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'''जयललिता जयराम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jayalalithaa Jayaram'', जन्म: [[24 फ़रवरी]], [[1948]], [[मैसूर]]; मृत्यु- [[5 दिसम्बर]], [[2016]], [[चेन्नई]]) [[तमिलनाडु]] की [[मुख्यमंत्री]] एवं [[ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम]] (ए.आइ.ए.डी.एम.के.) पार्टी की प्रसिद्ध नेता थीं। वे तमिल फ़िल्मों की [[अभिनेत्री]] भी रही थीं। जीवन के हर संघर्ष को मुंहतोड़ जवाब दे कर ही 'अम्मा' यानी '''जयललिता''' नारी शक्ति का प्राय: बन गई थीं।  
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'''जयललिता जयराम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jayalalithaa Jayaram'', जन्म: [[24 फ़रवरी]], [[1948]], [[मैसूर]]; मृत्यु- [[5 दिसम्बर]], [[2016]], [[चेन्नई]]) [[तमिलनाडु]] की [[मुख्यमंत्री]] एवं [[ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम]] (ए.आइ.ए.डी.एम.के.) पार्टी की प्रसिद्ध नेता थीं। वे तमिल फ़िल्मों की [[अभिनेत्री]] भी रही थीं। जीवन के हर संघर्ष को मुंहतोड़ जवाब दे कर ही 'अम्मा' यानी '''जयललिता''' नारी शक्ति का प्राय: बन गई थीं।  
 
==परिचय==
 
==परिचय==
जयललिता का जन्म 24 फ़रवरी सन 1948 को मैसूर<ref>जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है।</ref> में मांडया ज़िले के पांडवपुर नामक तालुके के मेलुरकोट गाँव में एक 'अय्यर परिवार' में हुआ था। इनके पिता का नाम जयराम वेदवल्ली था तथा माता वेदावती थीं। जयललिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल और बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल में पाई। उन्होंने उच्च शिक्षा [[चेन्नई]] के चर्च पार्क प्रेजेंटेशन कान्वेंट और स्टेला मारिस कॉलेज से प्राप्त की थी। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के पिता जयराम, उन्हें माँ के साथ अकेला छोड़ चल बसे थे। इसके बाद शुरू हुआ ग़रीबी और अभाव का वह दौर, जिसने जयललिता को इतना मज़बूत बना दिया कि वे विषम परिस्थितियों में भी खुद को सहज बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहीं। विपक्ष के लिये ख़तरा और अपने चाहने वालों के बीच 'अम्मा' के नाम से मशहूर जयललिता ने अपनी राह अपने आप तय की।<ref>{{cite web |url= http://uditbhargavajaipur.blogspot.com/2010/07/jaylalita.html|title=जयललिता (Jaylalita) |accessmonthday=23 मई |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher=अपने विचार |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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जयललिता का जन्म 24 फ़रवरी सन 1948 को मैसूर<ref>जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है।</ref> में मांडया ज़िले के पांडवपुर नामक तालुके के मेलुरकोट गाँव में एक 'अय्यर परिवार' में हुआ था। इनके पिता का नाम जयराम वेदवल्ली था तथा माता वेदावती थीं। जयललिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल और बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल में पाई। उन्होंने उच्च शिक्षा [[चेन्नई]] के चर्च पार्क प्रेजेंटेशन कान्वेंट और स्टेला मारिस कॉलेज से प्राप्त की थी। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के पिता जयराम, उन्हें माँ के साथ अकेला छोड़ चल बसे थे। इसके बाद शुरू हुआ ग़रीबी और अभाव का वह दौर, जिसने जयललिता को इतना मज़बूत बना दिया कि वे विषम परिस्थितियों में भी खुद को सहज बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहीं। विपक्ष के लिये ख़तरा और अपने चाहने वालों के बीच 'अम्मा' के नाम से मशहूर जयललिता ने अपनी राह अपने आप तय की।<ref>{{cite web |url= http://uditbhargavajaipur.blogspot.com/2010/07/jaylalita.html|title=जयललिता (Jaylalita) |accessmonthday=23 मई |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher=अपने विचार |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
==फ़िल्मों में प्रवेश==
 
