ऐलुमिनियम उद्योग
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ऐलुमिनियम उद्योग के अन्तर्गत बॉक्साइट की कच्ची धातु से इसका निर्माण किया जाता है। बॉक्साइट को गलाने के लिए बड़ी मात्रा में कोयले की आवश्यकता के कारण ऐलुमिनियम कारखाने उन्हीं क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं, जहाँ दोनो खनिज साथ-साथ मिलते है।
ऐलुमिनियम के कारखाने
पहला कारख़ाना
भारत में ऐलुमिनियम का पहला कारख़ाना 1937 मे जे.के. नगर में 'ऐलुमिनियम कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया' के नाम से स्थापित किया गया।
दूसरा कारख़ाना
1938 में 'इण्डियन ऐलुमिनियम लि.' की चार शाखाओं-
- झारखण्ड के मुरी
- कर्नाटक के अलवाय
- पश्चिम बंगाल के बेलूर
- उड़ीसा के हीराकुंड में स्थापित की गयीं।
तीसरा कारख़ाना
ऐलुमिनियम का तीसरा कारख़ाना 'हिन्दुस्तान ऐलुमिनियम कार्पोरेशन' (हिण्डाल्को), उत्तर प्रदेश के रेनूकुट नामक स्थान पर लगाया गया।
चौथा कारख़ाना
चौथा कारख़ाना तमिलनाडु के मैटूर नामक स्थान पर 'मद्रास ऐलुमिनियम कं.' के नाम से खोला गया। इस कारखानों की कुल उत्पादन क्षमता लगभग 4 लाख टन प्रतिवर्ष है।
ऐलुमिनियम का उत्पादन
- 27 नवम्बर, 1965 को सार्वजनिक क्षेत्र के पहले प्राथमिक ऐलुमिनियम उत्पाद उपक्रम के रूप में 'भारत ऐलुमिनियम कंपनी लिमिटेड' (बालको) को निगमित किया गया। कंपनी द्वारा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 'कोरबा ऐलुमिनियम संकुल' तथा पश्चिम बंगाल के आसनसोल में भिंधनबाग इकाई का संचालन किया जा रहा है।
- 2 मार्च, 1999 को सरकार ने इसकी 51 प्रतिशत हिस्सा पूंजी और प्रबंधन संबंधी नियंत्रण स्टारलाइट इंडस्ट्रीज (इंडिया) लिमिटेड को सौंप दिया है।
- 7 जनवरी 1981 को 'नेशनल ऐलुमिनियम कम्पनी लिमिटेड' (नालको) को एल्यूमिना और ऐलुमिनियम के उत्पादन के उद्देश्य से निगमित किया गया।
- 2007-08 के दौरान देश में कुल 755.7 हज़ार मीट्रिक टन ऐलुमिनियम का उत्पादन हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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