौता सिद्धांत

53 जॉन राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को क्या संज्ञा दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-6

वितरणात्मक न्याय
सर्वसुलभ न्याय
प्रत्ययात्मक न्याय
शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय

54 "शक्ति की राजनीति, लोक कल्याण की राजनीति, तकनीकी राजनीति तथा दलीय राजनीति की प्रवृत्ति केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति का मुख्य कारण रहा है"- किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-16

प्रो.सी.एफ. स्ट्रांग
प्रो.के.सी ह्वीयर
प्रो. लास्की
जेम्स वाइस

55 निम्नलिखित में से किसका उदारवाद से मेल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-6

बुर्जुआ राज्य
प्रतिनिधि सरकार
लोक कल्याणकारी राज्य
सीमित सरकार

56 किसने कहा था- "सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार वास्तव में सार्वभौमिक नहीं है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-7

गिलक्राइस्ट
प्रो. लास्की
गैटेल
गार्नर

57 लेनिन के अनुसार साम्राज्यवाद क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-16

पूंजीवाद की निम्नतम अवस्था है।
पूंजीवाद का संकुचन है।
पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था है।
पूंजीवाद का समाजवाद में विलय है।

58 निम्नलिखित में से कौन आमण्ड के हित-अभिव्यक्त करने वाली संरचनाओं के वर्गीकरण में शामिल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-16

संस्थात्मक संरचनाएं
समुदायात्मक संरचनाएं
प्रजातीय संरचनाएं
प्रदर्शनात्मक संरचनाएं

59 'मूल्य तटस्थता' निम्न में से किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-95

अराजकतावादियों की
बहुलवादियों की
मार्क्सवादियों की
व्यवहारवादियों की

60 "आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता मिथक है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-6

ग्रीन
जे.एस. मिल
जी.डी.एच. कोल
लास्की

61 "राजनीति शास्त्र का 'प्रारंभ और अंत' राज्य के साथ ही होता है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-17

लीकॉक
गिलक्राइस्ट
गार्नर
लास्की

62 राज्य की उत्पत्ति का सबसे सही सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-17

दैवी उत्पत्ति सिद्धांत
शक्ति सिद्धांत
पैतृक सिद्धांत
विकासकारी सिद्धांत

63 जॉन राल्स के अनुसार न्याय के क्या लक्षण हैं?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-7

न्याय समाज का प्रथम सद्गुण है
प्रक्रियात्मक न्याय की प्रधानता
सामाजिक न्याय से सरोकार
उपर्युक्त सभी

64 "राजनीति विज्ञान शक्ति की रचना और भागीदारी का अध्ययन है।" यह परिभाषा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-17

आलमंड एंड पावेल
लासवेल व काप्लान
राबर्ट ए. डहल
गिलक्राइस्ट

65 उदारवाद का मौलिक सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-7

वैयक्तिक स्वतंत्रता
सामाजिक न्याय
समानता
राष्ट्रवाद

66 "सभी मनुष्यों को कुछ समय के लिए और कुछ मनुष्यों को सदैव के लिए मूर्ख बनाया जा सकता है, लेकिन अभी मनुष्यों को सदैव के लिए मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।" यह किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-8

ब्राइस
अब्राहम लिंकन
लास्की
लॉवेल

67 राज्यहीन, वर्गहीन समाज पर किस विचारक का विश्वास था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-17

प्लेटो
अरस्तू
कार्ल मार्क्स
जान लॉक

68 इनमें से किसे 'वैज्ञानिक प्रबंध का' पिता कहा जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-17

एल्टन मेयो
बर्नार्ड
मैक्सवेबर
एफ.डब्ल्यू. टेलर

69 राजनीतिक चेतना का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-96

समाज के प्रति प्रेम
धर्म के प्रति प्रेम
राज्य के प्रति प्रेम
सभ्यता/संस्कृति के प्रति प्रेम

