काशी प्रसाद जायसवाल
काशी प्रसाद जायसवाल
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पूरा नाम | काशी प्रसाद जायसवाल |
जन्म | 27 नवम्बर, 1881 |
जन्म भूमि | मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 4 अगस्त, 1937 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भारतीय इतिहास तथा पुरातत्त्व |
मुख्य रचनाएँ | 'हिन्दू पॉलिसी', 'एन इंपीरियल हिस्ट्री ऑफ़ इण्डिया', 'ए क्रोनोलॉजी एण्ड हिस्ट्री ऑफ़ नेपाल', 'अंधकार युगीन भारत'। |
विद्यालय | 'लंदन मिशन स्कूल', मिर्जापुर; 'ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी'। |
प्रसिद्धि | इतिहासकार |
विशेष योगदान | डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के सहयोग से काशी प्रसाद जायसवाल ने 'इतिहास परिषद' की स्थापना की थी। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | काशी प्रसाद जी आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के समकालीन थे। दोनों कभी सहपाठी और मित्र भी रहे थे, किन्तु बाद में दोनों में किंचिद कारणवश अमैत्री पनप गयी थी। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
काशी प्रसाद जायसवाल (अंग्रेज़ी: Kashi Prasad Jayaswal ; जन्म- 27 नवम्बर, 1881, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 4 अगस्त, 1937) भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं साहित्यकार थे। ये इतिहास तथा पुरातत्त्व के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान् थे। काशी प्रसाद जायसवाल 'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' के उपमंत्री भी बने थे। इन्होंने 'बिहार रिसर्च जनरल' तथा 'पाटलीपुत्र' नामक पत्रों का सम्पादन भी किया था। 'पटना संग्रहालय' की स्थापना में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। इतिहास और मुद्रा विषयक अनेक सम्मेलनों की अध्यक्षता काशी प्रसाद जी ने की थी।
जन्म तथा शिक्षा
काशी प्रसाद जायसवाल का जन्म 27 नवम्बर, 1881 ई. में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एक धनी व्यापारी परिवार में हुआ था। उन्होंने मिर्जापुर के 'लंदन मिशन स्कूल' से प्रवेश की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। इसके उपरान्त उच्च शिक्षा के लिये वे 'ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी' चले गये. जहाँ से इतिहास में एम. ए. किया। काशी प्रसाद जायसवाल ने 'बार' के लिये परीक्षा में भी सफलता प्राप्त की।
व्यावसायिक शुरुआत
भारत लौटने पर काशी प्रसाद जायसवाल ने 'कोलकाता विश्वविद्यालय' में प्रवक्ता बनने की कोशिश की, किन्तु राजनैतिक आन्दोलन में भाग लेने के कारण उन्हें नियुक्ति नहीं मिली। अन्तत: उन्होंने वकालत करने का निश्चय किया और सन 1911 में कोलकाता में वकालत आरम्भ की। कुछ वर्ष बाद 1914 में वे 'पटना उच्च न्यायालय' में आ गये और फिर यहीं पर वकालत करने लगे।
लेखन कार्य
वे 'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' के उपमंत्री भी बनाये गए थे। काशी प्रसाद जायसवाल के शोधपरक लेख 'कौशाम्बी', 'लॉर्ड कर्ज़न की वक्तृता' और 'बक्सर' आदि लेख 'नागरी प्रचारिणी पत्रिका' में छपे। इनके द्वारा लिखित प्रमुख ग्रन्थ निम्नलिखित हैं-
- हिन्दू पॉलिसी
- एन इंपीरियल हिस्ट्री ऑफ़ इण्डिया
- ए क्रोनोलॉजी एण्ड हिस्ट्री ऑफ़ नेपाल
- अंधकार युगीन भारत
शुक्लजी के समकालीन
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के 'सरस्वती' का सम्पादक बनते ही सन 1903 में काशी प्रसाद जायसवाल के चार लेख, एक कविता और 'उपन्यास' नाम से एक सचित्र व्यंग्य सरस्वती में छपे। काशी प्रसाद जी आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के समकालीन थे। दोनों कभी सहपाठी और मित्र भी रहे थे, किन्तु बाद में दोनों में किंचिद कारणवश अमैत्री पनप गयी थी।
योगदान
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के सहयोग से काशी प्रसाद जायसवाल ने 'इतिहास परिषद' की स्थापना की थी।
- 'पटना संग्रहालय' की स्थापना में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान था।
निधन
भारत के इस प्रसिद्ध इतिहासकार का निधन 4 अगस्त, 1937 को हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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