==फ़िल्मों में प्रवेश==
जयललिता ने सिर्फ़ 15 साल की उम्र में [[परिवार]] को चलाने के लिए फ़िल्मों का रुख़ कर लिया। उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फ़िल्म 'वेन्नीरादई' से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने [[तमिल भाषा|तमिल]] के अलावा [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] और [[हिन्दी]] फ़िल्मों में भी काम किया है।
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जयललिता ने सिर्फ़ 15 साल की उम्र में [[परिवार]] को चलाने के लिए फ़िल्मों का रुख़ कर लिया। उन्होंने जानेमाने निर्देशक श्रीधर की फ़िल्म 'वेन्नीरादई' से अपना फ़िल्मी कॅरियर शुरू किया और लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने [[तमिल भाषा|तमिल]] के अलावा [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] और [[हिन्दी]] फ़िल्मों में भी काम किया।
==राजनीति में प्रवेश==
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==राजनीतिक जीवन==
 
[[चित्र:Jayalalitha.jpeg|thumb|left|250px|जयललिता (अभिनेत्री रूप)]]
 
[[चित्र:Jayalalitha.jpeg|thumb|left|250px|जयललिता (अभिनेत्री रूप)]]
 
पार्टी के अंदर और सरकार में रहते हुए मुश्किल और कठोर फ़ैसलों के लिए मशहूर जयललिता को [[तमिलनाडु]] में 'आयरन लेडी' और तमिलनाडु की 'मारग्रेट थैचर' भी कहा जाता है। कम उम्र में पिता के गुजर जाने के बाद जयललिता को पूर्व अभिनेता और नेता [[एम. जी. रामचंद्रन]] [[1982]] में राजनीति में लाए। उसी साल वह ए.आई.ए.डी.एम.के. के टिकट पर [[राज्यसभा]] के लिए मनोनीत की गईं और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।<ref name="mcc">{{cite web |url=http://www.dw-world.de/dw/article/0,,15075596,00.html |title= अभिनेत्री से अम्मा तक जयललिता का सफर|accessmonthday=23 मई |accessyear= 2011|last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher= |language= [[हिन्दी]]}}</ref>
 
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[[ब्राह्मण]] विरोधी मंच पर द्रविड़ आंदोलन के नेता अपने चिर प्रतिद्वंद्वी एम. करूणानिधि से जयललिता की लंबी भिड़ंत हुई। राजनीति में [[1982]] में आने के बाद औपचारिक तौर पर उनकी शुरूआत तब हुई, जब वह अन्नाद्रमुक में शामिल हुईं। वर्ष [[1987]] में एम. जी. रामचंद्रन के निधन के बाद पार्टी को चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी और उन्होंने व्यापक राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया। भ्रष्टाचार के मामलों में 68 वर्षीय जयललिता को दो बार पद छोड़ना भी पड़ा, लेकिन दोनों मौके पर वह नाटकीय तौर पर वापसी करने में सफल रहीं। राजनीति में उनकी शुरुआत [[1982]] में हुई, जिसके बाद एमजीआर ने उन्हें अगले साल प्रचार सचिव बना दिया। रामचंद्रन ने करिश्माई छवि की अदाकारा-राजनेता को [[1984]] में राज्यसभा सदस्य बनाया, जिनके साथ उन्होंने 28 फिल्में की थीं। जयललिता ने 1984 के विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रभार का तब नेतृत्व किया, जब रामचंद्रन अस्वस्थता के कारण प्रचार नहीं कर सके थे।
 