70 "राजनीतिक समानता कभी वास्तविक नहीं हो सकती, यदि उसके साथ वास्तविक आर्थिक समानता न हो।' यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-7

कार्ल मार्क्स
जे.एस. मिल
लास्की
जी.डी.एच. कोल

71 शक्ति की अवधारणा सर्वप्रथम किसने दी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-18

मैकियावेली
कार्ल मार्क्स
लासवेल
बेकर

72 राज्य की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत काल्पनिक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-18

दैवी सिद्धांत
शक्ति सिद्धांत
ऐतिहासिक सिद्धांत
सामाजिक समझौते का सिद्धांत

73 निम्नलिखित में से किसने यह विचार व्यक्त किया है- "यदि न्याय व्यवस्था न हो तो राज्य लुटेरों की टोली बन जाता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-8

प्लेटो
अरस्तू
सेंट ऑगस्टाइन
जॉन लॉक

74 किसने राजनीति शास्त्र को 'शक्ति के निर्माण एवं साझेदारी के अध्ययन' के रूप में परिभाषित किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-18

कैटलिन
हैंस मार्गेन्थो
चार्ल्स हैगन
हेराल्ड लैसवेल तथा अब्राहम कैपलन

75 उदारवाद का मूल तत्व क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-8

वैयक्तिक स्वतंत्रता
मिश्रित अर्थव्यवस्था
पंथ निरपेक्षता
समानता

76 'मतों को गिना नहीं, तौला जाना चाहिए"- यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-9

ऑग
रेन
जे.एस. मिल
फाइनर

77 निम्न में विचारकों का कौन-सा युग्म वैज्ञानिक समाजवाद के संस्थापकों में माना जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-19

चार्ल्स फूरिये तथा सेंट साइमन
सिडनी वेब तथा बिएट्रिस वेब
कार्ल मार्क्स तथा ऐंजिल्स
आर. एच. टावनी तथा विलियम एबेंसटीन

78 इनमें से कौन यथार्थवादी नहीं था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-18

हॉब्स
थूसीडाइड्स
इमानुएल कांट
मैकियावेली

79 निम्न में से कौन अंतर्राष्ट्रीय संबंध में राज्य के केंद्रीय महत्त्व पर सहमत नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-97

बहुलवादी
यथार्थवादी
नव-यथार्थवादी
संरचनात्मक यथार्थवादी

80 "आर्थिक स्वतंत्रता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता एक भ्रम है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-8

कोल
लॉर्ड एक्टन
मेटरलैंड
बार्कर

81 राज्य शब्द का पहली बार प्रयोग किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-19

प्लेटो
अरस्तू
मैकियावेली
हॉब्स

82 निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य की उत्पत्ति की सही व्याख्या करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-19

राज्य का दैवी सिद्धांत
समझौता सिद्धांत
विकासवादी सिद्धांत
उपर्युक्त सभी

83 "यदि न्याय को पृथक कर दिया जाए तो राज्य एक लुटेरे की संपत्ति के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-9

सालमंड
सेंट ऑगस्टाइन
कांट
बेंथम

84 आधुनिक राजनीति विज्ञान में 'प्रक्रिया' की संकल्पना किसने दी थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-19

डेविड ईस्टन
राबर्ट डाल
लासवेल
आर्थर बेंटलें

85 उदारवाद किसका हित चाहता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-10

अभिजात्य वर्ग का
धनवानों का
निर्धनों का
सब का

86 किसने कहा "प्रजातंत्र ऐसा शासन है जिसमें प्रत्येक शक्ति की हिस्सेदारी होती है?" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-10

ब्राइस
डायसी
सीले
डा. बेनी प्रसाद

87 "हरेक से अपनी क्षमता के अनुसार, हरेक को अपनी आवश्यकता के अनुसार।" यह सूत्र किस व्यवस्था का है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-20

पूंजीवादी
समाजवादी
साम्यवादी
राष्ट्रवादी

88 इनमें से किसने कहा था कि 'ज्ञान शक्ति है'? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-19

