कटाक्ष

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कटाक्ष - (संज्ञा, पुं०[1]

  • तिरछी चितवन।
  • तिरछी नजर।

उदाहरण— कोए न लाँघि कटाक्ष सकै, मुसक्यानि न ह्वै सकै पोठनि बाहिर।

  • व्यंग्य, आक्षेप, ताना, तंज। (क्रि० प्र०) करना

जैसे — इस लेख में कई लोगों पर अनुचित कटाक्ष किए गए हैं ।

  • रामलीला में काले रंग की छोटी छोटी पतली रेखाएँ जो आंख की दोनों बाहरी कोरों पर खींची जाती हैं। ऐसे कटाक्ष रामलीला में राम, लक्ष्मण आदि की आँखों के किनारे बनते हैं।
  • हाथियों के शृंगार में भी कटाक्ष बनाए जाते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 750 |

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