==मुख्यमंत्री का पद==
 
==मुख्यमंत्री का पद==
[[1991]] में [[प्रधानमंत्री]] [[राजीव गांधी]] की हत्या हुई। इसके बाद चुनाव में जयललिता ने [[कांग्रेस]] के साथ गठबंधन किया, जिसका उन्हें फ़ायदा पहुँचा। लोगों में डी.एम.के. के प्रति ज़बरदस्त गुस्सा था, क्योंकि लोग उसे लिट्टे का समर्थक समझते थे। [[मुख्यमंत्री]] बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया था, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया था।<ref name="mcc"/>
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वर्ष [[1987]] में रामचंद्रन के निधन के बाद राजनीति में वह खुलकर सामने आयीं, लेकिन अन्नाद्रमुक में फूट पड़ गयी। ऐतिहासिक राजाजी हॉल में एमजीआर का शव पड़ा हुआ था और द्रमुक के एक नेता ने उन्हें मंच से हटाने की कोशिश की। बाद में अन्नाद्रमुक दल दो धड़े में बंट गया, जिसे जयललिता और रामचंद्रन की पत्नी जानकी के नाम पर 'अन्नाद्रमुक जे' और 'अन्नाद्रमुक जा' कहा गया। एमजीआर कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री आर. एम. वीरप्पन जैसे नेताओं के खेमे की वजह से अन्नाद्रमुक की निर्विवाद प्रमुख बनने की राह में अड़चन आयी और उन्हें भीषण संघर्ष का सामना करना पड़ा। रामचंद्रन की मौत के बाद बंट चुकी अन्नाद्रमुक को उन्होंने [[1990]] में एकजुट कर [[1991]] में जबरदस्त बहुमत दिलायी।<ref>{{cite web |url=http://abpnews.abplive.in/india-news/jayalalithaa-was-the-most-powerful-leader-of-tamilnadu-from-last-30-years-510644 |title=तमिलनाडु की राजनीति में तीन दशकों तक लहराया जयललिता का परचम |accessmonthday=06 दिसम्बर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=एबीपी न्यूज |language=हिंदी }}</ref> [[1991]] में ही [[प्रधानमंत्री]] [[राजीव गांधी]] की हत्या हुई थी और इसके बाद ही चुनाव में जयललिता ने [[कांग्रेस]] के साथ गठबंधन कर लिया था, जिसका उन्हें फ़ायदा पहुँचा था। लोगों में डी.एम.के. के प्रति ज़बरदस्त गुस्सा था, क्योंकि लोग उसे लिट्टे का समर्थक समझते थे। [[मुख्यमंत्री]] बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया था, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया था।<ref name="mcc"/>
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जयललिता ने बोदिनायाकन्नूर से [[1989]] में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और सदन में पहली महिला प्रतिपक्ष नेता बनीं। इस दौरान राजनीतिक और निजी जीवन में कुछ बदलाव आया, जब जयललिता ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ द्रमुक ने उन पर हमला किया और उनको परेशान किया। अलबत्ता, पांच साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों, अपने दत्तक पुत्र के [[विवाह]] में जमकर दिखावा और उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने के चलते उन्हें [[1996]] में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी द्रमुक के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी। इसके बाद उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति सहित कई मामले दायर किये गए। अदालती मामलों के बाद उन्हें दो बार पद छोड़ना पड़ा- पहली बार [[2001]] में दूसरी बार [[2014]] में।
 
==कार्यक्षमता==
 
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जयललिता [[2001]] में जब दोबारा सत्ता में आईं, तब उन्होंने लॉटरी टिकट पर पाबंदी लगा दी। हड़ताल पर जाने की वजह से दो लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया, किसानों की मुफ़्त बिजली पर रोक लगा दी, राशन की दुकानों में [[चावल]] की क़ीमत बढ़ा दी, 5000 रुपये से ज़्यादा कमाने वालों के राशन कार्ड खारिज कर दिए, बस किराया बढ़ा दिया और मंदिरों में जानवरों की बलि पर रोक लगा दी। लेकिन [[2004]] के [[लोक सभा]] चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पशुबलि की अनुमति दे दी और किसानों की मुफ़्त बिजली भी बहाल हो गई। उन्हें अपनी आलोचना बिल्कुल पसंद नहीं थी और इस वजह से उन्होंने कई [[समाचार पत्र|समाचार पत्रों]] के ख़िलाफ़ मानहानि के मुक़दमे किये।<ref name="mcc"/>
 
