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आज का दिन - 29 अप्रैल 2024 (भारतीय समयानुसार)
- राष्ट्रीय शाके 1946, 09 गते 17, वैशाख, सोमवार
- विक्रम सम्वत् 2081, वैशाख, कृष्ण पक्ष, पंचमी, सोमवार, पूर्वाषाढ़ा
- इस्लामी हिजरी 1445, 19, शव्वाल, पीर, नआइम
- राजा रवि वर्मा (जन्म), अल्ला रक्खा ख़ाँ (जन्म), ज़ुबिन मेहता (जन्म), भामाशाह (जन्म), अजीत जोगी (जन्म), ई. अहमद (जन्म), दीपिका चिखालिया (जन्म), बालकृष्ण शर्मा नवीन (मृत्यु), राजा महेन्द्र प्रताप (मृत्यु), गोपबन्धु चौधरी (मृत्यु), केदार शर्मा (मृत्यु), आर. एन. मल्होत्रा (मृत्यु), इरफ़ान ख़ान (मृत्यु), चिन्तामणी पानिग्रही (मृत्यु), अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस
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भारतकोश हलचल
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस (29 अप्रॅल) • विश्व बौद्धिक सम्पदा दिवस (26 अप्रॅल) • चेरनोबिल दिवस (26 अप्रॅल) • विश्व पशु चिकित्सा दिवस (26 अप्रॅल) • विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रॅल) • राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रॅल) • पौर्णमासी व्रत (23 अप्रॅल) • हनुमान जयन्ती (23 अप्रॅल) • विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस (23 अप्रॅल) • पृथ्वी दिवस (22 अप्रॅल) • प्रदोष व्रत (21 अप्रॅल) • महावीर जयन्ती (21 अप्रॅल) • सिविल सेवा दिवस (21 अप्रॅल) • वामन द्वादशी (20 अप्रॅल) • कामदा एकादशी (19 अप्रॅल) • विश्व यकृत दिवस (19 अप्रॅल) • विश्व विरासत दिवस (18 अप्रॅल) • दुर्गा नवमी (17 अप्रॅल) • रामनवमी (17 अप्रॅल) • विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस (17 अप्रॅल) • दुर्गाष्टमी (16 अप्रॅल) • मेला नरी सेमरी, मथुरा (16 अप्रॅल) • स्कन्द षष्ठी (14 अप्रॅल) • यमुना जयंती (14 अप्रॅल) • यमुना छठ (14 अप्रॅल) • विशु उत्सव, केरल (14 अप्रॅल) • अम्बेडकर जयन्ती (14 अप्रॅल) • अग्निशमन दिवस (14 अप्रॅल) • श्रीपंचमी (13 अप्रॅल) • मेष संक्रान्ति (13 अप्रॅल) • वैशाखी (13 अप्रॅल) • जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड स्मृति दिवस (13 अप्रॅल) • विनायक चतुर्थी (12 अप्रॅल) • गणगौर पूजा प्रारम्भ (11 अप्रॅल) • मत्स्य जयन्ती (11 अप्रॅल) • ईद उल फ़ितर, ईद (11 अप्रॅल)
जन्म
फ़ातिमा बीबी (30 अप्रॅल) • दादा साहब फाल्के (30 अप्रॅल) • मीनाक्षी लेखी (30 अप्रॅल) • ई. अहमद (29 अप्रॅल) • ज़ुबिन मेहता (29 अप्रॅल) • अल्ला रक्खा ख़ाँ (29 अप्रॅल) • राजा रवि वर्मा (29 अप्रॅल) • भामाशाह (29 अप्रॅल) • अजीत जोगी (29 अप्रॅल) • दीपिका चिखालिया (29 अप्रॅल)
मृत्यु
हरि सिंह नलवा (30 अप्रॅल) • ऋषि कपूर (30 अप्रॅल) • चुनी गोस्वामी (30 अप्रॅल) • रोहित सरदाना (30 अप्रॅल) • केदार शर्मा (29 अप्रॅल) • आर. एन. मल्होत्रा (29 अप्रॅल) • राजा महेन्द्र प्रताप (29 अप्रॅल) • बालकृष्ण शर्मा नवीन (29 अप्रॅल) • गोपबन्धु चौधरी (29 अप्रॅल) • इरफ़ान ख़ान (29 अप्रॅल) • चिन्तामणी पानिग्रही (29 अप्रॅल)
भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें
पिछले सभी लेख → | सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी | शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र | शर्मदार की मौत |
एक आलेख
संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें
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एक व्यक्तित्व
महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें
पिछले लेख → | पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर | जे. आर. डी. टाटा | आर. के. लक्ष्मण |
पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा गया एक महाकाव्य है, जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन-चरित्र का वर्णन किया गया है। यह महाकवि चंदबरदाई की रचना है, जो पृथ्वीराज के अभिन्न मित्र तथा राजकवि थे। इसमें दिल्लीश्वर पृथ्वीराज के जीवन की घटनाओं का विशद वर्णन है। यह तेरहवीं शती की रचना है। डॉ. माताप्रसाद गुप्त इसे 1400 विक्रमी संवत के लगभग की रचना मानते हैं। इसमें पृथ्वीराज व उनकी प्रेमिका संयोगिता के परिणय का सुन्दर वर्णन है। यह ग्रंथ ऐतिहासिक कम काल्पनिक अधिक है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' में लिखा है- 'पृथ्वीराज रासो ढाई हज़ार पृष्ठों का बहुत बड़ा ग्रंथ है जिसमें 69 समय (सर्ग या अध्याय) हैं। प्राचीन समय में प्रचलित प्राय: सभी छंदों का व्यवहार हुआ है। मुख्य छंद हैं कवित्त (छप्पय), दूहा, तोमर, त्रोटक, गाहा और आर्या। ...और पढ़ें
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दीपावली अथवा 'दिवाली' भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने श्रीराम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीक़े से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है, वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं। ... और पढ़ें
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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
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सरोजिनी नायडू • पतंग • भूकंप • शक्तिपीठ • वल्लभाचार्य • आधुनिक काल • कृष्ण जन्मभूमि • कुम्भ मेला • लिपि • बौद्ध दर्शन |
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ब्रज डिस्कवरी पर हम आपको एक ऐसी यात्रा का भागीदार बनाना चाहते हैं जिसका रिश्ता ब्रज के इतिहास, संस्कृति, समाज, पुरातत्व, कला, धर्म-संप्रदाय, पर्यटन स्थल, प्रतिभाओं आदि से है।
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