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(''''नसीम बानो''' (अंग्रेज़ी: ''Naseem Bano'' जन्म; 4 जुलाई 1916 - मृत्य:...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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'''नसीम बानो''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Naseem Bano'' जन्म; 4 जुलाई 1916 - मृत्य: 18 जून 2002) चालीस के दशक में हिन्दी फ़िल्मों की प्रमुख अभिनेत्री थीं। भारतीय सिने जगत में अपनी दिलकश अदाओं से दर्शकों को दीवाना बनाने वाली एक अभिनेत्री ऐसी भी हुयी जिसे ब्यूटी क्वीन कहा जाता था।  
 
'''नसीम बानो''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Naseem Bano'' जन्म; 4 जुलाई 1916 - मृत्य: 18 जून 2002) चालीस के दशक में हिन्दी फ़िल्मों की प्रमुख अभिनेत्री थीं। भारतीय सिने जगत में अपनी दिलकश अदाओं से दर्शकों को दीवाना बनाने वाली एक अभिनेत्री ऐसी भी हुयी जिसे ब्यूटी क्वीन कहा जाता था।  
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
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सिनेमा जगत में नसीब बानो का प्रवेश संयोगवश हुआ। एक बार नसीम बानो अपनी स्कूल की छुटियों के दौरान अपनी मां के साथ फिल्म 'सिल्वर किंग' की शूटिंग देखने गयीं। फिल्म की शूटिंग देखकर नसीम बानो मंत्रमुग्ध हो गयीं और उन्होंने निश्चय किया कि वह [[अभिनेत्री]] के रुप में अपना सिने करियर बनायेंगी। इधर स्टूडियों में नसीम बानो की सुंदरता को देख कई फिल्मकारों ने नसीम बानो के सामने फिल्म अभिनेत्री बनने का प्रस्ताव रखा लेकिन उनकी मां ने यह कहकर सभी प्रस्ताव ठुकरा दिये कि नसीम अभी बच्ची है। नसीम की मां उन्हें अभिनेत्री नहीं बल्कि डॉक्टर बनाना चाहती थीं। इसी दौरान फिल्म निर्माता [[सोहराब मोदी]] ने अपनी फिल्म ‘हेमलेट' के लिये बतौर अभिनेत्री नसीम बानो को काम करने के लिए प्रस्ताव दिया और इस बार भी नसीम बानो की मां ने इंकार कर दिया लेकिन इस बार नसीम अपनी जिद पर अड़ गयी कि उन्हें अभिनेत्री बनना ही है। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी बात मनवाने के लिये भूख हडताल भी कर दी।<ref>{{cite web |url=http://www.punjabkesari.in/news/%E0%A4%AA%E0%A4%A2%E0%A4%A9%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%8F-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%A5%E0%A5%80%E0%A4%82-%E2%80%98%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%9F%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%A8%E2%80%99-48453 |title=पढऩे के लिए पालकी में जाती थीं ‘ब्यूटी क्वीन’ |accessmonthday=3 नवम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=पंजाब केसरी |language=हिन्दी }}</ref>
 
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====फ़िल्मी सफ़र====
 
====फ़िल्मी सफ़र====
सन् 1935 में नसीम को फिल्मों में ब्रेक दिया मशहूर फिल्मकार सोहराब मोदी ने और 'खून का खून' फिल्म का निर्माण किया। इसके बाद नसीम 1941 तक सोहराब मोदी की ही फिल्मों में व्यस्त रहीं और इस दौरान उनकी 'खान बहादुर' (1937), ' डाइवोर्स ' तथा 'मीठा जहर' (1938), 'पुकार' (1939) और 'मैं हारी' (1940) में प्रदर्शित हुई । मुगल सम्राट जहांगीर के एक इंसाफ को आधार बनाकर बनाई गई ' पुकार ' सुपरहिट रही। इसमें जहांगीर का किरदार अभिनेता चंद्रमोहन ने निभाया , जबकि नसीम बानो जहांगीर के बेगम की भूमिका में थीं। जब फिल्म प्रदर्शित हुई तो उस दौर में मुंबई के सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों की भारी भीड़ जुटी। उस फिल्म की सफलता के बाद नसीम बानो फिल्म उद्योग में स्टार के रूप में स्थापित हो गईं और इंडस्ट्री की सबसे व्यस्त अभिनेत्री बन गईं।  
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सन् 1935 में नसीम को फिल्मों में ब्रेक दिया मशहूर फिल्मकार सोहराब मोदी ने और 'खून का खून' फिल्म का निर्माण किया। इसके बाद नसीम 1941 तक सोहराब मोदी की ही फिल्मों में व्यस्त रहीं और इस दौरान उनकी 'खान बहादुर' (1937), ' डाइवोर्स ' तथा 'मीठा जहर' (1938), 'पुकार' (1939) और 'मैं हारी' (1940) में प्रदर्शित हुई । मुगल सम्राट जहांगीर के एक इंसाफ को आधार बनाकर बनाई गई 'पुकार' सुपरहिट रही। इसमें जहांगीर का किरदार अभिनेता चंद्रमोहन ने निभाया, जबकि नसीम बानो जहांगीर के बेगम की भूमिका में थीं। जब फिल्म प्रदर्शित हुई तो उस दौर में मुंबई के सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों की भारी भीड़ जुटी। उस फिल्म की सफलता के बाद नसीम बानो फिल्म उद्योग में स्टार के रूप में स्थापित हो गईं और इंडस्ट्री की सबसे व्यस्त अभिनेत्री बन गईं।  
 