जयललिता [[2001]] में जब दोबारा सत्ता में आईं, तब उन्होंने लॉटरी टिकट पर पाबंदी लगा दी। हड़ताल पर जाने की वजह से दो लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया, किसानों की मुफ़्त बिजली पर रोक लगा दी, राशन की दुकानों में [[चावल]] की क़ीमत बढ़ा दी, 5000 रुपये से ज़्यादा कमाने वालों के राशन कार्ड खारिज कर दिए, बस किराया बढ़ा दिया और मंदिरों में जानवरों की बलि पर रोक लगा दी। लेकिन [[2004]] के [[लोक सभा]] चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पशुबलि की अनुमति दे दी और किसानों की मुफ़्त बिजली भी बहाल हो गई। उन्हें अपनी आलोचना बिल्कुल पसंद नहीं थी और इस वजह से उन्होंने कई [[समाचार पत्र|समाचार पत्रों]] के ख़िलाफ़ मानहानि के मुक़दमे किये।<ref name="mcc"/>

07:10, 6 दिसम्बर 2016 का अवतरण

जयललिता
जयललिता
पूरा नाम जयललिता जयराम
जन्म 24 फ़रवरी, 1948
जन्म भूमि मैसूर
मृत्यु 5 दिसम्बर, 2016
मृत्यु स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
नागरिकता भारतीय
पार्टी आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
पद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री
कार्य काल 24 जून 199112 मई 1996, 14 मई 200121 सितम्बर 2001, 2 मार्च 200212 मई 2006, 16 मई 2011 से 27 सितम्बर, 2014 तक।
भाषा तमिल, तेलुगु, कन्नड़, अंग्रेज़ी, हिंदी
अन्य जानकारी तमिल फ़िल्मों की अभिनेत्री भी थीं तथा इन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और हिन्दी भाषा की लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया।
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जयललिता जयराम (अंग्रेज़ी: Jayalalithaa Jayaram, जन्म: 24 फ़रवरी, 1948, मैसूर; मृत्यु- 5 दिसम्बर, 2016, चेन्नई) तमिलनाडु की मुख्यमंत्री एवं ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (ए.आइ.ए.डी.एम.के.) पार्टी की प्रसिद्ध नेता थीं। वे तमिल फ़िल्मों की अभिनेत्री भी रही थीं। जीवन के हर संघर्ष को मुंहतोड़ जवाब दे कर ही 'अम्मा' यानी जयललिता नारी शक्ति का प्राय: बन गई थीं।

परिचय

जयललिता का जन्म 24 फ़रवरी सन 1948 को मैसूर[1] में मांडया ज़िले के पांडवपुर नामक तालुके के मेलुरकोट गाँव में एक 'अय्यर परिवार' में हुआ था। इनके पिता का नाम जयराम वेदवल्ली था तथा माता वेदावती थीं। जयललिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल और बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल में पाई। उन्होंने उच्च शिक्षा चेन्नई के चर्च पार्क प्रेजेंटेशन कान्वेंट और स्टेला मारिस कॉलेज से प्राप्त की थी। महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के पिता जयराम, उन्हें माँ के साथ अकेला छोड़ चल बसे थे। इसके बाद शुरू हुआ ग़रीबी और अभाव का वह दौर, जिसने जयललिता को इतना मज़बूत बना दिया कि वे विषम परिस्थितियों में भी खुद को सहज बनाए रखने में पूरी तरह से सफल रहीं। विपक्ष के लिये ख़तरा और अपने चाहने वालों के बीच 'अम्मा' के नाम से मशहूर जयललिता ने अपनी राह अपने आप तय की।[2]

फ़िल्मों में प्रवेश

जयललिता ने सिर्फ़ 15 साल की उम्र में परिवार को चलाने के लिए फ़िल्मों का रुख़ कर लिया। उन्होंने जानेमाने निर्देशक श्रीधर की फ़िल्म 'वेन्नीरादई' से अपना फ़िल्मी कॅरियर शुरू किया और लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़ और हिन्दी फ़िल्मों में भी काम किया।