अरस्तू
फ़्रांसिस बेकन
मिल
हीगल

89 अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में यर्थाथवादी सिद्धांत तीन मान्यताओं पर आधारित है। निम्न में से कौन-सी एक आधारभूत मान्यता नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-98

राजनेता अपने राष्ट्र-हितों की आकांक्षा करता है और उन्हें आगे बढ़ाता है।
राष्ट्रीय हितों के लक्ष्यों को पूरा करने में राजनेता नैतिक सिद्धांतों को ध्यान मे रखते हैं।
प्रत्येक राज्य का बहुराष्ट्रीय हित उसके प्रभाव के विस्तार में निहित है।
राज्य अपने हितों के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपनी शक्ति अथवा प्रभाव का प्रयोग करता है।

90 निम्नलिखित में से किस एक विचारक ने स्वतंत्रता तथा समानता को एक-दूसरे का पूरक बताया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-84,प्रश्न-9

लॉर्ड एक्टन
मैकाइवर
मैकियावेली
डी. टाकविल

91 किस राजनीतिक विचारक ने आधुनिक काल में 'राज्य' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-20

प्लेटो
बोदां
मैकियावेली
हॉब्स

92 'सामाजिक संविदा' का लेखक कौन था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-20

बोदां
गार्नर
जवाहरलाल नेहरू
रूसो

93 "जिन राज्यों में न्याय नहीं होता, वह डाकुओं का समूह है।" यह शब्द निम्न में से किनके हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-10

प्लेटो
अरस्तू
सुकरात
सेंट ऑगस्टाइन

94 कैटलिन के अनुसार, राजनीति विज्ञान का विषय-क्षेत्र क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-34,प्रश्न-20

शक्ति का अध्ययन
सार्वजनिक सहमति का अध्ययन
संघर्ष का तनाव का अध्ययन
मानव-स्वभाव का अध्ययन

95 निम्नलिखित में से कौन-सा सही सुमेलित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-11

उदारवाद मिश्रण है लोकतंत्र व व्यक्तिवाद का
उदारवाद मिश्रण है साम्यवाद व व्यक्तिवाद का
उदारवाद मिश्रण है समाजवाद व बाहुलवाद का
उदारवाद मिश्रण है व्यक्तिवाद व मार्क्सवाद का

96 "यदि अतिसमानता से प्रजातंत्र भ्रष्ट होता है तो साथ ही अतिसमानता की भावना से भी वह नष्ट हो जाएग।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-11

मान्टेस्क्यू
अरस्तू
मैकियावेली
जे.एस. मिल

97 "राज्य के लुप्त हो जाने का विचार" निम्न में से किससे संबंधित है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-21

उदारवाद
समाजवाद
साम्यवाद
श्रेणी समाजवाद

98 'शासकीय विचारधारा' की संकल्पना इनमें से किसकी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-20

परेटो
माइकल्स
मोस्का
रॉबर्ट डाहल

99 'सामुदायिकतावाद' एक किसकी प्रमुख धारा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-80,प्रश्न-100

उदारवाद
मार्क्सवाद
सर्वाधिकारवाद
प्रत्ययवाद

100 जॉन स्टुअर्ड मिल के स्वतंत्रता के सिद्धांत के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-84,प्रश्न-10

जॉन स्टुअर्ड मिल की स्वतंत्रता की अवधारणा उपयोगितावाद से तार्किक रूप से सुसंगत है।
मिल की स्वतंत्रता की अवधारणा उपयोगितावाद से विसंगत है।
अधिकतम लोगों के अधिकतम हित की प्राप्ति में मिल स्वतंत्रता को अपरिहार्य साधन मानता है।
जॉन स्टुअर्ड मिल का विचार है कि स्वतंत्रता के बिना मनुष्य वौद्धिक और नैतिक पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता तथा विकास और एक आदर्श मनुष्य नहीं बन सकता।