इसके बाद 1942 में उनकी [[पृथ्वीराज कपूर]] के साथ फिल्म 'उजाला' आई। इसे भी दर्शकों ने पसंद किया। 'उजाला' का निर्माण 'ताजमहल पिक्चर' के बैनर तले हुआ था। फिल्मीस्तान कंपनी ने जब फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा तो अभिनेत्री के रूप में कंपनी की पहली पिक्चर में नसीम बानो को साइन किया। ' चल-चल रे नौजवान ' नामक इस सफल फिल्म में नसीम के साथ नायक का किरदार निभाया दादा मुनि उर्फ [[अशोक कुमार]] ने। इस फिल्म ने भी अच्छा कारोबार किया और नसीम बानो और व्यस्त कलाकार बन गईं। उन्होंने फिल्मकार [[महबूब खान]] की कई फिल्मों में भी अभिनय किया। उसके बाद अपनी बेटी [[सायरा बानो]] का दौर शुरू हो जाने से उन्होंने खुद को हिंदी सिनेमा की मुख्यधारा से अलग कर लिया। यह संयोग ही है कि सायरा उनसे भी ज्यादा मशहूर अभिनेत्री हुईं।<ref>{{cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/13480591.cms |title=अपने समय की सबसे ग्लैमरस अभिनेत्री थीं नसीम बानो |accessmonthday=3 नवम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नवभारत टाइम्स |language=हिन्दी }}</ref>  
 
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==निधन==
 
==निधन==
नसीम बानो का [[18 जून]] [[2002]] को [[मंगलवार]] रात में निधन हो गया। दिवंगत अभिनेत्री के शोक संतप्त परिवार में उनकी अभिनेत्री पुत्री सायरा बानो ही हैं। नसीम बानो ने मंगलवार देर रात करीब साढे़ ग्यारह बजे अपने निवास पर अंतिम सांस ली।
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नसीम बानो का [[18 जून]] [[2002]] को [[मंगलवार]] रात में निधन हो गया। दिवंगत अभिनेत्री के शोक संतप्त [[परिवार]] में उनकी अभिनेत्री पुत्री सायरा बानो ही हैं।
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10:51, 3 नवम्बर 2012 का अवतरण

नसीम बानो
नसीम बानो
पूरा नाम नसीम बानो
जन्म 4 जुलाई, 1916
मृत्यु 18 जून, 2002
संतान सायरा बानो
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र अभिनेत्री
मुख्य फ़िल्में पुकार (1939), 'मीठा जहर' (1938), बेगम (1945), शीश महल (1950)
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी नसीम बानो की पुत्री सायरा बानो भी हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रही हैं जिन्होंने सुपरस्टार दिलीप कुमार से विवाह किया।

नसीम बानो (अंग्रेज़ी: Naseem Bano जन्म; 4 जुलाई 1916 - मृत्य: 18 जून 2002) चालीस के दशक में हिन्दी फ़िल्मों की प्रमुख अभिनेत्री थीं। भारतीय सिने जगत में अपनी दिलकश अदाओं से दर्शकों को दीवाना बनाने वाली एक अभिनेत्री ऐसी भी हुयी जिसे ब्यूटी क्वीन कहा जाता था।

जीवन परिचय

नसीम बानो का जन्म 4 जुलाई 1916 को हुआ और परवरिश शाही ढग़ से हुयी थी। वह स्कूल पढऩे के लिए पालकी से जाती थीं। नसीम बानो की सुंदरता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें किसी की नजर न लग जाए इसलिये उन्हें पर्दे में रखा जाता था।

