निर्यात आयात नीति
निर्यात आयात नीति सरकार की आयात-निर्यात नीति है, जिसकी घोषणा प्रत्येक पांच वर्षों में की जाती है। यह नीति 'विदेश व्यापार नीति' के रूप में भी जानी जाती है। इन नीति में निर्यात और आयात, संवर्धनात्मक उपायों, शुल्क छूट योजनाओं, निर्यात संवर्धन योजनाओं विशेष आर्थिक क्षेत्र कार्यक्रमों और विभिन्न क्षेत्रों के लिए अन्य ब्यौरों के संबंध में सामान्य प्रावधान शामिल होते हैं। प्रत्येक वर्ष सरकार इस नीति के पूरक की घोषणा करती है।
कृषि निर्यात क्षेत्र
वर्ष 2002-2007 की निर्यात-आयात नीति कृषि संबंधी निर्यातों के महत्व पर जोर देती है और कृषि निर्यात क्षेत्रों की स्थापना करने, प्रक्रियात्मक बाधाओं को दूर करने और विपणन लागत सहायता जैसे उपायों की इसमें घोषणा की गई है। कृषि निर्यात क्षेत्र इस नीति का अति महत्वपूर्ण सृजन माना जाता है। कृषि निर्यात क्षेत्र का गठन इस नीति के परिणामस्वरूप किया गया है। इन जोनों का उद्देश्य देश से कृषि निर्यात का संवर्धन करना और कृषक समुदाय को नियमित रूप से परिलब्धि संबंधी प्रतिलाभ प्रदान करना हैं। उन्हें राज्य सरकार द्वारा अभिचिन्हांकित किया जाना है, जिससे सभी राज्य सरकार की एजेंसियों, राज्य कृषि विश्वविद्यालय और इन क्षेत्रों में गहन परिदाय के लिए संघ सरकार की एजेंसियों और संस्थाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा की व्यापक पैकेज का विकास करेगी। कारपोरेट क्षेत्र की कंपनियां जिनकी विश्वसनीयता प्रमाणित है को नए कृषि निर्यात क्षेत्रों को प्रायोजित करने के लिए या पहले से अधिसूचित निर्यात जोनों को अपने अधिकार में लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना के जरिए प्रबंधित और समन्वित सेवाओं में कटाई पूर्व। कटाई पश्च कार्य, पौध संरक्षण, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भण्डारण और संबंधित अनुसंधान तथा विकास के प्रावधान शामिल हैं। ए पी ई डी ए (एपेडा) अपनी योजनाओं और प्रावधानों के भीतर निर्यात सुलभ बनाने के लिए राज्य सरकारों के प्रयासों की पूरक होंगी।[1]
योजनाएँ
केंद्र में सरकार बदलने के बाद 2004-2009 की एक नई निर्यात आयात नीति की घोषणा की गई। इस नीति में निर्यात संवर्धनात्मक उपाय किए गए, जैसे कि निर्यात उत्कृष्टता के शहर, टारगेट प्लस, मुक्त व्यापार और भण्डारण क्षेत्र और विदेश कृषि उपज योजना। इन योजनाओं का ब्यौरा निम्नानुसार है-
- निर्यात उत्कृष्टता का शहर
यहां विशिष्ट क्षेत्र में शहर जो 250 करोड़ रुपये और उससे अधिक का माल उत्पादन हस्तकरघा, कृषि, हस्तशिल्प और मत्स्यिकी क्षेत्र में करता है, निर्यात में विकास की अपनी क्षमता के आधार पर निर्यात उत्कृष्टता शहर के रूप में अधिसूचित किया जाएगा। उन्हें अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए यह मान्यता दी जाएगी, उन्हें मूल्य श्रृंखला में अधिक प्रगति करने एवं नए बाज़ारों का दोहन करने में समर्थ बनया जाएगा।
- टारगेट प्लस
इस योजना में जिन निर्यातकों ने निर्यात के विकास में बड़ी वृद्धि हासिल की है, उन्हें निर्धारित सामान्य वास्तविक निर्यात लक्ष्य से स्थायी रूप से अधिक वृद्धितर निर्यात के आधार पर शुल्क मुक्त क्रेडिट अनुमत दी जाएगी। पुरस्कार टीयर के तरीके के अनुसार प्रदान किया जाएगा। 20, 25 और 100 प्रतिशत वृद्धितर विकास के लिए शुल्क मुक्त क्रेडिट वृद्धितर निर्यातों के फ्री ऑन बोर्ड का 5, 10 और 15 प्रतिशत होगा।
- विदेश कृषि ग्राम उद्योग योजना
इसका उद्देश्य फलों, सब्जियों, फूलों और अन्य मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्यात का संवर्धन करना है। सोयाबीन और नारियल के तेल तथा खाद्य तैयारी जैसे कि सूप को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया गया है। इसके साथ-साथ योजना का लाभ 100 प्रतिशत निर्यातोन्मुखी यूनिटों तक बढ़ाया गया है।
- विदेश व्यापार नीति 2004-2009 के लिए 2007 का वार्षिक पूरक
विदेशों में दी गई सेवा और भारत से निर्यात पर प्रभार पर सरकार ने सेवाकर में छूट दी है। उसी प्रकार भारत में दी गईं सेवा पर निर्यातकों द्वारा प्रयुक्त सेवा पर सेवा कर से छूट दी गई है या हटा दिया गया है। दोहन न किए गए बाज़ारों का दोहन करने के लिए निर्यात को विविध रूप देने हेतु संकेंद्रण बाज़ार योजना का 16 नए देशों को शामिल करने के लिए विस्तार किया गया है। नई मदें, जैसे कि बारली, ओट, सोयाबीन, सिगार/चुरूट, बोवीन वसा और कोपरा को संकेंद्रण उत्पाद के रूप में शामिल किया गया है, कृषि प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने के लिए स्टेटस धारकों को शुल्क क्रेडिट स्क्रिप जो कृषि निर्यात के मूल्य का 10 प्रतिशत के बराबर है।
इन्हें भी देखें: भारत का विदेशी व्यापार
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ निर्यात आयात नीति (हिंदी) आधिकारिक बेवसाइट भारत सरकार। अभिगमन तिथि: 26 जनवरी, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
- नई आयात-निर्यात नीति का एकमा ने किया स्वागत
- नई आयात-निर्यात नीति पर निबंध
- नई आयात निर्यात नीति घोषित
- आयात एवं निर्यात का मतलब
- आयात निर्यात नीति