कजरारा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:17, 21 नवम्बर 2021 का अवतरण (''''कजरारा''' - विशेषण (हिन्दी काजर+आरा प्रत्यय)<ref>{{पु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

कजरारा - विशेषण (हिन्दी काजर+आरा प्रत्यय)[1]

1.. काजल वाला। जिसमें काजल लगा हो। अंजनयुक्त।

उदाहरण-

(क) फिर दौरत देखियत निचले नैकु रहै न। ये कजरारे कौन पै करत कजाकी नैन। - कवि बिहारी

(ख) कजरारे दृग की घटा जब उनवै जेहि ओर। बरसि सिरावै पुहुमि उर रूप झलान झकोर। - राजा पृथ्वीसिंह

2. काजल के समान काला। काला। स्याह।

उदाहरण-

(क) वह सुधि नेकु करो पिय प्यारे। कमल पात में तुम जल लीनो जा दिन नदी किनारे। तहँ मेरो आाय गयो मृगछौना जाके नैन सहज कजरारे। - प्रतापनारायण मिश्र

(ख) गरजैं गरारे कजरारे अति दीह देह जिनहिं निहारे फिरैं बीर करि धीर भंग। - गिरिधरदास (गोपालचंद्र)


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 744 |

संबंधित लेख