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*नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह इंडियन एयरलाइंस और इस क्षेत्र में काम कर रही अन्‍य निजी उड्डयन कंपनियों से कहें कि वे अगरतला और सिलचर के बीच बारास्‍ता कैलाशहर व कमालपुर उडान सेवा शुरू करें। मंत्रालय ने राज्‍य सरकार से कहा है कि वह पूर्वोत्तर परिषद के साथ एक आशय-पत्र हस्‍ताक्षर कर ले और कैलाशहर व कमालपुर हवाई अड्डों के विकास पर आने वाले व्‍यय को वहन करें। राज्‍य सरकार ने इस प्रस्‍ताव पर सहमत होने में अपनी असमर्थता जताई हैं।
 
*नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह इंडियन एयरलाइंस और इस क्षेत्र में काम कर रही अन्‍य निजी उड्डयन कंपनियों से कहें कि वे अगरतला और सिलचर के बीच बारास्‍ता कैलाशहर व कमालपुर उडान सेवा शुरू करें। मंत्रालय ने राज्‍य सरकार से कहा है कि वह पूर्वोत्तर परिषद के साथ एक आशय-पत्र हस्‍ताक्षर कर ले और कैलाशहर व कमालपुर हवाई अड्डों के विकास पर आने वाले व्‍यय को वहन करें। राज्‍य सरकार ने इस प्रस्‍ताव पर सहमत होने में अपनी असमर्थता जताई हैं।
  
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==सांस्कृतिक जीवन==
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जनजातीय रीति-रिवाज, लोककथाएं व लोकगीत त्रिपुरा की संस्कृति के महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। दो प्रमुख वार्षिक उत्सव गडिया (अप्रॅल) और कास (जून या जुलाई) हैं, जिनमें पशुओं की बलि चढ़ाई जाती है। हर समुदाय का अपना नृत्य है, जैसे रियांग का होजागिरि, त्रिपुरी का गडिया, झूम, मालमिता, मसक सुमनी और लेबांग बूमनी, चकमा का बीजू, लुसाई का केर और वेल्कम, मलसुम का हाई-हाक, गारो का वंगाला, मोग का संगरैका चिमिथांग, पडिशा और अभंगमा, कटई और जमतिया का गडिया, बंगाली समुदाय का गंजन, धमैल, सरी और रबींद्र संगीत, मणिपुरी समुदाय का बसंत राश और पुंगचलाम, प्रमुख संगीत वाद्य खंब, [[बाँसुरी]], लेबांग, सरिंदा, दोतारा और खेंगरोंग हैं। [[सचिन देव बर्मन]] और [[राहुल देव बर्मन]] जैसे प्रसिद्ध संगीतकार इसी राज्य की देन हैं।  राज्य से 15 बांग्ला व दो अंग्रेज़ी दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं।
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*बैसाखी उत्‍सव (सबरूम) आदि हर वर्ष मनाए जाते हैं।
 
*बैसाखी उत्‍सव (सबरूम) आदि हर वर्ष मनाए जाते हैं।
 
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==पर्यटन समारोह==
 
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#आरेंज एंड टूरिज्‍म फेस्टिवल वांगमुन
 
#आरेंज एंड टूरिज्‍म फेस्टिवल वांगमुन

13:05, 7 जून 2011 का अवतरण

India-flag.gif
त्रिपुरा
Tripura-Map.jpg
राजधानी अगरतला
राजभाषा(एँ) बांग्ला भाषा, कक बराक भाषा
स्थापना 21 जनवरी, 1972
जनसंख्या 27,57,205[1]
· घनत्व 263[1] /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किमी[1]
भौगोलिक निर्देशांक 23.84°N 91.28°E
· ग्रीष्म 36.2 °C
· शरद 7 °C
ज़िले 4[1]
लिंग अनुपात 1000:945[1] ♂/♀
साक्षरता 73.2%
राज्यपाल डी. वाई. पाटिल[1]
मुख्यमंत्री माणिक सरकार[1]
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
Tripura-Seal.gif

