बनारस की काष्ठ कला

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:59, 22 नवम्बर 2012 का अवतरण ('बनारस या वाराणसी में लकड़ी के खिलौने तथा अन्य कलात...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

बनारस या वाराणसी में लकड़ी के खिलौने तथा अन्य कलात्मक चीजों ने भी ख्याति को बढ़ाया है। इस पेशे में लगे कलाकारों को इस बात का गर्व भी है कि उनकी कला भी वाराणसी के रेशमी वस्रों के निर्माण की कला के समान ही समस्त विश्व में वंदनीय है। कहते हैं कि बनारस की काष्ठ-कला आधुनिक या केवल दो-चार सौ वर्ष पुरानी परम्परा नहीं है बल्कि यह तो 'राम राज्य' से भी पहले से चली आ रही है। जब राम चारों भाई बच्चे थे तो भी वे इन्ही लकड़ी के बने खिलौने से खेलते थे। श्री राम खेलावन सिंह जो कि मास्टर क्राफ्ट्समेन हैं तथा इस धंधे को इनके पूर्वज बहुत ही प्राचीन काल से करते आ रहे हैं, श्री राम खेलावन सिंह जी बहुत ही प्रयोगवादी कलाकार हैं। सन् 1988 में इन्होंने सुपारी का एक कलात्मक लैम्प बनाया, जिसके लिए इन्हें सन् 1989 में राज्य सरकार से पुरस्कृत किया गया।[1]

पहले बनारस में केवल बच्चों के खिलौने तथा सिन्दूरदान बनाए जाते थे, लेकिन आजकल बहुत ही तरह की चीजें बनने लगी हैं। इसी तरह से पहले इनके द्वारा निर्मित वस्तुओं की खपत स्थानीय बाजार खासकर विश्वनाथ गली एवं गंगा के विभिन्न घाटों पर तीर्थयात्रियों द्वारा होता था। परन्तु आजकल ये अपने बनाए समानों को भारत के सभी हिस्सों एवं प्रमुख शहरों में भेजते हैं, जहां इनकी अच्छी खासी मांग तथा खपत है। इतना ही नहीं, आजकल विश्व के बाजार में भी इनके द्वारा बनाए गए खिलौने, सजावट के समान एवं एक्यूप्रेसर के यंत्रों की अच्छी खासी मांग है। और इन समानों का धरल्ले से निर्यात किया जा रहा है।

उपयोग में आने वाले विभिन्न रंग

परम्परागत रुप से काशी के काष्ठ कला से जुड़े कलाकार लाल, हरा, काला, तथा नीले एवं मिले जुले रंगो का प्रयोग करते थे। यह परम्परा बहुत दिनों तक यथावत चलता रही। बल्कि बहुत से लोग तो आज भी इन्हीं रंगो का प्रयोग अपने द्वारा बनाए गए उपकरणों/खिलौनों को रंगने के लिए करते हैं। आज जब इनके बनाये गये कलात्मक वस्तुओं की मांग चारों ओर दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, ये भी नित-रोज़ प्रयोग में लगे हुए हैं। इसी प्रयोग के सिलसिले में इन्होंने बहुत अन्य रंगों का भी प्रयोग करना शुरु कर दिया है। आज बाजार में जितने भी रंग उपलब्ध हैं बहुत से काष्ठ कला निर्माता उन सभी रंगों का प्रयोग किसी न किसी वस्तु को बनाने के लिए अवश्य करते हैं। उपकरणों को रंगने के बाद ऊपर से विभिन्न चित्रों से भी सुसज्जित किया जाता है। सुसज्जित करने का काम प्रायः महिलायें करती हैं। बहुत से रंगों के प्रयोग का एक कारण यहां के काष्ठ कला से निर्मित कला तत्व का निर्यात भी है। विदेशों में हो रहे मांग के हिसाब से ही विभिन्न रंगों का प्रचलन बढ रहा है और यह गति अभी भी जारी है।

बनने वाली कलाकृतियाँ

पहले बनारस के काष्ठ कलाकार मुख्य रुप से बच्चों के खिलौने तथा सिन्दूरदान इत्यादि बनाते थे परन्तु अद्यतन इनकी संख्या एवं विविधता में अत्यधिक वृद्धि हुई है। आजकल जो प्रमुख चीजें बनायी जाती हैं वे इस प्रकार हैं:

  • सिंदूरदान या सिंदूर रखने की डिब्बी
  • बच्चों के खिलौने
  • चुसनी
  • लट्टू
  • बच्चों के खेलने के 'करनाटकी' पहले करनाटकी में केवल जांता, ग्लास, तथा थाली हुआ करता था। आजकल करनाटकी सेट के अन्तर्गत 27 आइटम आतें हैं। इनमें से मुख्य आइटम इस प्रकार है।
    • थाली
    • जांता
    • ऊखली
    • मुसल
    • ग्लास (यह तीन का सेट होता है। तीनों एक साइज के होते हैं)
    • लोटिया (यह दो का सेट होता है। दोनों एक साइज के होते हैं)
    • बेगुना
    • चुल्हा
    • चक्की
    • रोटी (यह दस का सेट होता है। सभी रोटी का एक साइज होता है।)
    • तवा
    • कलछुल
  • फैमिली प्लानिंग सेटः

यह भी एक प्रकार का खिलौना है जो पांच तथा दस का सेट होता है। खिलौने को बनाकर उसे आदमी, बंदर हाथी या किसी अन्य चीजों से चित्रित किया जाता है। एक के अंदर एक इस तरह से पांच या दस डाला जाता है। बच्चे जितने जल्दी एक खुले सेट को फिर से तैयार कर लें उनहें उतना ही तेज समझा जाता है। इन वस्तुओं का विदेशों में अच्छी मांग है।

  • विभिन्न फल, फूल, सब्जी इत्यादि जैसे
  • बच्चों का पालना/झूला
  • हवाई जहाज
  • गाड़ी (रेलगाड़ी, बस इत्यादि)
  • चाभी
  • लैम्प
  • श्राद्ध कर्म में प्रसुक्त होने वाले पात्र
  • एक्यूप्रेसर से सम्बन्धित उपकरणः
    • एक्यूप्रेसर युक्त चाभी किंरग
    • देह को मसाज करनेवाला यंत्र
    • पैर को मसाज करने वाला एक्यूप्रेसर जिससे थकावट स्वतः दूर हो जाता है।
  • फूलदान
  • शतरंज की गोटी
  • कैरमबोर्ड की गोटी
  • घंटी
  • एशट्रे
  • बनावटी फूलों का गुच्छा
  • यज्ञ इत्यादि में प्रयुक्त होने वाले यज्ञपात्र
  • विशेष संस्कार जैसे 'उपनयन संस्कार, विवाह' आदि में प्रयुक्त होने वाले यज्ञपात्र
  • बटन
  • किचन सेट
  • गहने (आभूषण)
    • कान का
    • हाथ का
    • बालों में लगानेवाला
स्नानगृह में प्रयुक्त होने वाले समान
  • साबुनदान
  • पीढ़ी
  • ब्रश (शरीर मलने वाला)



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मिश्र, डॉ. कैलाश कुमार। बनारस की काष्ठ कला (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) ignca.nic.। अभिगमन तिथि: 22 नवंबर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख