उर्वरक उद्योग
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उर्वरक उद्योगों के विकास का श्रेय वर्तमान के वैज्ञानिक कृषि को जाता है। क्योकि इनके प्रयोग से एक ओर तो फसलों का उत्पादन बढ़ा है। दूसरी ओर भूमि की उर्वरता भी सकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है। चूंकि कृषि फसलें मिट्टी के खनिज तत्वों तथा नाइट्रोजन, फास्फोरस, गंधक, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, एवं लौह तत्वों को तीव्रता से ग्रहण करती है। अतएव मिट्टी की उर्वरता को बनाये रखने के लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। यह स्वतंत्र भारत का सबसे नवीन उद्योग हैं तथा भारत में हरित क्रान्ति की सफलता का श्रेय इस उद्योग को भी है।
ऐतिहासिक रूप से देश में सुपर फास्फेट उर्वरक का पहला कारख़ाना 1906 में तमिलनाडु के रानीपेट नामक स्थान पर स्थापित किया गया था। 1944 में कर्नाटक के बैलेगुल नामक स्थान पर 'मैसूर केमिकल्स एण्ड फर्टिलाइजर्स' के नाम से अमोनिया उर्वरक का कारख़ाना स्थापित किया गया। 1947 में अमोनियम सल्फेट का पहला कारख़ाना केरल के अलवाये नामक स्थान पर खोला गया।
उर्वरक कारखाने
भारत में सार्वजनिक एवं निजी दोनो क्षेत्रों में उर्वरक का उत्पादन किया जाता है। भारत के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के निगम एवं उनके संरक्षकत्व में स्थापित उर्वरक कारखाने निम्नलिखित हैं-
- भारतीय उर्वरक निगम
भारतीय उर्वरक निगम (फर्टिलाइजर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया) की स्थापना 1951 में हुई थी। यह भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का निगम है। इसके अन्तर्गत
- सिन्दरी (3 इकाइयाँ, स्थापना- 1951 में , एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक संयत्र)
- गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
- रामागुण्डम (आंध्र प्रदेश)
- तलचर (उड़ीसा)
- ट्राम्बे (मुम्बई) आदि कारखाने स्थापित किये गये हैं।
- हिन्दुस्तान उर्वरक निगम
वर्ष | उत्पादन (हज़ार टन) |
आयात (हज़ार टन) |
उपभोग (हज़ार टन) |
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1960-61 | 150 | 419 | 292 |
1970-71 | 1059 | 629 | 2177 |
1980-81 | 3005 | 2759 | 5516 |
1990-91 | 9045 | 2758 | 12546 |
1995-96 | 11335 | 3955 | 13877 |
1996-97 | 11155 | 1975 | 14308 |
1997-98 | 13062 | 3174 | 16188 |
1998-99 | 13621 | 3145 | 16798 |
1999-2000 | 14289 | 4075 | 18069 |
2000-2001 | 14704 | 2090 | 16702 |
2001-2002 | 14628 | 2399 | 17360 |
2002-2003 | 14468 | 1674 | 16094 |
2003-2004 | 14265 | 2018 | 16798 |
2004-2005 | 15405 | 2753 | 18398 |
2005-2006 | 15575 | 5254 | 20340 |
2006-2007 | 16095 | 6080 | 21652 (अनुमानित) |
इस निगम के आधीन स्थापित किये गये कारखाने है-
- बरौनी (बिहार-2 इकाइयां)
- नागरूप (असम)
- हल्दिया (पश्चिम बंगाल)
- भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी निगम (इफको)
इसकी स्थापना 1967 में की गयी थी। इसके अन्तर्गत स्थापित इकाइयाँ हैं- गुजरात में कलोल तथा कच्छ एवं उत्तर प्रदेश में आंवला (बरेली) तथा फूलपुर (इलाहाबाद)।
- कृभको या कृषक भारती को-ऑपरेटिव
सन 1980 में इसकी स्थापना राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था के रूप में की गयी थी। इसके अधीन गुजरात के हजीरा नामक स्थान पर एक विशाल उर्वरक संयन्त्र स्थापित किया गया है।
- नेशनल फर्टिलाइजर्स लि.
इसके अधीन स्थापित किये गये कारखाने नांगल तथा भटिंडा (पंजाब), पानीपत (हरियाणा) तथा गुना (मध्य प्रदेश) में स्थित हैं, जबकि उद्योग मण्डल (अलवाये), कोचीन प्रथम तथा द्वितीय कारखानें फर्टिलाइजर्स एण्ड केमिकल्स ट्रावनकोर लि. के अधीन है।
राज्यों की दृष्टि से
राज्यों की दृष्टि से तमिलनाडु में नेवली, रानीपेट, इन्नौर, कोयम्बटूर, कुडालू, तूतीकोरिन, आवड़ी तथा मनाली में; गुजरात में कांडला, बड़ोदरा, उधना, हजीरा भावनगर में; आन्ध्र प्रदेश में विशाखापटनम, मौलअली (हैदराबाद), तादेपल्ली, तनूकू, निदादावाला, रामागुण्डम में; झारखण्ड में सिन्दरी, जमशेदपुर, बोकारो तथा धनवाद; बिहार में डालमिया नगर तथा बरौनी में; उत्तर प्रदेश मे कानपुर, गोरखपुर तथा इलाहाबाद (फूलपुर) में; उड़ीसा में राउरकेला, प्रायद्वीप तालचर में; राजस्थान में खेतड़ी, सलादीपुर (सीकर) तथा कोटा में; महाराष्ट्र में मुम्बई, ट्राम्बे, अम्बरनाथ तथा लोनी कालमोर में; असम में नामरूप तथा चन्द्रपुर में; पश्चिम बंगाल में बर्नपुर, हल्दिया, रिसरा तथा खारदाह में; कर्नाटक में मंगलोर, बेलागुला तथा मुनीराबाद में एवं दिल्ली में उर्वरक कारखानें स्थापित हैं।
उर्वरक का उत्पादन
भारत में आज भी उर्वरक का उत्पादन आवश्यकता से कम किया जाता है। कुल मांग के लगभग 45 प्रतिशत विदेशों से आयात करना पड़ता है जो संयुक्त राज्य अमरीका, रूस, जापान तथा पूर्वी यूरोप के देशों से होता हे। 2006-2007 में कुल 16095 हज़ार टन उर्वरक का उत्पारन किया गया जबकि इस दौरान कुल 6080 हज़ार टन उर्वरक आयात किये गये।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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