त्रिपुरा का इतिहास बहुत पुराना और लंबा है। इसकी अपनी अनोखी जनजातीय संस्‍कृति और दिलचस्‍प लोकगाथाएं है। ऐसा माना जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश का 39 वाँ राजा था, उनके नाम पर ही इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा । एक मत के अनुसार स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा । यह हिन्दू धर्म की 51 शक्ति पीठों में से एक है । इस राज्य के इतिहास को ‘राजमाला’ गाथाओं और मुसलमान इतिहासकारों के वर्णनों से जाना जा सकता है। महाभारत और पुराणों में भी त्रिपुरा का उल्‍लेख मिलता है।

अगरतला पैलेस, त्रिपुरा
Agartala Palace, Tripura

'राजमाला' के अनुसार त्रिपुरा के शासकों को ‘फा’ उपनाम से पुकारा जाता था जिसका अर्थ ‘पिता’ होता है। 14वीं शताब्‍दी में बंगाल के शासकों द्वारा त्रिपुरा नरेश की मदद किए जाने का भी उल्‍लेख मिलता है। त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में 'माणिक्य' नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी, जिसने हिन्दू धर्म अपनाया था। त्रिपुरा के शासकों को मुग़लों के बार-बार आक्रमण का भी सामना करना पडा जिसमें आक्रमणकारियों को कम ही सफलता मिलती थी। कई लड़ाइयों में त्रिपुरा के शासकों ने बंगाल के सुल्‍तानों को हराया। 19वीं शताब्‍दी में 'महाराजा वीरचंद्र किशोर माणिक्‍य बहादुर' के शासनकाल में त्रिपुरा में नए युग का सूत्रपात हुआ। उन्‍होंने अपने प्रशासनिक ढांचे को ब्रिटिश भारत के नमूने पर बनाया और कई सुधार लागू किए। उनके उत्तराधिकारों ने 15 अक्‍तूबर, 1949 तक त्रिपुरा पर शासन किया। इसके बाद त्रिपुरा भारत संघ में शामिल हो गया। प्रारम्भ में यह भाग - सी के अंतर्गत आने वाला राज्‍य था और 1956 में राज्‍यों के पुनर्गठन के बाद यह केंद्रशासित प्रदेश बना। 1972 में इसने पूर्ण राज्‍य का दर्जा प्राप्‍त किया। त्रिपुरा बांग्लादेश तथा म्यांमार की नदी घाटियों के बीच स्थित है। इसके तीन तरफ बांग्‍लादेश है और केवल उत्तर-पूर्व में यह असम और मिज़ोरम से जुड़ा हुआ है। अगरतला त्रिपुरा प्रान्त की राजधानी है। त्रिपुरा देश का दूसरा सबसे छोटा राज्य है।

भाषा

बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) यहाँ मुख्य रूप से बोली जाती हैं।

सिंचाई

त्रिपुरा राज्‍य मुख्‍यत: पहाड़ी इलाका है। त्रिपुरा राज्य में त्रिपुरा पहाड़ियाँ भी स्थित है। इसका भौगोलिक क्षेत्र 10,49,169 हेक्‍टेयर है। अनुमान है कि 2,80,000 हेक्‍टेयर भूमि कृषि योग्‍य है। 31 मार्च, 2008 तक 93,359 हेक्‍टेयर भूमि क्षेत्र में लिफ्ट सिंचाई, गहरे नलकूप, दिशा परिवर्तन, मध्‍यम सिंचाई व्‍यवस्‍था, शैलो ट्यूबवैल आदि के जरिए सुनिश्चित सिंचाई के प्रबंधन किए गए हैं। यह राज्‍य की सिंचाई योग्‍य भूमि का 79.97 प्रतिशत और कृषि योग्‍य भूमि का लगभग 33.34 प्रतिशत है। लोक निर्माण विभाग (जल संसाधन) द्वारा 1411 डाइवर्ज़न स्‍कीम, 166 गहरे नलकूप स्‍कीमें पूरी की जा चुकी हैं। 3 मध्‍यम सिंचाई योजनाओं (गुमती, खोवई और मनु) के जरिए कमान एरिया के कुछ भाग को सिंचाई का पानी उपलब्‍ध कराया जा रहा है। नहर प्रणाली का कार्य 2009-10 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।