राजनीतिक जीवन

जयललिता (अभिनेत्री रूप)

पार्टी के अंदर और सरकार में रहते हुए मुश्किल और कठोर फ़ैसलों के लिए मशहूर जयललिता को तमिलनाडु में 'आयरन लेडी' और तमिलनाडु की 'मारग्रेट थैचर' भी कहा जाता है। कम उम्र में पिता के गुजर जाने के बाद जयललिता को पूर्व अभिनेता और नेता एम. जी. रामचंद्रन 1982 में राजनीति में लाए। उसी साल वह ए.आई.ए.डी.एम.के. के टिकट पर राज्यसभा के लिए मनोनीत की गईं और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।[3]

ब्राह्मण विरोधी मंच पर द्रविड़ आंदोलन के नेता अपने चिर प्रतिद्वंद्वी एम. करूणानिधि से जयललिता की लंबी भिड़ंत हुई। राजनीति में 1982 में आने के बाद औपचारिक तौर पर उनकी शुरूआत तब हुई, जब वह अन्नाद्रमुक में शामिल हुईं। वर्ष 1987 में एम. जी. रामचंद्रन के निधन के बाद पार्टी को चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी और उन्होंने व्यापक राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया। भ्रष्टाचार के मामलों में 68 वर्षीय जयललिता को दो बार पद छोड़ना भी पड़ा, लेकिन दोनों मौके पर वह नाटकीय तौर पर वापसी करने में सफल रहीं। राजनीति में उनकी शुरुआत 1982 में हुई, जिसके बाद एमजीआर ने उन्हें अगले साल प्रचार सचिव बना दिया। रामचंद्रन ने करिश्माई छवि की अदाकारा-राजनेता को 1984 में राज्यसभा सदस्य बनाया, जिनके साथ उन्होंने 28 फिल्में की थीं। जयललिता ने 1984 के विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रभार का तब नेतृत्व किया, जब रामचंद्रन अस्वस्थता के कारण प्रचार नहीं कर सके थे।

मुख्यमंत्री का पद

वर्ष 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद राजनीति में वह खुलकर सामने आयीं, लेकिन अन्नाद्रमुक में फूट पड़ गयी। ऐतिहासिक राजाजी हॉल में एमजीआर का शव पड़ा हुआ था और द्रमुक के एक नेता ने उन्हें मंच से हटाने की कोशिश की। बाद में अन्नाद्रमुक दल दो धड़े में बंट गया, जिसे जयललिता और रामचंद्रन की पत्नी जानकी के नाम पर 'अन्नाद्रमुक जे' और 'अन्नाद्रमुक जा' कहा गया। एमजीआर कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री आर. एम. वीरप्पन जैसे नेताओं के खेमे की वजह से अन्नाद्रमुक की निर्विवाद प्रमुख बनने की राह में अड़चन आयी और उन्हें भीषण संघर्ष का सामना करना पड़ा। रामचंद्रन की मौत के बाद बंट चुकी अन्नाद्रमुक को उन्होंने 1990 में एकजुट कर 1991 में जबरदस्त बहुमत दिलायी।[4] 1991 में ही प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी और इसके बाद ही चुनाव में जयललिता ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया था, जिसका उन्हें फ़ायदा पहुँचा था। लोगों में डी.एम.के. के प्रति ज़बरदस्त गुस्सा था, क्योंकि लोग उसे लिट्टे का समर्थक समझते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता ने लिट्टे पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया था, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया था।[3]

जयललिता ने बोदिनायाकन्नूर से 1989 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और सदन में पहली महिला प्रतिपक्ष नेता बनीं। इस दौरान राजनीतिक और निजी जीवन में कुछ बदलाव आया, जब जयललिता ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ द्रमुक ने उन पर हमला किया और उनको परेशान किया। अलबत्ता, पांच साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों, अपने दत्तक पुत्र के विवाह में जमकर दिखावा और उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने के चलते उन्हें 1996 में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी द्रमुक के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी। इसके बाद उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति सहित कई मामले दायर किये गए। अदालती मामलों के बाद उन्हें दो बार पद छोड़ना पड़ा- पहली बार 2001 में दूसरी बार 2014 में।

