आज का दिन - 18 मई 2024
- राष्ट्रीय शाके 1946, 28 गते 05, वैशाख, शनिवार
- विक्रम सम्वत् 2081, वैशाख, शुक्ल पक्ष, दशमी, शनिवार, उत्तरा फाल्गुनी
- इस्लामी हिजरी 1445, 09, ज़िलक़ाद, हफ़्ता, सर्फ़ा
- एच. डी. देवगौड़ा (जन्म), एस. जगन्नाथन (जन्म), शाहू (जन्म), थावर चंद गहलोत (जन्म), सुधीर रंजन मजूमदार (जन्म), फग्गन सिंह कुलस्ते (जन्म), अनिल चौहान (जन्म), पंचानन माहेश्वरी (मृत्यु), रीमा लागू (मृत्यु), अनिल माधब दवे (मृत्यु), जय गुरुदेव (मृत्यु), कृष्ण पट्टाभि जोइस (मृत्यु), मुकुन्द दास (मृत्यु), अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस, पोखरण परमाणु विस्फोट दिवस
यदि दिनांक सूचना सही नहीं दिख रही हो तो कॅश मेमोरी समाप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें
|
|
विशेष आलेख
- वाराणसी के व्यापारी समुद्री व्यापार भी करते थे। काशी से समुद्र यात्रा के लिए नावें छूटती थीं।
- इस नगर के धनी व्यापारियों का व्यापार के उद्देश्य से समुद्र पार जाने का उल्लेख है। जातकों में भी व्यापार के उद्देश्य से बाहर जाने का उल्लेख मिलता है। एक जातक में उल्लेख है कि बनारस के व्यापारी दिशाकाक लेकर समुद्र यात्रा को गए थे। ... और पढ़ें
|
|
एक पर्यटन स्थल
- खजुराहो की मूर्तियों की सबसे अहम और महत्त्वपूर्ण ख़ूबी यह है कि इनमें गति है, देखते रहिए तो लगता है कि शायद चल रही है या बस हिलने ही वाली है, या फिर लगता है कि शायद अभी कुछ बोलेगी, मस्कुराएगी, शर्माएगी या रूठ जाएगी।
- कमाल की बात तो यह है कि ये चेहरे के भाव और शरीर की भंगिमाऐं केवल स्त्री पुरुषों में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी दिखाई देती हैं। ... और पढ़ें
|
|
ऐसा भी हुआ !
- 20 हज़ार आबादी वाले एक नगर के लोगों ने दो हज़ार साल पहले स्वयं अपने नगर में आग लगा दी और अपनी स्त्रियों और बच्चों के साथ जलकर मर गए .... और पढ़ें
|
|
सूक्ति और कहावत
- गंगा की पवित्रता में कोई विश्वास नहीं करने जाता। गंगा के निकट पहुँच जाने पर अनायास, वह विश्वास पता नहीं कहाँ से आ जाता है। -लक्ष्मीनारायण मिश्र (गरुड़ध्वज, पृ. 79)
- पृथ्वी में कुआं जितना ही गहरा खुदेगा, उतना ही अधिक जल निकलेगा । वैसे ही मानव की जितनी अधिक शिक्षा होगी, उतनी ही तीव्र बुद्धि बनेगी। -तिरुवल्लुवर (तिरुक्कुरल, 396) .... और पढ़ें
|
|
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
|
|
|
|
भूला-बिसरा भारत
- हमारे महान संस्कृत ग्रंथ ताड़पत्रों पर लिखे गये। क्या थे ये 'ताड़पत्र' ? ... और पढ़ें
- 'ओखली' पहले हर घर में होती थी पर आज शायद ही किसी घर में हो ... और पढ़ें
- 'किमखाब' के कारीगरों की क़द्र हो न हो लेकिन उनका काम बेमिसाल हुआ करता था ... और पढ़ें
- 'चौंसठ कलाएँ' कभी हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग थीं। क्या थीं ये? ... और पढ़ें
|
|
एक व्यक्तित्व
- सत्यजित राय मानद ऑस्कर अवॉर्ड, भारत रत्न के अतिरिक्त पद्म श्री (1958), पद्म भूषण (1965), पद्म विभूषण (1976) और रमन मैगसेसे पुरस्कार (1967) से सम्मानित हैं।
- विश्व सिनेमा के पितामह माने जाने वाले महान निर्देशक अकीरा कुरोसावा ने राय के लिए कहा था "सत्यजित राय के बिना सिनेमा जगत वैसा ही है जैसे सूरज-चाँद के बिना आसमान" ... और पढ़ें
|
|
|
|