बिजली

इस समय राज्‍य की बिजली की मांग लगभग 162 मेगावॉट है। राज्‍य में अपनी परियोजनाओं से लगभग 80 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है। लगभग 40 मेगावॉट बिजली पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में स्थित केंद्रीय क्षेत्र के विद्युत उत्‍पादन केंद्रों से राज्‍य के लिए आबंटित हिस्‍से से प्राप्‍त की जाती है। यह आकलन किया गया है कि वर्ष 2012 के दौरान सर्वोच्‍च मांग लगभग 396 मेगावॉट को भी पूरा कर दिया जाएगा जो 'राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना' तथा 'राज्‍य के औद्योगिकीकरण' के परिणामस्‍वरूप उत्‍पन्‍न होगी।

त्रिपुरा की नई विद्युत परियोजनाएं

  1. बारामुरा 1 x 21 मेगावॉट जीटी परियोजना, एन.ई.सी. के अंतर्गत पश्चिम त्रिपुरा एन.ई.सी., कार्यकारी एजेंसी: टी.एस.ई.सी.एल.।
  2. पालटाना, उदयपुर, ओ.टी.पी.सी. विद्युत परियोजना (740 मेगावॉट), दक्षिण त्रिपुरा। त्रिपुरा का हिस्सा 200 मेगावॉट है। 2011-12 में शुरू होने की संभावना है। #मोनारचक जी.टी. परियोजना (104 मेगावॉट) : कार्यकारी एजेंसी : नीपको, 2010- में शुरू हो जाने की संभावना है।

अर्थव्यवस्था

त्रिपुरा की अर्थव्यवस्था प्राथमिक रूप से कृषि पर आधारित है। मुख्य फ़सल चावल है। (कृषि उत्पादन का 46.16 प्रतिशत) और पूरे राज्य में इसकी खेती होती है। नक़दी फ़सलों मे जूट (जिसका इस्तेमाल बोरी, टाट और सुतली बनाने में होता है), कपास चाय, गन्ना, मेस्ता और फल शामिल हैं। राज्य की कृषि में पशुपालन की सहायक भूमिका है। वनोपज आधारित उद्योग इमारती लकड़ी ईंधन और लकड़ी के कोयले का उत्पादन करते है। 1994 में चाय का उत्पादन 35,55,593 किलोग्राम था।

उद्योग

यहाँ मुख्यतः छोटे पैमाने पर निर्माण कार्य होता है, जिसमें बुनाई, बढ़ईगिरि, टोकरी व मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे कई कुटीर उद्योग शामिल हैं। छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास को बढ़ाने में राज्य सरकार सक्रिय है। बांस व बेंत हस्तशिल्प में कक्ष विभाजक, फ़र्नीचर भित्तिपट्टिका, टेबल मैट और फ़र्श पर बिछाने वाली चटाइयाँ शामिल हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है। औद्योगिक इकाइयाँ चाय, चीनी डिब्बाबंद फल कृषि औज़ार ईंट और जूते-चप्पल बनाती हैं। अपेक्षाकृत बड़े उपक्रमों में कताई मिल, जूट मिल, इस्पात मिल, प्लाईवुड फ़ैक्टी और औषधि संयंत्र शामिल हैं। अगरतला अंबासा खोवाई, धर्मनगर, कैलाशहर, उदयपुर और बगाफा में स्थित डीज़ल चालित ताप संयंत्रों से बिजली मिलती है। इसके अलावा गुमटी पनबिजली परियोजना (1976 में पूरी हुई) से भी बिजली मिलती है। इसकी कुल स्थापित क्षमता 6,935 मेगावाट है। राज्य में हाल ही में प्राकृतिक गैस के व्यापक संसाधनों की खोज हुई है।