कार्यक्षमता

जयललिता 2001 में जब दोबारा सत्ता में आईं, तब उन्होंने लॉटरी टिकट पर पाबंदी लगा दी। हड़ताल पर जाने की वजह से दो लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया, किसानों की मुफ़्त बिजली पर रोक लगा दी, राशन की दुकानों में चावल की क़ीमत बढ़ा दी, 5000 रुपये से ज़्यादा कमाने वालों के राशन कार्ड खारिज कर दिए, बस किराया बढ़ा दिया और मंदिरों में जानवरों की बलि पर रोक लगा दी। लेकिन 2004 के लोक सभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पशुबलि की अनुमति दे दी और किसानों की मुफ़्त बिजली भी बहाल हो गई। उन्हें अपनी आलोचना बिल्कुल पसंद नहीं थी और इस वजह से उन्होंने कई समाचार पत्रों के ख़िलाफ़ मानहानि के मुक़दमे किये।[3]

जनता की भगवान 'अम्मा'

जयललिता (अम्मा) को जनता भगवान की तरह पूजती है। 2014 में जब जयललिता को जेल भेजा गया तो उनके कई समर्थकों ने आत्महत्या कर ली। दरअसल जयललिता की लोकप्रियता इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि उनकी योजनाएं सीधे जनता से जुड़ती हैं। उनकी योजनाएं गरीबों के हित में हैं; और खास बात ये है कि जयललिता की योजनाओं को अम्मा ब्रांड कहा जाता है।[5]

अम्मा कैंटीन

अम्मा कैंटीन में 1 रुपये में इडली सांभर और 5 रुपये में चावल मिलता है। राज्य के सभी बड़े शहरों में अम्मा कैंटीन खुली हुई हैं।

अम्मा मिनरल वाटर

10 रुपये में मिनरल वाटर की बोतल मिलती है। चेन्नई समेत सभी प्रमुख शहरों तथा रेलवे स्टेशन-बस स्टैंड के आसपास ये बिकती है।

अम्मा फार्मेसी

तमिलनाडु के प्रमुख अस्पतालों के पास खुले फार्मेसी में सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध हैं।

अम्मा सीमेंट

गरीबों को घर बनाने के लिए सस्ते में सीमेंट बेचने की योजना को लोगों ने पसंद किया है।

बेबी केयर किट

अम्मा बेबी केयर किट में मच्छरदानी, मैट्रेस, साबुन, कपड़े, नैपकीन, बेबी शैंपू 16 सामान मुफ्त में दिये जाते हैं।

अम्मा मोबाइल

इस योजना में तमिलनाडु के स्वयं सहायता समूहों को फ्री में स्मार्टफोन मिलता है। इसके अलावा अम्मा सॉल्ट, अम्मा सीड्स आदि बांड भी हैं।

काफ़ी कुछ मुफ्त में

गरीब औरतों को मिक्सर ग्राइंडर, लड़कियों को साइकिलें, छात्रों को स्कूल बैग, किताबें, यूनिफाॅर्म तथा मुफ्त में मास्टर हेल्थ चेकअप की सुविधा भी मिलती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है।
  2. जयललिता (Jaylalita) (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.) अपने विचार। अभिगमन तिथि: 23 मई, 2011।
  3. 3.0 3.1 3.2 अभिनेत्री से अम्मा तक जयललिता का सफर (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 23 मई, 2011।
  4. तमिलनाडु की राजनीति में तीन दशकों तक लहराया जयललिता का परचम (हिंदी) एबीपी न्यूज। अभिगमन तिथि: 06 दिसम्बर, 2016।
  5. जानें क्यों भगवान मानती है जनता (हिंदी) prabhatkhabar.com। अभिगमन तिथि: 06 दिसम्बर, 2016।

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