सिनेमा जगत में प्रवेश

सिनेमा जगत में नसीब बानो का प्रवेश संयोगवश हुआ। एक बार नसीम बानो अपनी स्कूल की छुटियों के दौरान अपनी मां के साथ फिल्म 'सिल्वर किंग' की शूटिंग देखने गयीं। फिल्म की शूटिंग देखकर नसीम बानो मंत्रमुग्ध हो गयीं और उन्होंने निश्चय किया कि वह अभिनेत्री के रुप में अपना सिने करियर बनायेंगी। इधर स्टूडियों में नसीम बानो की सुंदरता को देख कई फिल्मकारों ने नसीम बानो के सामने फिल्म अभिनेत्री बनने का प्रस्ताव रखा लेकिन उनकी मां ने यह कहकर सभी प्रस्ताव ठुकरा दिये कि नसीम अभी बच्ची है। नसीम की मां उन्हें अभिनेत्री नहीं बल्कि डॉक्टर बनाना चाहती थीं। इसी दौरान फिल्म निर्माता सोहराब मोदी ने अपनी फिल्म ‘हेमलेट' के लिये बतौर अभिनेत्री नसीम बानो को काम करने के लिए प्रस्ताव दिया और इस बार भी नसीम बानो की मां ने इंकार कर दिया लेकिन इस बार नसीम अपनी जिद पर अड़ गयी कि उन्हें अभिनेत्री बनना ही है। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी बात मनवाने के लिये भूख हडताल भी कर दी।[1]

फ़िल्मी सफ़र

सन् 1935 में नसीम को फिल्मों में ब्रेक दिया मशहूर फिल्मकार सोहराब मोदी ने और 'खून का खून' फिल्म का निर्माण किया। इसके बाद नसीम 1941 तक सोहराब मोदी की ही फिल्मों में व्यस्त रहीं और इस दौरान उनकी 'खान बहादुर' (1937), ' डाइवोर्स ' तथा 'मीठा जहर' (1938), 'पुकार' (1939) और 'मैं हारी' (1940) में प्रदर्शित हुई । मुगल सम्राट जहांगीर के एक इंसाफ को आधार बनाकर बनाई गई 'पुकार' सुपरहिट रही। इसमें जहांगीर का किरदार अभिनेता चंद्रमोहन ने निभाया, जबकि नसीम बानो जहांगीर के बेगम की भूमिका में थीं। जब फिल्म प्रदर्शित हुई तो उस दौर में मुंबई के सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों की भारी भीड़ जुटी। उस फिल्म की सफलता के बाद नसीम बानो फिल्म उद्योग में स्टार के रूप में स्थापित हो गईं और इंडस्ट्री की सबसे व्यस्त अभिनेत्री बन गईं। इसके बाद 1942 में उनकी पृथ्वीराज कपूर के साथ फिल्म 'उजाला' आई। इसे भी दर्शकों ने पसंद किया। 'उजाला' का निर्माण 'ताजमहल पिक्चर' के बैनर तले हुआ था। फिल्मीस्तान कंपनी ने जब फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा तो अभिनेत्री के रूप में कंपनी की पहली पिक्चर में नसीम बानो को साइन किया। ' चल-चल रे नौजवान ' नामक इस सफल फिल्म में नसीम के साथ नायक का किरदार निभाया दादा मुनि उर्फ अशोक कुमार ने। इस फिल्म ने भी अच्छा कारोबार किया और नसीम बानो और व्यस्त कलाकार बन गईं। उन्होंने फिल्मकार महबूब खान की कई फिल्मों में भी अभिनय किया। उसके बाद अपनी बेटी सायरा बानो का दौर शुरू हो जाने से उन्होंने खुद को हिंदी सिनेमा की मुख्यधारा से अलग कर लिया। यह संयोग ही है कि सायरा उनसे भी ज्यादा मशहूर अभिनेत्री हुईं।[2]

निधन

नसीम बानो का 18 जून 2002 को मंगलवार रात में निधन हो गया। दिवंगत अभिनेत्री के शोक संतप्त परिवार में उनकी अभिनेत्री पुत्री सायरा बानो ही हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पढऩे के लिए पालकी में जाती थीं ‘ब्यूटी क्वीन’ (हिन्दी) पंजाब केसरी। अभिगमन तिथि: 3 नवम्बर, 2012।
  2. अपने समय की सबसे ग्लैमरस अभिनेत्री थीं नसीम बानो (हिन्दी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 3 नवम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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