संचार

पहाड़ी स्थलाकृति के कारण यहाँ संचार में कठिनाई आती है। तीन ओर से (839 किलोमीटर) बांग्लादेश से घिरे होने के कारण त्रिपुरा शेष भारत से लगभग कटा हुआ है। अगरतला-करीमगंज (असम) सड़क (3,666 किलोमीटर) एकमात्र भू-मार्ग है और धर्मनगर से असम के कलकली घाट तक मीटर गेज़ रेलवे लाइन (45किलोमीटर) है। यहाँ की अधिकांश नदियों में नावें चलती हैं, लेकिन इनका उपयोग स्थानीय परिवहन के लिए ही होता है। अगरतला कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और असम के विभिन्न नगरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा है। राज्य के भीतर भी वायुसेना उपलब्ध है।

परिवहन

सडकें- त्रिपुरा में विभिन्‍न प्रकार की सड़कों की कुल लंबाई 1,997 कि.मी. है, जिसमें से मुख्‍य ज़िला सड़कें 90 कि.मी., अन्‍य ज़िला सड़कें 1,218 कि.मी. और प्रांतीय राजमार्ग 689 कि.मी हैं।

रेलवे- अगरतला-सबरूम संपर्क रेल लाइन विस्‍तार के कार्य को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। अगरतला और सबरूम के बीच एक नई बड़ी लाइन के लिए इंजीनियरिंग और यातायात के सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी गई है।

उड्डयन- मुख्‍य हवाई अड्डा अगरतला में है।

  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह इंडियन एयरलाइंस और इस क्षेत्र में काम कर रही अन्‍य निजी उड्डयन कंपनियों से कहें कि वे अगरतला और सिलचर के बीच बारास्‍ता कैलाशहर व कमालपुर उडान सेवा शुरू करें। मंत्रालय ने राज्‍य सरकार से कहा है कि वह पूर्वोत्तर परिषद के साथ एक आशय-पत्र हस्‍ताक्षर कर ले और कैलाशहर व कमालपुर हवाई अड्डों के विकास पर आने वाले व्‍यय को वहन करें। राज्‍य सरकार ने इस प्रस्‍ताव पर सहमत होने में अपनी असमर्थता जताई हैं।

सांस्कृतिक जीवन

जनजातीय रीति-रिवाज, लोककथाएं व लोकगीत त्रिपुरा की संस्कृति के महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। दो प्रमुख वार्षिक उत्सव गडिया (अप्रॅल) और कास (जून या जुलाई) हैं, जिनमें पशुओं की बलि चढ़ाई जाती है। हर समुदाय का अपना नृत्य है, जैसे रियांग का होजागिरि, त्रिपुरी का गडिया, झूम, मालमिता, मसक सुमनी और लेबांग बूमनी, चकमा का बीजू, लुसाई का केर और वेल्कम, मलसुम का हाई-हाक, गारो का वंगाला, मोग का संगरैका चिमिथांग, पडिशा और अभंगमा, कटई और जमतिया का गडिया, बंगाली समुदाय का गंजन, धमैल, सरी और रबींद्र संगीत, मणिपुरी समुदाय का बसंत राश और पुंगचलाम, प्रमुख संगीत वाद्य खंब, बाँसुरी, लेबांग, सरिंदा, दोतारा और खेंगरोंग हैं। सचिन देव बर्मन और राहुल देव बर्मन जैसे प्रसिद्ध संगीतकार इसी राज्य की देन हैं। राज्य से 15 बांग्ला व दो अंग्रेज़ी दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं।

त्‍योहार
अगरतला में एक झील, त्रिपुरा
A lake in Agartala, Tripura

निम्नलिखित त्योहार मनाये जाते है-

  • तीर्थमुख और उनाकोटी में मकर संक्रांति
  • होली
  • उनोकोटी, ब्रहाकुंड (मोहनपुर) में अशोकाष्‍टमी
  • राश
  • बंगाली नववर्ष
  • गारिया, धामेल, बिजू और होजगिरि उत्‍सव
  • नौका दौड़ और मनसा मंगल उत्‍सव
  • केर और खाची उत्‍सव
  • दुर्गापूजा
  • दीवाली
महिला, त्रिपुरा
Woman, Tripura
  • जंपुई पहाडियों में क्रिसमस
  • बुद्ध पूर्णिमा
  • रॉबिंदर-नजरूल-सुकांता उत्‍सव
  • गली नाट्य उत्‍सव
  • चोंगप्रेम उत्‍सव
  • खंपुई उत्‍सव
  • वाह उत्‍सव
  • सांस्‍कृतिक उत्‍सव (लोक उत्‍सव)
  • मुरासिंग उत्‍सव
  • संघाटी उत्‍सव
  • बैसाखी उत्‍सव (सबरूम) आदि हर वर्ष मनाए जाते हैं।
अगरतला का एक दृश्य, त्रिपुरा
A View Of Agartala, Tripura

पर्यटन समारोह

  1. आरेंज एंड टूरिज्‍म फेस्टिवल वांगमुन
  2. उनोकेटि टूरिज्‍म फेस्टिवल
  3. नीरमहल टूरिज्‍म फेस्टिवल
  4. पिलक टुरिज्‍म फेस्टिवल।
  5. सांस्‍कृतिक/धार्मिक उत्‍सव

पर्यटन

त्रिपुरा हर दृष्टि से पर्यटन के लिए उपयुक्त राज्य है। यहां देखने तथा घूमने-फिरने के लिए कई स्थान एवं स्थल हैं। राज्य संस्कृति की दृष्टि से भी संपन्न है। यह राज्य पूर्वोत्तर राज्यों के मुकाबले पर्यटन की अधिक संभावनाओं से पूर्ण है। यहां पूर्वोत्तर के राज्यों के अलावा बांग्लादेश जाने वाले पर्यटक भी आकर्षित होते हैं। होटल उद्योग के विकास के साथ ही यहां पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ी हैं।

पर्यटकों के आकर्षण के साथ ही राज्य में इसके विकास की भारी संभावनाएं हैं। 10,491.69 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ यह देश के सबसे छोटे राज्यो मे से एक है। लेकिन अपने प्राचीन इतिहास, सौंदर्य, पर्वतीय इलाकों की सुंदरता, हरियाली, संस्कृति, रहन सहन एवं परिवेश तथा अच्छे मौसम की वजह से इसे पर्यटन में खासा लाभ हो सकता है। पर्यटकों की सुविधा के लिए राज्य को दो पर्यटक इकाईयों में बांटा गया है। पहला है पश्चिम-दक्षिण त्रिपुरा तथा दूसरा है पश्चिमोत्तर क्षेत्र, जो धलाई जिले तक है। पूरे राज्य में पर्यटन की अपार संभावना है, खासकर ईको-पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, हेरिटेज पर्यटन, पर्वतीय पर्यटन तथा ग्रामीण पर्यटन।

पर्यटन स्थल

उज्जयंत महल का विहंगम दृश्य
Panoramic View of Ujjayanta Palace
  • अगरतला
  • कमल सागर
  • सेफाजाला
  • नीरमहल
  • उदयपुर
  • पिलक
  • महामुनि
  • वेस्‍ट - नॉर्थ त्रिपुरा
  • दुम्बूर झील
  • उनोकोटि
  • जामपुई हिल


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 1.6 Tripura at a Glance - Statistics (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) त्रिपुरा की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 2 जून, 2011।

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